गुरुवार, सितंबर 30, 2010

न तूम हारे न हम जीते

आखिर वर्षों इंतजार के बाद अयोध्या प्रकरण में अदालत को निर्णय आ गया। यह कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह इसलिए कि इसमें हर पक्ष को खुश करने की कोशिश है। देश में उत्पन्न माहौल में सधा हुआ निणर्य है। कुल मिलाकर स्थिति न तुम हारे, न हम जीते जैसी है। रामचंद्र भले भले ही रामायण और रामचरित मानस के पात्र हो। लेकिन कोर्ट ने इस आस्था को प्रमाणित कर दिया कि रामचंद्र की पावन जन्मभूमि अयोध्या ही थी।
खैर, यदि कोई पक्ष इस निर्णय के खिलाफ अदालत में नहीं जाए तो फैसले को लगाू कराना अब बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। बेहतर होता कि सुन्न वक्फ बोर्ड या कोई अन्य संगठन अथवा कोई व्यक्ति विशेष इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की की शरण में जाने के बजाय, इस ऐतिहासिक अध्याय को यहीं विराम देकर नई पीढ़ी को शांति और अमन एक एक नया सौगात दे दे।

कोई टिप्पणी नहीं: