शनिवार, फ़रवरी 06, 2010

अगले चुनाव में उम्मीदवारों की सूची जारी करेंगे बाबा रामदेव

तीन साल में 150 लाख करोड़ की हो सकती है देश की जीड़ीपी : बाबा रामदेव
संजय स्वदेश
नागपुर।

देश की राजनीति की दशा और दिशा बदलने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव अगले चुनाव में अपने उम्मीदवरों की सूची जारी करेंगे। बाबा रामदेव नागपुर के धंतोली स्थित तिलक पत्रकार भवन में पत्रकारों से अनौचारिक चर्चा कर रहे थे। उन्होंन कहा कि उन्हें राजनीति नहीं करनी है, बल्कि देश की राजनीति बदलनी है। आज राजनीति का अर्थ घटिया कार्यों से लगाया जाता है। जब भी कोई गलत कार्य करता है, लोग कहते हैं क्यों राजनीति करते हो। इसी घटिया राजनीति को बदलनी है। योग के साथ राजनीति बदलने की बात करना देशद्रोह नहीं। उन्होंने बताया कि यह सब कुछ उनके राष्ट्रीय स्वाभिमान अभियान का हिस्सा होगा। सत्ता भ्रष्टाचारी, बेईमान लोगों के लिए नहीं है। इनकी राजनीति को उखाड़ फेंकने के लिए योग के साथ नई भूमिका में आया हूं। इसके लिए गांव-गांव में ईमानदार कार्यकर्ताओं को जोड़ रहे हैं। ये कार्यकर्ता हर गांव में नि:शुल्क योग विद्यालय संचालित करेंगे। हर जिले में कम से कम 500 कार्यकर्ता बनाने का लक्ष्य है। यदि हर जिले के सौ कार्यकर्ता ईमानदारी से हर दिन 11 नये लोगों को जोड़े तो एक जिले में एक माह में 30 हजार से भी ज्यादा स्वाभिमानी कार्यकर्ता बनेंगे और यही कार्यकर्ता लोकसभा में अपने ईमानदार प्रतिनिधि भेजेंगे, विधानसभा की राजनीति तय करेंगे। उन्होंने कहा कि हर गांव में योग गुरु लोगों को बीमारी से मुक्त करेंगे। योग से स्वस्थ्य हुआ व्यक्ति बुराई से मुक्त होगा। हजारों ऐसे उदाहरण है कि योग करने वाले व्यसनों से मुक्त हुए हैं।
ये है बाबा बजट
बाबा रामदेव ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित होनी चाहिए। देश में ग्रामीण उद्योग पर जोर देना चाहिए। विलेज हाउसिंग स्कीम चलानी चाहिए, हर गांव में स्कूल और चिकित्सालय होना चाहिए। कचरा का बेहतर प्रबंधन हो, कृषि में निवेश हो। इस तरह से उन्होंने 12 सेक्टर में विशेष कार्य करने की बात कही। इससे देश का जीडीपी अपने आप बढ़ जाएगा। यदि सरकार इन क्षेत्रों में ध्यान दे तो अगले तीन साल में देश का जीड़ीपी 150 लाख करोड़ का हो सकता है। अब आप कहेंगे कि इसके लिए पैसे कहां से आएंगे। स्वीस बैंक में पड़े काले धन को मंगाने में क्या बुराई है?
बड़े नोट करों बंद, रूक जाएगा भ्रष्टाचार

बाबा रामदेव ने कहा कि अब जनता बहुत जल्द केंद्र सरकार की बेवकूफाना बजट देखेगी। यह बजट ग्राम अधारित नहीं होती है। उन्होंने कहा कि यदि देश को भ्रष्टाचार मुक्त करना है, तो बड़े नोटों की छपाई बंद कर देनी चाहिए और बड़े नोटों को तीन-चार माह की सूचना देकर रद्द कर देनी चाहिए। जब कोई किसी को करोड़ों का का रिश्वत देगा तो उसे ट्रक में भर कर ले जाएगा।
रखने वालों को गोदाम बनाने पड़ेंगे। इससे भ्रष्टाचार पर स्वत: लगाम लगेगा। एक सवाल के जवाब में बाबा रामदेव नक कहा कि अब जो लोग रिश्वत के रूप में दूसरी चीज जैसे सोने का बिस्कुट आदि मांगते हैं, यह रास्ता भी बंद हो सकता है। रिश्वत देने वाला नोटों भरा ट्रक लेकर तो खरीदारी करने जाएगा नहीं। वह चेक से भुगतान करेगा। इससे बेहतर होगा कि वह ईमानदारी से कार्य करंे और करायें।
ब्यूरोक्रेट्स के आगे झुक गए थे मनमोहन सिंह

