मंगलवार, अगस्त 10, 2010

अंधेरे में हो रहा रेती का उत्खनन

2 निरीक्षकों के भरोसे है 38 घाटों की निगरानी
संजय
नागपुर।
गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष नागपुर में निर्माण कार्य ज्यादा होने के कारण रेत की भारी मांग है। इस मांग की पूर्ति के लिए रेत माफिया अवैध तरीके से रेतघाटों से रेती का उत्खनन कर रहे हैं। इनके ये काले कारनामे किसी की नजर में न आए, इसके लिए वे रात के अंधेरे का सहारा ले नियमों की धज्जिया उड़ा रहे हैं। इससे उनकी कमाई भी मोटी हो रही है जबकि माइन्स एवं मिनरल एक्ट 1957 के अनुसार रात के समय रेत का उत्खनन नहीं किया जा सकता है, लेकिन अवैध उत्खनन के लिए रात्रिकाल ही बेहतर समय हो रहा है। रेत घाट के माफिये नियम व कानून को ताख पर रख कर यह कार्य कर रहे हैं। रेतमाफियाओं के इस अवैध कार्य में ट्रक वाले भी खूब कमा रहे हैं। जानकारों की मानें तो हर दिन, दिन में 150 से 200 ट्रक रेत का उत्खनन होता है। हर ट्रक ओवरलोड होता है। दिन में जहां रेत ढोने वाले ट्रकों का किराया 2500 से 3000 रुपया है, तो वहीं रात में अवैध उत्खनन के रेत को ढोने के लिए करीब 4000 रुपये किराया वसूला जाता है। अनुमान है कि रात के समय भी हर दिन कम से कम 100 ट्रक रेतों की ढुलाई होती है। ओवरलोडेड ट्रक का नकारात्मक असर सड़कों पर भी पड़ रहा है। रेतीघाट के पास से गुजरने वाली सड़क की जर्जर हालत को देखकर स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।
हस्तांतरित हो गए निरीक्षक
प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी निष्क्रिय है। निष्क्रियता उसकी मजबूरी भी है। नागपुर की 8 तहसीलों में 38 रेती घाटों के उत्खनन कार्यों की निगरानी महज 2 निरीक्षकों के भरोसे है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमारी मजबूरी है। हम क्या करें, महज 2 निरीक्षक जिले के इतने घाटों पर सही तरीके से निगरानी नहीं रख सकते हैं। ज्ञात हो कि वर्ष 2008 तक विभाग में 10 निरीक्षक थे लेकिन धीरे-धीरे सभी निरीक्षकों का स्थानांतरण हो गया। सूत्रों का यकीन मानें तो निरीक्षकों के हस्तांतरण में रेत उत्खनन माफियाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
96 घाट हुए थे चिन्हित
ज्ञात हो कि खनन विभाग ने वर्ष 2009-10 के लिए रेत उत्खनन के 62 घाटों को मंजूरी दी है। इसमें से महज 22 घाटों की ही नीलामी हुई। इस वर्ष 1 अगस्त 2010 से जुलाई 2011 तक 38 घाटों की नीलामी होनी थी। सूत्रों की मानें तो खान विभाग ने इस वर्ष नागपुर की 8 तहसीलों में 96 घाटों को रेत उत्खनन के लिए चिन्हित किया था। इसका प्रस्ताव भूजल सर्वेक्षण एजेंसी (जीएसडीए) के पास भेजा गया लेकिन जीएसडीए ने महज 62 घाटों से ही रेत उत्खनन कार्य के लिए अनुमति दी। वहीं ग्राम सभा ने केवल 38 घाटों से ही उत्खनन पर अंतिम रूप से सहमति दी लेकिन जिले के दूरवर्ती क्षेत्रों में अवैध उत्खनन कार्य धड़ल्ले से जारी है।
ठेका लेना महंगा, अवैध काम सस्ता
जानकारों का कहना है कि गत वर्ष की तुलना में नागपुर में निर्माण कार्यों की संख्या तेजी से बढऩे से रेत की मांग बढ़ गई है। इस कारण भी रेत के अवैध उत्खनन को प्रोत्साहन मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर रेती घाटों की नीलामी के लिए आमंत्रित निविदाओं को भरने वालों की संख्या कम हो रही है। सूत्रों का कहना कि प्रभावशाली ठेकेदार निविदा में लाखों की बोली लगाने के बजाय विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ साठगांठ कर रेत उत्खनन करना बेहतर समझ रहे हैं। इससे रेतमाफियाओं को मोटा मुनाफा हो रहा है। वहीं दूसरी ओर जो ठेकेदार उत्खनन का ठेका ले रहे हैं, वह एक वैध ठेका की आड़ में दूसरे घाटों में अवैध उत्खनन कर रहे हैं।
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