सोमवार, अगस्त 13, 2007

बिन ब्याह की बिंदाद दुनिया

नगर में लोगों का एक वर्ग ऐसा जो शादी को जीवन भर का झंझट मानता है।

संजय कुमार
नागपुर. एक अदद जीवनसाथ की ख्वाहिश हर किसी को होती है, लेकिन कभ्ज्ञी-कभी उसका मिलना संभव नहीं होता। या कुछ स्थितियां ऐसी भी आती हैं, जिसके कारण व्यक्ति ताउम्र अविवाहित रहना पसंद करता है। दूसरी ओर सामाजिक परंपरा में वंश वृद्धि के लिए विवाह अनिवार्य मना गया है। लेकिन संतरानगरी में पुरुषों का एक वर्ग ऐसा है, जो विवाह जैसे बंधन को जिंदगी भर का एक झंझट मानते हुए आजीवन कुंवारा रहने का निर्णय ले चुके हैं। उन्हें बिन ब्याह की अपनी जिंदगी बिंदास लगती है। इस जीवन को तो वे शादी-शुदा जिंदगी से भी बेहतर मानते हैं। अविवाहित जीवन के उनके कुछ खास जुमले भी हैं। सिटी भास्कर ने नगर के कुछ ऐसे ही लोगों से यह जानने की कोशिश कि की उनकी दुनिया शादी-शुदा जिंदगी से कितनी अलग है?
बॉक्स मैटर
खास जुमले
हम तो आजद पंछी हैं, जब जहां चाहें उड जाएं कोई टेंशन नहीं, न कोई टेंशन देनी वाली। मैरिड मर्दो का जीवन भी कोई जीवन है।
शादी किस लिए?
खाना बनाने के लिए : आज कल जब चाहे जहां चाहे कुक मिल जाता है। फिर इस काम के लिए बीवी क्यों?
सेक्स संबंध : एक के साथ जीवनभर बने रहने में क्या रस है। आजकल सोसाइटी काफी खुल गई है। बिना शादी के दूसरे विकल्प मैजूद हैं।
अकेलेपन दूर करने के लिए : जब दिल आजाद तो दुनिया आबाद, अकेलापन घूमने-फिरने, मौज-मस्ती से दूर होता है।
बुढ़ापे की साथी : अपना बुढ़ापा किसने देखा, जब यह आएगा तब देखा जाएगा।

त्रिमूर्ति नगर में रहने वाले 38 वर्षीय रंजीत का कहना है कि मुझे नहीं लगता है कि शादी-शुदा लोग जिंदगी को सही मायने में जी पाते हैं। वे पूरे टाईम बीबी-बच्चों की देखभाल में ही लगे रहते हैं। जो भी करते हैं, उनकी ही खुशी कि लिए करते हैं। इसके बाद भी रोज-की चिक-चिक। कभी कुछ कम रह जाता है, तो कभी कुछ ज्यादा हो जाता है। रंजीत का कहना है कि हमने अपने दोस्तों को अपने बीवी और बच्चों के साथ कई बार तनाव में देखा है। आजीवन कुआरा रहने के कारण पूछने पर रंजीत का कहना है कि
युवास्था में मुझे एक लड़की से प्रेम हुआ, लेकिन घरवालों के दबाव में उसने किसी और से विवाह कर लिया। फिर मैंने आजीवन शादी नहीं करने का निर्णय लिया, क्योंकि एक दिल था, उसी के साथ चला गया।

हनुमान नगर के 36 वर्षीय राजेश का कहना है कि गर्लफ्रेंड से प्यार का अहसास मिल जाता है। किसी को पत्नी बनाकर जीवनभर केे बंधन में क्यों बंधा जाए। मैंने दूसरे लोगों को देखा वे पत्नी के साथ आजादी के साथ नहीं जी सकते हैं। बिना शादी की मेरी फिलॉस्पी हर दिन को जींदगी का आखिरी दिन समझकर पूरी मस्ती के साथ जीने की है। रही बात परिवार का मजा लेने की तो मैं अपने बड़े भाई के साथ रहता हूं। उनके बच्चों को अपने बच्चों की तरह प्यार करता हूं। परिवार की कमी खटकती ही नहीं।

