गुरुवार, अप्रैल 16, 2009

बेटियों ने थमी लगाम






रोमांच के लिए बिटिया ने थामी लगाम
संजय कुमार
हाथों में लगाम...परफेक्ट राइडिंग किट और घोड़े पर बैठने के रोमांच का अनुभव लेने में लड़कियां भी पीछे नहीं हैं। नगर के बाहर स्थित रॉयल गोंडवाना पब्लिक स्कूल में पढ़ाई में अव्वल रहने वाली छात्राएं घुड़सवारी में ंभी रुचि दिखा रही हैं। कहती हैं कि जब लड़कियां हर चीज में आगे हैं तो भला घुड़सवारी में क्यों पीछे रहें। इसका अपना अलग ही रोमांच है। मजेदार बात यह है कि इन लड़कियों के माता-पिता की उन्हें घुड़सवारी के लिए प्रोत्साहन कर रहे हैं। वुमन भास्कर ने घुड़सवारी सीख रही लड़कियों से उनके अनुभव जानें-
मम्मी ने कहा सीख लो
सूर्या पानीकर कहती है कि जब स्कूल में घुड़सवारी का मौका मिला तो मम्मी को बताई। मम्मी ने कहा सीखे लोग। पहले तो लगा कि पता नहीं घोड़ा गिरा देगा। धीरे-धीरे डर खत्म हो गया। अब घोड़ा दोस्त हो गया है। इसके बारे में भी बहुत जानकारी मिली। घोड़ा बहुत समझदार जानवर है। यदि घुड़सवार के अंदर डर रहता है तो घोड़ा भी मस्ती करता है। यदि आत्मविश्वास के साथ लगाम थामा जाए तो उसे भी मजा आता है और गिराने की कोशिश नहीं करता है। रिया बिरानी और काजल घड़ई ने बताया कि जब वह ट्रेनर के सहयोग से पहली बार घोड़े को जम्प कराया, तो लगा कि गिर जाऊंगी। लेकिन जल्द ही संभाल लिया। घोड़े को जम्प कराने में भी मजा आता है।
कुशलता के लिए अभ्यास जरूरी
आयुषी पालीवार ने बताया कि पहले घोड़े को देखकर ही डर लगता था। पर दूसरी लड़कियों को इस पर बैठते देख मुझमें भी घुड़सवारी की हिम्मत आ गई। कोच के निर्देश को ध्यान में रखकर हॉर्स राइडिंग में आनंद आता है। इसमें कुशल होने के लिए अभ्यास जरूरी है। इसके साथ घोड़े के साथ दोस्ताना व्यवहार बेहद जरूरी है। प्रधन्या हेमक और धनश्री ने बताया कि पहली बार जब घोड़े पर बैठी तो हमें नहीं पता था कि उसे चलाने के लिए पैर से मारना पड़ता है। घोड़ा अपनी मर्जी से इधर-उधर जा रहा था। फिर हमारे कोच ने चलाने का तरीका बताया।
बढ़ गई घोड़े की स्पीड
गत तील साल से घुडसवारी का अभ्यास करने वाली अंशु का कहना है कि
घुड़सवारी की अलग-अलग चाल होती है। वॉक के बाद ट्राड में घोड़े की गति बढ़ जाती है। पहली बार जब मेरे घोड़े ने ट्राड किया तो मुझे लगा कि मैं गिर जाऊं गी लेकिन फिर बैलेंस बनाते हुए खुद को संभाल लिया। इसेस आत्मविश्वास बढ़ गया है। लगता है कि हम दूसरी आम लड़कियों से अलग है। घोड़े को अच्छी तरह से संभाल सकते हैं।
कैरियर है, पर नागपुर में प्लेटफार्म नहीं
प्रशिक्षण पत्राले का कहना है कि पहले लड़कियां इसमें ज्यादा रुचि नहीं लेती थी। लेकिन धीरे-धीरे उनकी रुचि बढ़ती जा रही है। उनका फारफ ॉर्मेंस लड़कों से बेहतर है। माता-पिता भी बेटी को घुड़सवारी की अनुमति देने में अनाकानी नहीं करते हैं। कुशल घुड़सवारी करके इस क्षेत्र में कैरियर भी बनाया जा सकता है। पर जिस तरह से दूसरे महानगरों में इसके बेहतर विकल्प हैं, वैसा प्लेटफार्म नागपुर में नहीं है।
घुड़सवारी का फंडा
-राइडिंग सीखते समय डरे नहीं।
-राइडिंग किट पहनकर ही राइडिंग करें। परफेक्ट राइडिंग किट में (शूज, हैलमेट, गेटिस, ब्रीचिस) होना चाहिए।
-घोड़े पर बैठने के पहले इंस्ट्रक्टर से उसकी प्रवृतियां जान लें कि वह शांत है या भड़काऊ।
-घोड़े पर बैठने (माउंट) होने के लिए कभी भी पीछे से नहीं आगे बांयी ओर से माउंट होना चाहिए।
-बैठक की पोजिशन अच्छी हो और सेंडल के बीच में बैठें।
-पैर के पंजे रकाब में सही तरीके से रखना चाहिए ताकि घोड़े को पैरों से सही मदद दी जा सके।
-हाथों में रेन (लगाम) सही तरीके से पकड़ें। तीन अंगुली बीच में, लास्ट अंगुली लगाम के नीचे हिस्से में और अंगूठे से ऊपर के हिस्से के लॉक कर -खड़ी मु_ïी गोल कलाई यह तरीका रास पकडऩे का होता है। यह रास घोड़े के मुंह में लगी बीट से जुड़ी होती है।
रोकने (हॉल्ट) करने के लिए दोनों रेन खींचकर हलका सी बॉडी पीछे करने पर वह रुक जाता है।
-पहली चाल वॉक होती है जिसे करते समय रेन को लूज किया जाता है व पैर से घोड़े को आगे बढ़ाने के लिए मदद की जाती है।
-बेसिक में सही बैठक का तरीका, चलाने के लिए सही मदद देने का तरीका सीखना जरूरी है। घुटनों की पकड़ सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है।
ट्रॉड व केंटर भी शुरुआती प्रशिक्षण में आता है। इसके बाद घोड़े से उतरने समय आगे की तरफ झुककर घोड़े के अगले पैरों की तरफ उतरना चाहिए। बॉक्स में
महिलाओं लिए विशेष कैंप
स्कूल के निदेशक देवेंन्द्र दस्तुरे का कहना है कि नागपुर के लोगों में घुड़सवारी का बहुत ज्यादा क्रेज नहीं है। ओलंपिक में यह गेम शामिल है। मेरा सपना है कि यहां से सीखे हुए घुड़सवार ओलंपिक तक आए और भारत के लिए मैंडल लाए। उन्होंने बताया कि आम लोगों में इसकी रुचि बढ़ाने के लिए स्कूल में घुड़सवारी का कैंप आयोजित होता है। इसमें करीब 20 प्रतिशत महिलाएं होती है। हर दिन डेढ़ घंटे का अभ्यास कराया जाता है। इस बार महिलाओं के लिए अलग से रुचि बढ़ाने की योजना है।
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