रविवार, अप्रैल 11, 2010

'गुंडाÓऔर थानेदार की भूमिका में कुलपति!


वर्धा हिन्दी विवि में 'दैनिक 1857Ó के संवाददाताओं को राय ने दिखाया डंडा, अश्लील गालियां दीं
सेवाग्राम पुलिस थाने में कुलपति के खिलाफ शिकायत दर्ज

नागपुर से प्रकाशित समाचार पत्र 'दैनिक 1857Ó ने 11 अप्रैल के अंक के प्रथम पृष्ठ पर 'गुंडा और थानेदार की भूमिका में कुलपति!Ó के नाम से एक खबर प्रकाशित की है। प्रकाशित खबर के मुताबिक वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों की नीलामी किए जाने के बारे में लगातार खबरें प्रकाशित कर रहे 'दैनिक 1857Ó के खिलाफ विवि के कुलपति विभूति नारायण राय का गुस्सा उस समय फूट पड़ा जब उन्होंने 'दैनिक 1857Ó के जिला प्रतिनिधि तथा संवाददाता को बुलाकर न केवल डंडा दिखाया बल्कि अश्लील गाली-गलौच करते हुए उन्हें तथा वर्धावासियों को चोर तक कह डाला। पत्रकारों को चोर निरूपित कर पुलिस के हवाले करने की शर्मनाक हरकत से भी राय बाज नहीं आए। पीडि़त पत्रकारों ने राय के खिलाफ सेवाग्राम थाने में शिकायत दर्ज कराई है। किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय में पुलिसिया व्यक्तित्व को कुलपति बनाए जाने का हश्र क्या होता है, यह शनिवार की घटना से सामने आया है। कई पत्रकारों ने राय के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर उन्हें कुलपति पद से अविलंब हटाने की मांग की है। राय के आचरण पर रोष प्रकट करते हुए अनेक स्थानीय लोगों ने आपत्ति दर्ज की है। उन लोगों का कहना है कि कुलपति राय ने एक गुंडा और थानेदार की तरह पत्रकारों के साथ व्यवहार कर महात्मा गांधी के नाम पर स्थापित विश्वविद्यालय की पवित्रता का नाश किया है, उसे अपवित्र बनाया है।
उल्लेखनीय है कि 'दैनिक 1857Ó में पिछले कई दिनों से वर्धा के हिन्दी विश्वविद्यालय में पदों की नीलामी से संबंधित समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किए जा रहे हैं। भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे इस समाचारपत्र पर खीज निकालने का मौका कुलपति विभूतिनारायण राय देख ही रहे थे। शनिवार की सुबह 'दैनिक 1857Ó के जिला प्रतिनिधि प्रफुल शुक्ला और शहर संवाददाता प्रतापसिंह कुशवाह विवि इलाके में वितरण व्यवस्था देखने गए थे कि कुलपति राय ने दोनों को अपने सुरक्षा गार्डों के जरिये बातचीत के लिए अपने पास जबरन बुलाया और उनके आते ही हवा में डंडा लहराकर अश्लील गालियों की बौछार शुरू कर दी। राय ने निचले स्तर पर उतरते हुए पत्रकारों को चोर निरूपित करते हुए कहा कि वर्धा के स्थानीय लोग चोर हैं। हमारे यहां नलों की टोटियां चोरी हो रही हैं और इन्हें स्थानीय लोग भीतर घुसकर चुरा रहे हैं। अपने हाथ में 'दैनिक 1857Ó लेकर निहायत अश्लील भाषा का इस्तेमाल करते हुए राय ने कहा कि 'मेरे खिलाफ ऐसे ही लिखते रहे तो चोरी के इल्जाम में फंसा दूंगा।Ó उन्होंने पत्रकारों की ओर डंडा लहराते हुए कहा- 'मारो सालों को।Ó आसपास के कई लोगों जिनमें विवि के प्रतिकुलपति नयीम हसनैन तथा विशेष कर्तव्याधिकारी राकेश श्रीवास्तव भी मौजूद थे, ने पत्रकारों को घेर लिया। विवि के एक रीडर संतोष भदोरिया जो कि इलाहाबाद केंद्र पर रहते हैं, कुलपति के घर से निकले। उल्लेखनीय है कि रीडर संतोष भदोरिया ने विवि के पदों के लिए आवेदन कर रखा है। ऐसे समय जबकि साक्षात्कार चल रहा हो, भदोरिया की कुलपति के घर में मौजूदगी भ्रष्टाचार की ओर इंगित करती है। पत्रकारों को डांट-फटकार के बाद विवि प्रशासन ने उन्हें सेवाग्राम पुलिस के हवाले कर दिया। थानेदार चंद्रशेखर ठाकरे ने पत्रकारों का बयान लेकर उन्हें रिहा कर दिया। इसके बाद पीडि़त पत्रकारों ने कुलपति राय के खिलाफ अश्लील गालीगलौच करने, डंडे से मारने और गैरकानूनी ढंग से गिरफ्त में रखने की शिकायत दर्ज कराई। इस मामले की जांच सेवाग्राम पुलिस कर रही है।
कुलपति राय ने अपनी शिकायत में बताया है कि संदेहास्पद व्यक्ति विवि परिसर में पाए जाने पर उन्होंने पुलिस को बुलाया जबकि हकीकत यह है कि दोनों पत्रकारों के आगमन संबंधी सूचना विवि के प्रवेशद्वार पर रखी पुस्तिका में दर्ज है। अत: राय का आरोप वैसे ही झूठा साबित होता है।

