सोमवार, फ़रवरी 01, 2010

शांति, अहिंसा के लिए दौड़े हजारों पग

नागपुर। रविवार की सुबह नागपुर के कस्तूरचंद पार्क मैदान से अंतरराष्ट्रीय मैराथन में हजारों पग शांति, अंहिसा के लिए दौड़े। रविवार की सुबह धुंधली बेला में जब पक्षी भी क्लब नहीं कर रहे थे, तभी से यहां चहल-पहल शुरू हो गई थी। सुबह करीब 5 बजे के पहले से ही मैराथन में हिस्सा लेने वाले अपने घर से निकल पड़े। नगर के विभिन्न इलाकों से धावक कस्तूरचंद पार्क की ओर मैराथन की खास टी-शर्ट पहने जा रहे थे। हर दिन इस मार्ग से गुजरने वाला यातायात बदला हुआ था। हालांकि इस मैराथन में हिस्सा लेने विदेश समेत महाराष्ट्र से करीब 90 हजार से ज्यादा लोगों ने पंजीयन कराया था। लेकिन दौड़ते वक्त इससे कुछ कम संख्या में ही धावक दिखे। स्पर्धा की भावना से दौडऩे वाले कुछ लोग ही थे। अधिकतर धावक मैराथन को एक मस्ती और सुबह-सुबह मनोरंजन का माध्यम मानकर उत्साहपूर्वक यहां आए थे। कस्तूरचंद पार्क की व्यवस्था बेहतरीन थी। रिजर्ब बैंक चौक पर मंच बना था। यहीं से विभिन्न वर्गों की मैराथन दौड़ हर दस मिनट के अंतराल पर शुरू हुई। रिजर्व बैंक चौक पर ही बूटीबोरी के दत्त विद्या मंदिर के विद्यार्थियों का एक समूह बैंड की ध्वनि से धावकों का उत्साहवर्धन कर रहा था।

पारंपरिक पोशाक में आकर्षण

कस्तूरचंद पार्क में हजारों की संख्या में पीले टी. शर्ट में लोग उपस्थित थे। कई लोगों का समूह किसी संस्था विशेष के नेतृत्व में आया था। हाथ में विभिन्न सामाजिक संदेश देने वाली तख्ती लिए हुए थे। महात्मा गांधी की जयघोष हो रही थी। मैदान के बीचोंबीच बने मंच पर न्यू इंग्लिश हाईस्कूल के विद्यार्थी नृत्य और गीत की मनमोहक प्रस्तुति दे रहे थे। तेज आवाज में बजने वाले डीजे की धुन पर मैराथन में आए लोग स्वयं को थिरकने से नहीं रोक पा रहे थे। मेरे देश की धरती सोना उगले-उगले हीरा मोती... की धुन पर छात्राओं के एक समूह ने मनमोहक लेझिम की प्रस्तुति दी। कुछ विद्यार्थी कृत्रिम जटा लगाए गेरुये वस्त्र में दौड़ रहे थे तो छात्राएं पारंपरिक मराठी और अदिवासी वेशभूषा में दौड़ते हुए शांति और अहिंसा का संदेश दे रहे थे। इन स्कूली विद्यार्थियों का एक समूह लेझिम करता हुआ भी मैराथन में शामिल हुआ।

शांति और अहिंसा के अलावा भी संदेश

युवाओं की अनेक टोली अलग-अलग अंदाज में मैराथन में दौड़ी पर इनमें कई युवा समूहों ने लोगों का आकर्षण अपनी ओर खींचने के लिए विभिन्न तरीके अपनाये। धावक नं. 2731 ने तो माथे और कमर पर पेड़ की टहनियां बांध कर दौड़ते हुए पेड़ बचाने का संदेश दिया। जरीपटका की बी.जे.एस. गल्र्स हाई स्कूल की करीब 55 छात्राएं अपने हाथ में महात्मा गांधी के अलग-अलग सद्वाक्यों की तख्ती लेकर चलते दिखे।
पृथक विदर्भ के लिए दौड़

वहीं युवा संघ के एक कार्यकर्ता पृथक विदर्भ का संदेश दे रहा था। लोगों को भीड़ में अलग दिखने के लिए हाथ में जो तख्ती पकड़े था, उस पर लिखा हुआ था- रोज जगता था लड़की के लिए, आज जगा हूं पृथक विदर्भ के लिए। इसके अतिरिक्त मैराथन की भीड़ में कुछ विद्यार्थियों का समूह पढ़ाई की बोझ से विद्यार्थियों को आत्महत्या नहीं करने की सलाह देने वाली प्रेरणा देने के लिए हाथ में तख्ती लिए चल रहे थे। इसके अलावा एक धावक महात्मा गांधी की वेशभूषा में सबसे अलग दिख रहा थे।
'थ्री इडियट्सÓ भी थे....

विद्यार्थियों के एक समूह ने हालिया रिलीज फिल्म 3 इडियट्स की तर्ज पर मैराथन में हिस्सा लिया। फिल्म में जहां ऑल इज वेल... गाना है, इसी गाने की तर्ज पर उन्होंने पृथक विदर्भ से जोड़ते हुए कहा कि ऑल इज नॉट वेल। उन्होंने बताया कि वे इसीलिए इडियट्स हैं, क्योंकि विदर्भ पिछड़ रहा है। यदि पृथक विदर्भ राज्य का गठन हो जाता है, तो नो इडियट्स हो जाएंगे। थ्री इडिट्स की भूमिका में एक विद्यार्थी किसान आत्महत्या, दूसरा गांधी और तीसरा पुलिस की भूमिका में था।

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा लगा जानकर.