दिल्ली : इंदप्रस्थ से ढिल्लिका तक का सफर/ दिल्ली को देश की राजधानी बनाए जाने के सौ बरस पूरे होने पर विशेष
नई दिल्ली। अगर पुराने जमाने के नगर देवता की परिकल्पना सच है तो दिल्ली का नगर देवता जरूर कोई अलबेला कलाकार रहा होगा। तभी तो सात बार उजड़ने और बसने के बाद भी इस शहर में गजब की रवानगी है। कनॉट प्लेस से शांतिपथ तक फैला लुटियंस जोन क्षेत्र पश्चिम के सुव्यवस्थित नगर जैसा प्रतीत होता है, वहीं पुरानी दिल्ली की संकरी गलियां ‘बनारस’ की याद ताजा कर देती हैं। अंग्रेजों ने 1911 में कलकत्ता के स्थान पर नई दिल्ली को एकीकृत भारत की राजधानी बनाया, जिस स्थिति को आजादी के बाद भी बदला नहीं गया।
इतिहासकारों के मुताबिक, देश में बहुत कम नगर है, जो दिल्ली की तरह अपने दीर्घकालीन अविच्छिन्न अस्तित्व एवं प्रतिष्ठा को बनाये रखने का दावा कर सकेंं। दिल्ली के प्रथम मध्यकालीन नगर की स्थापना तोमर शासकों ने की थी, जो ढिल्ली या ढिल्लिका कहलाती थी। इतिहासकार वाई डी शर्मा के अनुसार, ढिल्लिका नाम का प्रथम उल्लेख उदयपुर के बिजोलिया के 1170 ईसवी के अभिलेख में आता है, जिसमें दिल्ली पर चह्वानों (चौहानों) द्वारा अधिकार किए जाने के उल्लेख है। गयासुद्दीन तुगलक के 1276 के पालम बावली अभिलेख मेंं इसका नाम ढिल्ली लिखा है, जो हरियानक प्रदेश में स्थित है। उनके अनुसार, लाल किला संग्रहालय में रखे मुहम्मद बिन तुगलक के 1328 के अभिलेख में हरियाना में ढिल्लिका नगर के होेने का उल्लेख है। इसी प्रकार डिडवाना के लाडनू के 1316 के अभिलेख में हरीतान प्रदेश में धिल्ली नगर का जिक्र है।
शर्मा ने स्पष्ट लिखा है कि अंग्रेजी शब्द डेल्ही या दिहली या दिल्ली इसी से निकला है, जो अभिलेखों में ढिल्ली का साम्य है। इसको हिन्दी शब्द ‘देहरी’ से जोड़कर देखना केवल कल्पना मात्र है। दिल्ली पर तोमर, चौहान, गुलाम, खिलजी, तुगलक, सैयद, लोदी, सूर, मुगल वंश के शासकों ने राज किया और 1911 मेें अंग्रेजों ने कलकत्ता के स्थान पर इसे एकीकृत भारत की राजधानी बनाया, जिस स्थिति को आजादी के बाद भी बदला नहीं गया।
महाभारत के अनुसार, कुरू देश की राजधानी गंगा के किनारे हस्तिनापुर में स्थित थी और कौरवों एवं पांडवों के बीच संबंध बिगड़ने के बाद धृतराष्ट्र ने उन्हें यमुना के किनारे खांडवप्रस्थ का क्षेत्र दे दिया। यहां बसाये गये नगर का नाम इं्रदपस्थ था। शर्मा के अनुसार, सोलहवीं शताब्दी में बने पुराने किले के स्थल पर ही संभवत इंदप्रस्थ बसा हुआ था, जो महाभारत महाकाव्य के योद्धाओं की राजधानी थी। इस स्थान पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने खुदाई भी की, जिसमें प्रारंभिक ऐतिहासिक काल से लेकर मध्यकाल तक के आवास होने के प्रमाण मिले हैं। यहां उत्तर गुप्तकाल, शक, कुषाण और मौर्यकाल तक के घरों, सोख-कुओं और गलियों के प्रमाण मिले हैं। 1966 में मौर्य सम्राट अशोक के 273-236 ईसा पूर्व के अभिलेख की खोज 1966 में हुई, जो श्रीनिवासपुरी पर अरावली पर्वत श्रृंखला के एक छोर पर खुरदुरी चट्टान पर खुदा हुआ है। शर्मा के मुताबिक, सात नगरों में सबसे पहला दसवीं शताब्दी के अंतिम समय का है, लेकिन यह दिल्ली के अतीत का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए काफी नहीं है और यह यहां के दीर्घकालीन और महत्वपूर्ण इतिहास के सम्पूर्ण काल का प्रतिनिधित्व करता है।
ऐसा लगता है कि दिल्ली के आसपास पहली बस्ती लगभग तीन हजार साल पहले बसी थी और पुराने किले की खुदाई में मिले भूरे रंग के मिट्टी के बर्तन मिले हैं, जो एक हजार साल से अधिक पुराने है। इतिहास में उल्लेखित दिल्ली के सात नगरों में बारहवीं सदी में चौहान शासक पृथ्वीराज तृतीय का किला राय पिथौरा, 1303 में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बसायी गई सीरी, गयासुद्दीन तुगलक द्वारा बसाया गया तुगलकाबाद, मुहम्मद बिन तुगलक का जहांपनाह शहर, फिरोजशाह तुगलक द्वारा बसाया गया फिरोजाबाद (कोटला फिरोजशाह) शेर शाह सूरी का पुराना किला और 1638-1648 के बीच मुगल शासक शाहजहां द्वारा बसाया गया] शाहजहांबाद शामिल है। इसके बाद अंग्रेजों ने 1911 में अपनी राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित कर दी और रायसीना हिल्स में अंग्रेज वास्तुकार लुटियंस ने नई दिल्ली की योजना तैयार की और इसके बाद 1920 के दशक में पुरानी दिल्ली के दक्षिण में नयी दिल्ली यानी लुटियंस की दिल्ली बसाई गई।
1947 में भारत आजाद हो गया और नयी दिल्ली देश की राजधानी बनी। 1991 में संविधान में 69वां संशोधन हुआ और इसके तहत कें्रद शासित प्रदेश दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नाम से जाना जाने लगा।
वर्तमान नई दिल्ली क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा महानगर और भारत का दूसरा सर्वाधिक आबादी वाला शहर है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की आबादी 1,67,53,235 है और यह दुनिया का आठवां सबसे बड़ा शहर है।
सोमवार, अगस्त 01, 2011
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