भ्रष्टाचार के ताजा नमूने
शनिवार को जब 'दैनिक 1857Ó के पत्रकारों को पुलिसिया कुलपति राय जब डंडा दिखा रहे थे तथा अश्लील गालियां दे रहे थे, उसी समय उनके घर से इलाहाबाद सेंटर पर रहने वाले रीडर भदोरिया बाहर निकले। भदोरिया ने विवि में एक प्रोफेसर सहित किसी एक और पद के लिए आवेदन कर रखा है। साक्षात्कार के समय भदोरिया का कुलपति के घर से बाहर निकलना संदेहास्पद है। इसके अलावा 9 अप्रैल को शांति व अहिंसा अध्ययन के लिए हुए साक्षात्कार में विशेषज्ञ के तौर पर बनवारीलाल शर्मा शामिल थे जो इलाहाबाद विवि में गणित के प्राध्यापक रहे हैं। जब देश में समाज विज्ञान, इतिहास, गांधी अध्ययन के विशेषज्ञ मौजूद हों तब इस साक्षात्कार के लिए एक गणित के प्राध्यापक को बुलाना संदेह पैदा करता है। वैसे शर्मा एक एनजीओ भी चलाते हैं।
राष्ट्रपति हस्तक्षेप करेंडा. ओमप्रकाश प्र. नीरज तथा डा. मुकेश कुमार ने वर्धा के हिन्दी विश्वविद्यालय में शिक्षकों की बहाली के लिए हो रहे साक्षात्कार को लेकर 'दैनिक 1857Ó में प्रकाशित हो रहीं खबरों को दुर्भाग्यपूर्ण व पूर्वाग्रह से ग्रसित बताते हुए कहा है कि इन खबरों से साक्षात्कार की पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ खड़ी हुई है। इस मामले में विवि प्रशासन को तुरंत अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। साथ ही इस मामले में महामहिम राष्ट्रपति महोदया को हस्तक्षेप करते हुए प्रतिभाशाली व योग्य प्रतिभागियों को इंसाफ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि खबर में 'गांधी विचारÓ विषय के बारे में भ्रम फैलाया गया है कि 'अहिंसा एवं शांति अध्ययनÓ विषय का गांधी विचार एक हिस्सा मात्र है। यह गांधी विचार विषय के व्यापक पहलू की अनदेखी करने जैसा है क्योंकि 'शांति अध्ययनÓ गांधी विचार विषय के पाठ्ïयक्रम में शामिल है और 'अहिंसाÓ तो पूरे गांधी विचार दर्शन का केंद्रीय विषय वस्तु ही है। डा. उमेश नीरज व डा. मुकेश कुमार ने साक्षात्कार से संबंधित अखबार में छपी खबर की उच्च स्तरीय जांच और दोषी पर कठोर कार्रवाई की मांग राष्ट्रपति व मानव संसाधन विकास विभाग से की है। उन्होंने कुलपति से भी खबरों का संज्ञान लेने तथा योग्य प्रतिभागियों के नाम उछालकर उन्हें षडय़ंत्र का शिकार बनाकर साक्षात्कार को प्रभावित करने वाली कार्यवाही के दोषी व्यक्तियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।

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