ऐसा कई बार होता है, जब सड़क पर कोई दुर्घटना ho जाती है। घायल अचेत या कराहता रहता है। लोगों की भीड़ जमा हो जाती है। लेकिन कोई जल्दी उसे अस्पताल पहुंचाने की जहमत नहीं उठाता है। लोगों में इस भ्रम का भय है कि यदि उन्होंने घायल को अस्पताल पहुंचाया तो पुलिस कारवाई में उन्हें भी घसीटेगी। पुलिस कार्रवाई का इतना डर कि सामने में तपड़ते हुये व्यक्ति के प्राण पखेरू उड़ जाते हैं।
bhaskar ki khabar hain ki चंडीगढ इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 में बुधवार दोपहर हादसे के बाद चौथी क्लास का मुन्ना सड़क पर तड़पता रहा। भीड़ इकट्ठा हुई, लेकिन उसे अस्पताल पहुंचाने के बजाय हंगामा करती रही। भीड़ नाराज थी कि वक्त पर पीसीआर नहीं पहुंची, लेकिन भीड़ में से किसी ने भी मुन्ना को अस्पताल पुहंचाने की जहमत नहीं उठाई। 3 मिनट में स्पॉट पर पहुंचने का दावा करने वाली पीसीआर जिप्सी 30 मिनट बाद पहुंची और मुन्ना को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
गुरुवार, फ़रवरी 24, 2011
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