गुरुवार, अप्रैल 16, 2009

बेटियांबनेगी पशु चिकित्सक



पशु चिकित्सा में लड़कियों की रुचि बढ़ी
मानव चिकित्सा की पेशा शुरू से ही प्रतिष्ठिïत रहा है। पर मूक पशुओं की सेवा के लिए पशु चिकित्सक बनने की ललक कुछ लोगों में ही होती है। करीब एक दशक पहले तक इस क्षेत्र में महिला चिकित्सक खोजने से नहीं मिलती थी। आज स्थिति बदल चुकी है। राज्य के पशु चिकित्सक शिक्षण संस्थानों के आंकड़े बता रहे हैं कि इस क्षेत्र में कैरियर बनाने वाली लड़कियों की अच्छी-खासी भागीदारी बढ़ रही है।
संजय कुमार
नागपुर. कुछ साल पहले तक जहां पशु चिकित्सा के क्षेत्र में पुरुष चिकित्सकों का ही बोलबाला था, वहीं अब पशु चिकित्सा संस्थानों में प्रवेश लेने वालों में लड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सेमिनरी हिल्स स्थित महाराष्टï्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय के संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों के पिछले पांच साल के अंाकड़े बता रहे हैं कि हर साल शुरू होने वाले विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में लड़कियों की संख्या बढ़ी थी। लेकिन सन् 2006 -2009 के बीच थोड़ी-सी कम हुई। लेकिन जिस तरह से दूसरे व्यावसायिक शिक्षा महंगे होते जा रहे हैं, उसे देखते हुए लगता है कि मध्यम वर्ग की और भी लड़कियां इस क्षेत्र में प्रवेश लेने के लिए उत्सुक होंगी। फिलहाल हर पाठ्यक्रम में औसतन 30 प्रतिशत लड़कियां दाखिला लेती हैं। लोगों में घर में एक पालतू रखने के शौक के कारण उनके स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के लिए भविष्य में पशु चिकित्सकों की मांग बनी रहेगी।
महिला चिकित्सक पालकों के करीब
विश्वविद्यालय के कुलगुरु डा. अरुण एस. निनावे का कहना है एक समय था, जब पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भूली-भटकी महिलाएं ही आती थीं। अब स्थिति बदल चुकी हैं। गत पांच सालों में लड़कियों की रुचि काफी बढ़ी है। दूसरे व्यावसायिक शिक्षा के अपेक्षा पशु चिकित्सा पाठ्यक्रम काफी सस्ते होने के कारण मध्यम वर्ग की लड़कियां इसे कैरियर विकल्प के रूप में चुन रही हैं। लड़कियों में रुचि बढऩे का दूसरा कारण यह भी है कि पालतू पशुओं के साथ महिलाएं सबसे ज्यादा करीबी होती हैं। गांव हो या शहर घर में पालतू पशुओं की देखभाल की ज्यादा जिम्मेदारी महिलाओं पर होती है। यदि पालतू की जांच एक महिला चिकित्सक करती हैं, तो महिला पालक को काफी खुशी होती है।
तब लोगों में कौतुहल होता था
गांव के संस्मरण सुनाती हुई डा. गीतांजलि ठुगे कहती हैं कि नौ साल पहले जब इस क्षेत्र को कैरियर के रूप में चुनाव किया तब कुछ गिनी-चुनी लड़कियां ही थीं। लोग मुझे कौतुहल से देखते थे। गांव में जाने पर महिलाओं को सबसे ज्यादा खुशी होती थी। पशुओं के करीब होने के कारण वे उसकी हर गतिविधियों को बेझिझक बताती थी, जिससे पशु की समस्या को जानने-समझने में आसानी होती है।
रोजगार के अच्छे विकल्प
महाराष्टï्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय नागपुर के संचालक डा. प्रकाश लोमकर ने बताया कि संस्था के किसी भी पाठ्यक्रम में पढऩ वाली लड़कियों का परीक्षाफल लड़कों से हमेशा अच्छा रहा है। उनके लिए यह बेहद सुरक्षित कैरियर हैं। सरकारी क्षेत्र में जॉब के साथ, निजी डेयरी फार्म या फिर प्राईवेट प्रैक्टिस के रूप में रोजगार प्राप्त किया जा सकता है।
जागरूक हो रही हैं ग्रामीण महिलाएं
महाराष्टï्र पशु एंव मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय नागपुर के संचालक डा. प्रकाश लोमकर ने बताया कि विदर्भ के गांवों में हजारों महिलाएं पशुसंवर्धन, गौपालन एवं दुग्ध व्यवसाय से जुड़ी हैं। विश्वविद्यालय की ओर से ग्रामीण पशुपालक महिलाओं की समस्याओं के तुरंत समाधान के लिए कम्प्यूटर प्रणाली से हर जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है। पशुपालकों के पूछे गए प्रश्नों के उत्तर उचित चित्र एवं अक्षरों से उपलब्ध कराया जाता है। चुनिंदा एवं महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरों की छोटी किताब, सी.डी. एवं वी.सी.डी बनाकर ग्रामीणों को उपलब्ध कराया जाता है। आपातस्थिति के लिए कुछ मोबाइल नंबर भी उपलब्ध कराया गया है। कम पढ़ी-लिखी अपने पालतू जानवरों के स्वास्थ्य के नुसखे जानकर काफी खुश होती हैं।

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