गुरुवार, दिसंबर 24, 2009

विदर्भ की माला जपते-जपते समाप्त हो गया शीत सत्र


नागपुर। 8 दिसंबर से शुरू हुए विधानमंडल के शीतसत्र का बुधवार 23 दिसंबर को समापन हो गया। सदन में कुल दस बैठकें हुई। विधानसभा और विधान परिषद में कुल कार्यवाही 159 घंटे चली। जिसमें 85 घण्टे विधानसभा की कार्यवाही हुई और 74 घण्टे विधान परिषद की कार्यवाही हुई. इस दौरान पूरे सदन पर विदर्भ का मुद्दा हावी बना रहा.

शीतसत्र के अंतिम दो दिनों में विधान परिषद में विदर्भ के किसानों व आम जनता की व्यथा गूंजी। महाराष्ट्र राज्य में विदर्भ शामिल होने से लेकर आज तक विदर्भ के विकास की ओर सरकार की उदासीनता के संदर्भ में विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कृषिमंत्री बालासाहब थोरात ने कहा कि सरकार विदर्भ के विकास के लिए कटिबद्ध है। विदर्भ में सिंचाई की समस्या है इस बात से सरकार अनभिज्ञ नहीं है। उसके लिए जलसंधारण की व्यवस्था को जरूरी मानते हुए सरकार ने विदर्भ पाणलोट मिशन शुरु किया है और उसका लाभ भी किसान बंधु उठा रहे हैं। रही बात कपास को पर्याप्त दाम न मिलने की तो प्रति एकड़ 2 क्विंटल उत्पादन प्राप्त करनेवाले किसान दाम बढ़ाने के बाद भी अपनी आर्थिक स्थिति सुधार नहीं पाएंगे, इसके लिए कृषि उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर थोरात ने बल दिया। उन्होंने बताया कि सरकार ने विदर्भ पाणलोट प्रकल्प शुरु किया। 40 हजार कृषि तालाब बनाए, 18 हजार मोटरपंप इंजिन वितरित किए, गतिमान पाणलोट मिशन का कार्य हर तहसील में जारी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कपास की आधारभूत कीमत 3 हजार तय की है। कृषिमंत्री ने यह भी बताया कि वर्ष 1999-2000 में फसल बीमा योजना शुरू हुई। केंद्र व राज्य पैकेज के तहत 5 हजार करोड़ रुपये का खर्च किया गया। खाद के लिए 400 करोड़ रुपये का सरकार ने कर्ज उपलब्ध कराया।

जलसंपदा, संसदीय कार्य, अतिरिक्त प्रभार वित्त, नियोजन व ऊर्जा राज्य मंत्री विजय वडेट्टीवार ने बताया कि विदर्भ का गोसीखुर्द प्रकल्प शीघ्र पूरा होकर 2015 तक 2 लाख 52 हजार हेक्टेयर भूमि की बारहमाही सिंचाई की व्यवस्था होगी। उन्होंने कहा कि विदर्भ के कई क्षेत्र सिंचाई से दूर हैं लेकिन यहां प्रभावित परियोजनाएं पूर्ण होने के कगार पर है। उन्होंने यह भी कहा कि विदर्भ में आगामी मार्च के अंत तक कृषि पंपों का बैकलॉग पूरा किया जाएगा। उद्योग मंत्री राजेंद्र दर्डा ने विधान परिषद में विपक्ष द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि विदर्भ में 56 मेगा उद्योगों के तहत आगामी डेड़ वर्ष में स्टील व सीमेंट समेत अन्य उद्योगों शुरू होंगे। उन्होंने बताया कि विदर्भ में 323 बड़े उद्योगों में 18 हजार 500 करोड़ का निवेश हुआ है, जिससे रोजगार निर्माण हुआ है लेकिन दर्डा ने जब प्रस्तावित संतरा प्रकल्प नांदेड में शुरू करने संबंधी बात की तो विपक्ष ने आपत्ति उठाते हुए हंगामा किया। विपक्ष ने मांग की कि बात विदर्भ के विकास की हो रही है और विदर्भ के अमरावती में प्रस्तावित संतरा प्रकल्प नांदेड ले जाने की बात की जा रही है।

इस मुद्दे पर विपक्ष ने बहिर्गमन किया। शीतसत्र के अंतिम दिन विदर्भ के मुद्दे पर विपक्ष आक्रामक दिखाई दिया। विधान परिषद में विपक्ष के नेता विधायक पांडुरंग फुंडकर, विधायक दिवाकर रावते, सैयद पाशा पटेल, अरविंद सांवत, केशवराव मानकर समेत विधान परिषद सदस्य राजेंद्र जैन ने चर्चा के दौरान सवाल उठाया कि विदर्भ के विकास पर सरकार का ध्यान नहीं है। कई प्रकल्प जैसे संतरा, स्वास्थ्य विश्वविद्यालय, टाटा स्टील, रेलवे डिब्बों की निर्माण आदि प्रकल्प विदर्भ के बाहर जाना व उसी प्रकार मिहान, बांबू विश्वविद्यालय, रिंग रेलवे, अंतरराष्ट्रीय प्राणी संग्रहालय, सिंचाई व विद्युत निर्मिती के सैकडों प्रकल्प प्रबंधित रखने के लिए वनभूमि, झुड़पी वन, प्रशासकीय मंजूरी, अपूर्ण निधि व केंद्र की अनुमति आदि समस्या का निराकरण करने में सरकार असफल रही है। विपक्ष ने यह सवाल भी उठाया कि विदर्भ में कृषि पंप, सड़क, कुएं, शाला, महाविद्यालय, अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आश्रमशाला, औद्योगिक प्रशिक्षक संस्था, अभियांत्रिकी महाविद्यालयों का अनुशेष बढऩे, सिंचाई व कृषि पंप के बढ़ते अनुशेष से कृषि क्षेत्र की स्थिति बदतर हो रही है। पैकेज देने के बाद भी किसान आत्महत्याएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। किसानों को दिए जा रहे खाद व बीज में उनकी दिशाभूल की जा रही है। कर्ज माफी योजना का लाभ किसानों के अलावा गैर व्यवहार के कारण डूब रही बैंकों को ही अधिक मिल रहा है।

विदर्भ के मुद्दे पर पूरे सत्र के दौरान अंदर बहस होती रही तो सदन के बाहर धरने प्रदर्शन चलते रहे. 22 दिसंबर को भाजपा विधायक देवेंद्र फडणवीस ने विधान सभा में विदर्भ पर अनुशेष के मामले में हो रहे अन्याय पर सभाग्रह का ध्यान आकर्षित करते हुए मांग की कि यदि विदर्भ के साथ न्याय नहीं कर सकते तो हमें हमारा विदर्भ राज्य अलग कर सौंप दो। जवाब में राजस्व मंत्री ने कहा कि विदर्भ के साथ अन्याय के मुद्दे पर विपक्ष पृथक विदर्भ की मांग उठा रहा है. लेकिन विपक्ष ही क्यों? कांग्रेस के कई विधायक भी विदर्भ को अलग कर देने की मांग करते रहे. यह बात दीगर है कि उनकी इस मांग पर किसी ने कान नहीं दिया क्योंकि केन्द्र अभी अलग तेलंगाना के सवाल पर ही उलझा हुआ है.

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