उन्होंने बताया कि बड़े नोटों को छापना बंद करने की बात उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी की थी। मनमोहन सिंह बहुत बड़े अर्थशास्त्री हैं। मनमोहन सिंह ने भी स्वीकार किया कि बड़े नोट बंद होने से भ्रष्टाचार रूकेगा। तब मनमोहन सिंह ने बताया कि जब वे रिजर्ब बैंक के अपने गर्वनर के कार्यकाल में थे, तब बड़े नोट बंद करने की पहल भी की थी। लेकिन देश के ब्यूरोक्रेट्स ने ऐसा नहीं होने दिया। लेकिन अब मनमोहन सिंह स्वयं प्रधानमंत्री हैं, तो बड़े नोट बंद करने में क्या परेशानी है।
वैदिक चिकत्सा में हो शोध
बाबा रामदेव ने कहा कि 50 लाख करोड़ रूपये के हेल्थ सेक्टर में पारंपरिक वैदिक चिकित्सा पद्धति का योगदान नगण्य है। पारंपरिक शिक्षा पर शोध होनी चाहिए। जिससे की सस्ते में गरीबों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सके। 99 प्रतिशत बीमारियों का समाधान योग में है।
कोई मराठी या बंगाली में न्याय क्यों नहीं मांगता
मराठी मुद्दे पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में योग गुरु ने कहा कि भाषावाद की समस्या की जड़ निर्धनता और भ्रष्टाचार है। महाराष्ट्र के लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है। दूसरे राज्यों के लोग वहां रोजगार नहीं होने से यहां आ रहे हैं। सभी को समझना चाहिए कि यह भारत है और भारत सबका है। राज्य के रोजगार में स्थानीय लोगों की प्राथमिकता तक बात ठीक है, लेकिन लेकिन भाषा के नाम पर मारपीट करना निश्चय ही गलत है। उन्होंने कहा कि अदालत की भाषा अंग्रेजी है। कोई क्यों नहीं कहता है कि उसे बंगाली या मराठी भाषा में न्याय चाहिए। मराठी महाराष्ट्र की भाषा नहीं है। यह भारतीय भाषा है। इसे भारतीय भाषा के रूप में सम्मान होना चाहिए।
कानून अंग्रेजों के जमाने का
बाबा रामेदव ने कहा कि देश में कानून व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे हैं। ये कानून अंग्रेजों ने भारतीयों का दबाने और लुटने के लिए बनाये हुए थे। आजादी के इतने बर्ष बाद अंग्रेजों के जमाने का कानून चल रहा है। इसे बदलना चाहिए।

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3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आभार इस खबर का..आगे आगे देखते हैं होता है क्या!

निर्मला कपिला ने कहा…

धन्यवाद इस जानकारी के लिये बाबा चाहे जी जान से लगे हैं मगर उनके कुनवे मे कुछ लोग घुसपैठ केवल राजनीती की लिये ही कर रहे हैं उन पर नकेल कैसे कसी जायेगी सब लोगों मे स्वामी जी जैसा जज़्वा नही है समर्पण नही है । फिर भी उमीद पर दुनिया कायम है हम भी उमीद करते हैं उनका ये प्रयास सफल हो। मगर काले धन की लम्बी फेहरिस्त देने वाले और कम्पनियों के रहस्य खोलने वाले -- उनका प्रयोजन सन्देह के घेरे मे है क्या किसी एक पार्टी को सामने लाने का प्रयास तो नही ? यही दुविधा है अगर ऐसा हुया तो उस का काम पहले भी देख चुके हैं सभी एक ही थाली के च्ट्टे बट्टे हैं अगर बिलकुल नये सिरे से निश्पक्ष प्रत्याशियों की खोज हो तभी फायदा होगा। धन्यवाद्

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

बाबे राजनीति में आएं इसमें बुरा तो कुछ नहीं है पर इन बाबा को दूसरों की सुनने की आदत भी तो नहीं है, एसी प्रवृत्ति लोकतंत्र में ग्राह्य नहीं होती है... खैर इन्हें भी आजमा लिए जाए तो हर्ज़ क्या है