सौरभ का कहना है कि हर दिन राजा की तरह जीने के लिए शादी-शुदा जिंदगी से बेहतर अविवाहित जीवन है। इस लाइफ में किसी चीज की कोई जिम्मेदारी नहीं है। हर चीज करने की आजादी। जब चाहो-उठो, सोओ और घर आओ। मेरे कई दोस्त तो रात को बीवी के डर से घर जल्दी पहुंचना चाहते हैं। इसके लिए वे दोस्तों के साथ मस्ती के कई मौके भी छोड़ देते हैं। यदि वे दोस्तों के साथ पार्टी में भले की मस्ती करते हैं, लेकिन उनके दिल में घर-परिवार के बजह से तनाव होता है। इससे न तो वे दोस्तों साथ पार्टी का
पूरा मजा ले पाते हैं और न ही अपने परिवार को पूरा समय दे पाते हैं।

45 वर्षीय प्राध्यापक आनंद का कहना है कि वर्षों पहले उनकी शादी केवल इसलिए नहीं हुई, क्योंकि तब वे बेरोजगार था। लोगों में कैरियर के प्रति मेरा जुनून और व्यक्तित्व के दूसरे गुणों को नहीं देखा। तब मैंने निश्चय किया कि जब मुझे नौकरी मिलने के बाद यदि रिश्ते आते हैं, तो मैं उन्हें ठुकरा दूंगा। मैंने ऐसा ही किया। आज मुझे कोई अफसोस नहीं है। मुझे लगता है कि नौकरी मिलने के बाद मैंने जो रिश्ते ठुकराये थे, उसमें कोई गलती नहीं थी। आखिर पुरुषों से लाभ लेने के उद्देश्य से ही तो महिलाएं विवाह करती हैं। उन्हें सबसे ज्यादा आर्थिक सुरक्षा की चिंता होती है। लेकिन वे शुरूआत दिनों के संषर्षों में साथ देकर सफल जीवन जीने की शुरूआत नहीं सोचती हैं। अकेले रहने का कोई टेंशन नहीं। सुबह आराम से उठता हूं। स्कूल जाता हू। खाना खुद बनाता हूं। मन करता है तो कभी बाहर भी खा लेता हूं और कभी दूध पीकर ही सो जाता हूं। यह पूरी तरह से बिंदास लाईफ है।

शादी-शुदा जिंदगी के बारे में बाजाज नगर निवासी राजीव के इरादे नेक हैं। उनका कहना है कि अकेले रहने का अपना मजा तो हैं ही, लेकिन कई बार जिंदगी में ऐसे मोड़ आते हैं, जब यह एक साथी के साथ नहीं होने का अहसास होता है। ऐसी स्थिति में दिल की बात किसी से ब्यां नहीं कर सकने की कसक दिल में उठती है, तब मन में एक अलग ही निराशा जन्म लेती है।
उनका कहना है कि शरीरिक सुख के दूसरे विकल्प हैं, लेकिन मानसिक सुख का विकल्प क्या है? कुंआरे लाईफ की अपनी कहानी सुनाते हुए राजीव का कहना है कि एक बार अचानक मेरी तबियत खराब हो गई। उस समय लगा कि काश मेरे पास कोई होता तो मेरी देखभाल करता और मैं जल्दी ठीक हो जाता। उस समय ही यह अहसास हुआ कि अकेले लाइफ का पूरा मजा लेने के बाद भी हम अकेले हैं। ऐसा लगा कि यह अकेले होने की सजा है। लेकिन ऐसा अहसास हमेशा नहीं होता है। जब मुसिबत आती है तभी मन में ऐसे ख्याल आते हैं।
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