2014 तक करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के सर्वेक्षण की योजना
नई दिल्ली। बंगाल की खाड़ी, खम्भात की खाड़ी और अंडमान क्षेत्र से लगे सागर
में मौजूद अमूल्य खनिज संपदाओं, प्राकृतिक गैस, परतों की बनावट एवं धातु
तत्वों की मौजूदगी आदि का पता लगाने के लिए सरकार ने अपतटीय एवं समु्रदी
सर्वेक्षण शुरू किया है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव शैलेश नायक ने
कहा कि इस योजना के तहत 2014 तक करीब 90 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के
सर्वेक्षण की योजना बनाई गई है। यह काम भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआई)
के सहयोग से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के तहत पश्चिमी
बंगाल की खाड़ी में ‘गैस सर्वेक्षण’ की अहम योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है।
राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुंद्र अनुसंधान केंद्र (एनसीएओआर) गोवा भी
शामिल है। समुद्र सर्वेक्षण की योजना के तहत पूर्वी और पश्चिमी अपतटीय
क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन के भूगर्भ रसायन के आकलन के लिए जीएसआई के साथ
तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की भी मदद ली जा रही है।
इस योजना के तहत 2013-14 के लिए जिन योजनाओं को रेखांकित किया गया है,
उनमें बंगाल की खाड़ी में समु्रद तल में ढांचागत बदलाव और चुंबकीय पैटर्न
में परिवर्तन का अध्ययन शामिल है। इसमें सुमात्रा में आए भूकंप के
मद्देनजर ग्रेट निकोबार द्वीप पर पड़ने वाले प्रभाव और पश्चिमी तटीय
क्षेत्र में फास्फोरस तत्वों का पता लगाया जाएगा।
अपतटीय एवं समु्रदी सर्वेक्षण योजना के तहत, तमिलनाडु और उड़ीसा से लगे
समु्रदी क्षेत्रों में खनिज संसाधनों का मूल्यांकन किया जाएगा। अधिकारी
ने बताया कि हिंद महासागर में एक ऐसे उपकरण का भी परीक्षण किया जा रहा है
जो समुद्र की गहराई में संसाधनों का पता लगाने में सक्षम होगा।
कई राज्यों में लागू होगी योजना
समु्रद सर्वेक्षण की इस योजना में केरल, गुजरात, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु
जैसे राज्यों ने जीएसआई के साथ मिलकर काम करने में काफी रुचि दिखाई है।
इसके तरह बहु धातु तत्वोें, हाइड्रोकार्बन और सल्फाइड के भंडार का पता
लगाया जाएगा।
योजना के तहत 2013-14 में आंध्रप्रदेश के भिमुनिपट्टनम के समुद्री इलाकों
में खनिज संपदा का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके अलावा ओखा क्षेत्र में
केरल और कर्नाटक के समु्रदी क्षेत्र में खनिज युक्त बालू का मूल्यांकन
किया जाएगा।
केंद्रीय अंडमान क्षेत्र में समुद्री क्षेत्र में जलउष्मीय गतिविधियों का
भी अध्ययन किया जाएगा। हिन्द महासागर में कोबाल्ट बहुल क्षेत्रों में भी
यह अध्ययन किया जाएगा, जबकि अंडमान सागर में सल्फाइड खनिज की तलाश के
अलावा समुद्र के भीतर ‘ टेक्टोनिक ’ परतों की संरचना का भी अध्ययन होगा।
दूसरे देशों से ली जाएगी मदद
अधिकारी ने बताया कि इस वृहद समु्रदी सर्वेक्षण में कनाडा, आस्ट्रेलिया,
श्रीलंका, इंडोनेशिया और नामिबिया से भी मदद ली जाएगी, क्योंकि इसके लिए
तकनीकी दक्षता एवं नये पोतों की जरूरत है।
लंबी अवधि की योजना
जीएसआई ने इस उद्देश्य के लिए 30 से 35 वर्ष की योजना तैयार की है जिसके
तहत पोतों और अत्याधुनिक उपकरणों की खरीद की जायेगी ताकि क्षमता का
विस्तार किया जा सके।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें