सोमवार, फ़रवरी 15, 2010

प्यार के दिन पांच किसानों ने की आत्महत्या

पांच दिन में विदर्भ में 16 किसानों ने मौत को गले लगाया
संजय स्वदेश
नागपुर। विदर्भ में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला जारी है।
रविवार 14 फरवरी को विदर्भ के अलग-अलग इलाकों में पांच किसानों ने आत्महत्या कर ली। वेलन्टाइन डे और पुणे में हुई आतंकी हमले के विरोध के शोर में यह खबर सुर्खियों में नहीं आ पाई। विदर्भ जन आंदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने बताया कि 14 फरवरी को पांच किसानों ने आत्महत्या की। इन किसानों के नाम हैं- सुनील देशमुख, नेर (यवतमाल), सचिन लोखंडे, केवलत (अमरावती), बालकृष्ण वाखोडे, दानापीर (अकोला), मनकारा बाई, अंटारी (अकोला) और गुलाबराव, बुलढाणा। किशोर तिवारी ने इन किसानों की आत्महत्या के कारणों के बारे में बताया कि पूरा विदर्भ सूखे की चपेट में है और मजबूर किसान आत्महत्या की ओर उन्मुख हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले पांच दिन में अमरावती, बुलढाणा, अकोला और वर्धा में कुल 16 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
ज्ञात हो कि विदर्भ के 14000 गांव सूखे की चपेट में हैं। फिलहाल सूखे से राहत के लिए सरकार किसी किस्म की तत्कालीन राहत भी नहीं दे रही है। विदर्भ जन आंदोलन समिति का कहना है कि इस सूखे से किसानों की खेती चौपट हो गयी है और उनके लिए खाने पीने का कोई इंतजाम नहीं है। न तो पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो पा रही है और न ही इंसानों के लिए भोजन की। किशोर तिवारी का कहना है कि वर्ष 2006 में विदर्भ ही भयावह स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने क्षेत्र का दौरा किया था। लेकिन इस साल की स्थितियां वर्ष 2006 से भी भयावह है। इतनी विषम परिस्थिति होने के बावजूद सरकार का इस समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं है।
विदर्भ में सूखे की चपेट में अब तक 40 हजार से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। समिति का कहना है कि यह आंकड़ा तो सरकारी है, वास्तविकता इससे और अधिक भयानक है।

1 टिप्पणी:

yogesh ने कहा…

media to stark rahna chahiye. ki wah sansani ki kahbaro se bache