मंगलवार, नवंबर 24, 2009

लिबरहान लीक का दोषी कौन : उमा भारती


मुस्लिम समुदाय को आधुनिक विचारधारा वाले नेतृत्व में आने के लिए मीडिया से माहौल बनाने का आह्वान

फिर से रथयात्रा निकालने के लिए आडवाणी से किया अनुरोध

संजय स्वदेश


नागपुर। लिबरहान आयोग की रिपोर्ट लीक हो गई, लेकिन इसका दोषी कौन है? चिदंबरम या फिर लिबरहान? सरकार को इन दोनों में से दोषी सुनिश्चित कर जल्द से जल्द दंडित करना चाहिए। यह कहना है लोकजनशक्ति पार्टी की नेता उमा भारती का। वे धंतोली स्थित तिलक पत्रकार भवन में पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं। इसके साथ ही सुश्री भारती ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को फिर से देश में रथ यात्रा शुरू करने का अनुरोध करते हुए अपना पूरा सहयोग देने की बात कही। उन्होंने मुस्लिमों को जिद छोड़ राम मंदिर निर्माण में सहयोग देने का आह्वान किया। सुश्री भारती ने कहा कि मैं पहले ही अयोध्या मामले में अपनी नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार कर चुंकि हूं और अभी भी नैतिक जिम्मेदारी लेती हूं। लेकिन पूरे प्रकरण में सरकार के लिए लिबरहान लीक के दोषी को दंड आवश्यक है। पूर्व प्रधानमंत्री पी।वी। नरसिम्हा राव की तरिफ करते हुए सुश्री भारती ने कहा कि श्री राव रामभक्त थे। इसलिए उन्होंने अयोध्या में पैरा मिलिट्री फोर्स नहीं भेजा। वे चाहते थे 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में सुबह 11 बजे ही पैरा मिलिट्री भेज देते थे। लेकिन रामभक्त होने के कारण उन्होंने शाम छह बजे पैरा मिलिट्री फोर्स भेजा। इसी तरह पंडित नेहरू ने भी अयोध्या मामले में स्पष्ट कहा था- कि राम देश की जनता के रगों में बसते हैं, इसे मत छेड़ो। कांग्रेसियों को अपने पूर्व प्रधानमंत्री के रामभक्त होने का गर्व करना चाहिए और अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए अपना रुख सकारात्मक करना चाहिए। सुश्री भारती ने कहा कि देश में कई पार्टियों ने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कीचड़ की राजनीति की और मुस्लिमों को धोखे में रखा। लेकिन गत एक दशक से मुस्लिम समुदाय को एक भी आधुनिक विचार का मुस्लिम नेतृत्व नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मलेशिया का मुस्लिम समुदाय स्वयं को राम का पूर्वज कहने में गर्व महसूस करता है। पाकिस्तान में कई मस्जिद तोड़ कर वहां विकास किए गए। मॉल्स बने। भारत के मुस्लिम समुदाय को यह समझना चाहिए कि जिस तरह से मक्का मदीना उनके लिए पवित्र तीर्थ है, उसी तरह से हिंदुओं के लिए अयोध्या महत्वपूर्ण है। सुश्री भारती ने मीडिया से अनुरोध किया कि वे मुस्लिम समुदाय को आधुनिक नेतृत्व में आये और अपनी जिद छोड़ें। जिस तरह से अजमेर उनके लिए मायने रखता है, उसी तरह हमारे लिए अयोध्या की राम जन्मभूमि महत्वपूर्ण हैं। वहां आज भी राम की मूर्ति है। हर दिन पूजा होती है। दूर-दूर तक कहीं से भी कोई मजार नहीं है। उन्होंने कहा कि कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने में अटल बिहारी वाजपेयी की कोई भूमिका नहीं है। मंदिर के गुंबज पर झंडा लहराने वाला वासुदेव अग्रवाल था। वह कोई आर।एस।एस. का स्वयंसवेक नहीं था। वह हिंदू था। उसे गोली मारी गई। अटल बिहारी वाजपेयी व्यावहारिक हिंदू हैं। वे शिव की पूजा करते हैं। एनडीए सरकार के कार्यकाल के अंतिम दिनों में वाजपेयीजी ने मुझसे कहा था कि हम दो बार प्रधानमंत्री बन गए। चुनावी घोषणापत्र में मंदिर मुद्दा नहीं था। फिर भी हमें अब मंदिर के लिए कुछ करना चाहिए। इस बातचीत के करीब 15 दिनों के बाद ही अचानक इंडिया शाइनिंग का मुद्दा आया और समय से छह माह पूर्व ही लोकसभा भंग हो गई। सुश्री भारती ने कहा कि वे संघ की स्वयंसेवक हैं। नागपुर आकर वे संघ मुख्यालय नहीं गई, क्योंकि इससे लोग अलग अर्थ लगा लेते। वे वर्धा के एक गांव में किसी वैवाहिक समारोह में हिस्सा लेने गईं थी। मंगलवार को संसद में लिबरहान आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत होने से कई पत्रकारों ने उन्हें फोन कर प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की। इसी कारण अचानक नागपुर में प्रेस-कांफ्रेंस आयोजित करना पड़ी। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वे फिर से भाजपा में नहीं जाएंगी। यदि लालकृष्ण आडवाणी फिर से सोमनाथ से रथ यात्रा निकालते हैं तो भारतीय जनशक्ति पार्टी की अध्यक्ष के रूप में उनका पूरा साथ दूंगी। राम मंदिर निर्माण आंदोलन का नेतृत्व विश्व हिंदू परिषद के हाथ में है। इसलिए वे कल दिल्ली जाकर अशोक सिंघल से मिलेगी। भाजपा की अंदरूनी कलह पर पूछे गए एक सवाल पर सुश्री भारती ने दो टूक कहा- मैं दूसरे के फटे में टांग नहीं अड़ाती।


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