गुरुवार, अप्रैल 30, 2009

कारतूस उगलता तालाब

सारी व्यवस्था आग लगने के बाद की है
नागपुर को जिस तरह से एक मॉडल सिटी बनाने की बात की जा रही है, उसमें आपतकालिन स्थिति में जीवन रक्षक व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। नवनिर्मित भवनों में भी इसकी व्यवस्था नहीं की जा रही है। विभिन्न आवासीय व व्यावसायिक भवनों में जो भी कुछ व्यवस्था है, वह आग लगने के बाद उसके बुझाने के लिए है। लेकिन आग फैलने से कैसे रोके इसकी व्यवस्था मुश्किल से ही मिलेंगे। लोग पैसिव लाइफ सेफ्टी मैनर को नहीं जानते हैं। स्मोक मैनेजमेंट की व्यवस्था नहीं होती है। हालांकि ये आग से बचाव के तकनीकी भाषा है। लेकिन इसके प्रति लोगों में जागरूकता बेहद जरूरी है। भवनों में अग्निशमन के उपकरण तो होते हैं, लेकिन आग जाए और उससे निकला हुआ धुंआ कहीं और न फैले इसकी व्यवस्था कहां की जा रही है? भवन डिजायन कने वाले आर्किटेक और इंटिरियर डिजायनरों को स्वयं इस बात की पहल करनी चाहिए। अनेक लोग अपनी गाढ़ी कमाई से बहुमंजिले इमारतों पर फ्लैट्स लेते हैं। लेकिन आपतकालीन समय में उनका जीवन कितना सुरक्षित है? इस पर न ही वे विचार करते हैं और न ही भवन निर्माता? हमारे संस्थान में विभिन्न राज्यों के अनेक विभागों के अधिकारी प्रशिक्षण के लिए आते हैं, वे बताते हैं कि आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता नहीं है। यदि स्थानीय प्रशासन नियम को सख्त करें तो आपतकालीन स्थिति में लोगों का जीवन सुरक्षित हो सकता है।
डा. शमीम,
प्रमुख,फैकल्टी ऑफ फायर इंजीनियरिंग एक टेक्नोलॉजी
राष्टï्रीय अग्निशमन महाविद्याल, नागपुर
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