शुक्रवार, जनवरी 22, 2010

मत्सय और दुग्ध व्यवसाय का हब बन सकता है भारत


21वीं सदी शिक्षा के प्रबंधन का युग: डा.कलाम
संजय स्वदेश
नागपुर।
महाराष्ट्र पशु एवं मत्शय विज्ञान विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने कहा कि भारत डेयरी और मत्सय क्षेत्र में दुनिया का बड़ा हब बन सकता है। नागपुर के उत्तर अंबाझरी रोड़ स्थित एलएडी कॉलेज परिसर आयोजित समारोह में पशु और मत्सय विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री लेने वाले डॉक्टरों से आह्वान किया कि वे तकनीक का सहारा लेकर डेयरी क्षेत्र में एक नई क्रांति करें। डा. कलाम ने कहा कि पशु वैद्यकिय क्षेत्र में शोध का स्तर बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके शिक्षण में तकनीक का उपयोग होना चाहिए। विज्ञान को तकनीकी से जोडऩा चाहिए। क्योंकि तकनीक देश की आर्थिक स्थिति से जुड़ी है। वर्तमान सदी शिक्षा के प्रबंधन की शदी है। उन्होंने डॉक्टरों से डेयरी तकनीकी के सहारे राष्ट्रीय दुग्ध मिशन की मजबूती के लिए उन्होंने दुध के उत्पादन बढऩे का अह्वान किया।
डा. कलाम ने कहा कि देश में पशुओं की नस्ल सुधारने की जरूरत है। देश में 200 मिलियन पशु है। इस मामले में भारत दुनिया में बहुत बड़ा देश है। पर इसके बाद भी देश में दुध उत्पादन कम होता है। डा. कलाम ने बाबा बसरैया महाराज का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे बसरैया महाराज ने पशुओं के सहारे आदिवासियों की सेवा की। उन्हें नि:शुल्क दुध पिलाया। उन्होंने बताया कि ऐसी कई कहानी है जिसमें पशुओं के सहारे किसानों की जीवन सुधर गई। देश में खेती सीमित हुई है, इससे पशुओं के चारे पर असर पड़ा है। पशुओं को पर्याप्त मात्रा में भोजन नहीं मिल पा रहा है। डा. कलाम ने कहा कि इसके लिए किसानों का आवश्यक प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। मत्सय क्षेत्र पर चर्चा करते हुए डा. कलाम ने कहा कि भारत दुनिया में मछली उत्पादन में अग्रणी देशा में एक है। ग्रामीण विकास में भी इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। फिलहाल देश में 7 विलियन टन मछली का वार्षिक उत्पादन होता है। जीडीपी में इसकी एक प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इस उत्पादन को 10 विलियन टन वार्षिक किया जाना चाहिए। विज्ञान और तकनीक के सहारे इस क्षेत्र में भी तेजी से विकास की संभावनाएं हैं। उन्होंने एमएएफएस की डिग्री लेने वाले विद्यार्थियों से मत्सय क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सदी शिक्षा के प्रबंधन का युग है। हर शिक्षित व्यक्ति को अपने ज्ञान का प्रबंधन कर देश की उन्नति में अपनी भागीदारी दिखानी चाहिए।
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1 टिप्पणी:

Arvind Mishra ने कहा…

हिन्दी की इतनी डिग्रियां लिए हैं और सही हिन्दी भी नहीं लिख पा रहे हैं ?
वर्तनी का दोष आपके लिए अक्षम्य है -मत्शय या मत्सय नहीं मत्स्य है.
वैद्यकिय? शदी?दुध?
"पशुओं के सहारे किसानों की जीवन सुधर गई" यह कैसा वाक्य है ?