रविवार, दिसंबर 13, 2009

आईएमआई का खेल हो गया फेल


संजय स्वदेश

एक दिसंबर से नकली ईएमआई नंबर के कारण भले ही लाखों चीनी मोबाइल खामोश हो गए हों, लेकिन इसके बाद भी लोगों को भ्रम इसके आकर्षण के प्रति नहीं टूटा है। हालांकि एक दिसंबर के देश भर में लाखों चीनी मोबाइल धारकों को हैंडसेट बंद हो गया। लेकिन इस बाद भी मोबाइल रिपेयर करने वालों ने किसी न किसी तरह का जुगाड़ अपना कर इसे फिर चालू कर दिया है। रहस्यम तकनीक के कारण देशभर के बाजार में अभी भी चाइना मोबाइल फोन के हैंडसेट धडल्ले से बगैर बिल और गारंटी के बिक रहे हैं। चीनी हैंडसेटों की ब्रिकी कानूनी है या गैर-कानूनी इस बारे में न पुलिस के पास कोई जवाब है और न ही कस्टम विभाग और चुंगी विभाग कुछ स्पष्टï कहते हैं। कस्टम विभाग का कहना है कि आयातित मोबाइल के संबंध में कोई मानक नहीं है। कोई भी उत्पादक पांच प्रतिशत की कस्टम ड्यूटी देकर हैंडसेट देश के अंदर निर्यात कर सकता है। तो वहीं चुंगी विभाग का कहना है कि जब जानकारी मिलती है, तो छापा मारने की कार्रवाई होती है। किसी भी शहर में ट्रांसपोर्ट के जरिये इलेक्ट्रॉनिक आइटम जो कुछ भी आता है, उसकी बिल्टी व बिल देखकर तीन प्रतिशत चुंगी कर लगाई जाती है। पर चीनी हैंडसेट के डिलर सारा काम चोरी-छिपे करते हैं। चोरी-छिपे होने वाले इस कारोबार से विभाग चुंगी कर कैसे वसूल सकता है? इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। वहीं बिना बिल के बिकने वाले इन हैंडसेट से सरकार को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। बिक्री कर विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि चाइनामेड हैंड सेटों के बारे में संपूर्ण जानकारी जुटा रहा है कि ये कहां से कैसे आते हैं और नागपुर में इसका व्यवसाय कैसे संचालित हो रहा है? रिपोर्ट तैयारी होने के बाद जल्दी ही इसके विरुद्ध एक अभियान के तहत छापामार कार्रवाई की योजना है।
आईएमआई नंबर का खेल
मजे की बात यह है कि इन हैंडसेट के आईएमआई यानी इंटरनेशन मोबाइल इक्विपमेंट आईडेटिटी नंबर प्रमाणिक हैं कि नहीं, इसकी गारंटी देने वाला कोई नहीं है। हालांकि कई चाइनिज हैंडसेटों पर ये नंबर अंकित होते हैं, वे असली होते हैं या नकली? इसका जवाब दुकानदारों के पास नहीं है? जब कोई मोबाइल बिकता है, तो दुकानदार इसी आईएमआई नंबर को बिल में लिखता है। मोबाइल खोने से इसी नंबर से यह जानने की कोशिश की जाती है कि वह हैंडसेट कहां है? विभिन्न आपराधिक घटनाओं में पुलिस दोषियों के मोबाइल के इन्हीं नंबरों से ट्रैस करने की कोशिश करती है। जानकार यह भी कहते हैं कि आईएमआई नंबर गलत होने से ऐसे हैंडसेटï्स के दुरुपयोग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि एक दिसंबर के बाद हजारों की संख्या में चाइनिज मोबइल के बंद होने के बाद एक गिरोह ऐसा सक्रिय हो गया है जो पुराने बंद हो चुके मोबाइल के ईएमआई नंबर का इसमें उपयोग कर रहे हैं। सीताबर्डी स्थित इलेक्ट्रिॉनिक बाजार में चाइनिज मोबाइल के रिपेयर करने का दावा कई दुकानदार कर रहे हैं। अब ये फर्जी ईएमआई नंबर के कारण बंद पड़े हैंडसेट को फिर से चालू करने का भी दावा कर रहे हैं।
निर्माता और ग्राहक कौन?
बाजार में धड़ल्ले से बिकने वाले इन हैंडसेटों का असली निर्माता कौन है, इसे ग्राहक जानने की कोशिश नहीं करते हैं। विक्रेता यह बताने को तैयार नहीं कि उनके पास ये माल कहां से आता है? वे बस इतना ही कहते हैं कि डीलर दुकान में खुद दे जाते हैं। डिलर कौन है? इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। बिना ब्रांड वाले ऐसे हैंडसेटों के बारे में दुकानदार यह दावा करते हैं कि कम कीमत में महंगे हैंडसेटों की सुविधा मिलेगी। प्रयोग में लाने वाले उपभोक्ता की यह आम शिकायत होती है कि उसके कई फंक्शन बाद में उपयोगी नहीं रहे। इसके खरीदारों में वैसे लोगों की संख्या ज्यादा है, जो ऐसे हैंडसेटों के दुष्परिणों को नहीं जानते हैं। इसके अतिरिक्त इसके खरीदारों का एक वर्ग ऐसा भी है जो अधिक सुविधाओं वाला हैंडसेट उपयोग करना चाहता है, पर बजट कम होता है। लिहाजा वे कम कीमत में चाइना मेड हैंडसेट खरीदने से नहीं चूकते। मजे की बात यह है कि दुकानदार भी ऐसे हैंडसेटों को बेचने में ज्यादा उत्साहित हैं। क्योंकि सस्ते होने से इसके ग्राहक ज्याद हैं और इस पर मुनाफा का प्रतिशत ज्यादा है। वहीं ब्रांडेड कंपनियों के हैंडसेट में मुनाफा का प्रतिशत कम है।
ाइनिज मोबाइल का सारा कारोबार ग्रे मार्केट में हो रहा है। खरीदार यह जानने की कोशिश नहीं कर रहे हैं कि इतने सारे फीचर्स वाले चाइनिज हैंडसेट इतने सस्ते क्यों है? गुणवत्ता की दृष्टिï से ये कितने प्रमाणिक और सुरक्षित हंै, इसकी कोई खैर-खबर लेने वाला नहीं है। सस्ते में ब्रांडेड कंपनियों की महंगी सुविधा युक्त हैंडसेट के बाराबर फीचर उपलब्ध कराने वाले चायनिज हैंडसेट बिना बिल के बिक रहे हैं। इसकी न कोई गारंटी है और न ही खरीदने के बाद इसमें दोष आने पर सर्विस सेंटर आदि की सुविधा है। जानकारों का कहना है कि हर माह नेपाल आदि सीमावर्ती क्षेत्रों से गैर-कानूनी तरीके से करीब 6 लाख चाइनिज हैंडसेटï्स का आयात कर दिल्ली लाया जाता है और फिर वहीं से देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे भेजा जा रहा है।
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