बुधवार, फ़रवरी 24, 2010

रेल बजट : विदर्भ की झोली में झुनझुना

किसान मर रहे हैं विदर्भ में परियोजना गई नासिक में
नागपुर।
पृथक विदर्भ आंदोलन को गति पकड़े देख यह उम्मीद जताई गई थी कि रेलवे बजट में विदर्भ के लिए कुछ खास दिया जाएगा। लेकिन केंद्रीय रेल बजट में लोकलुभावन योजनाओं के बौछार से विदर्भ गिला नहीं हो सका। हर बार की तरह इस बार भी विदर्भ के झोली में झुनझुना आया है।

संजय स्वदेश आश्चर्य की बात है कि किसान आत्महत्या की समस्या पर तैयार प्रस्ताव किसान विजन परियोजना में विदर्भ का नाम नहीं है। बजट प्रस्तुत करते हुए रेलमंत्री ममता बनर्जी ने देश में किसान आत्महत्या पर चिंता जताते हुए इस प्रस्ताव पर जोर दिया। अपने भाषाण में कहा कि देश में 35 हजार करोड़ रूपये की किसानों की उपज नष्ट हो रही है। किसानों के हीत में कंधे से कंधा मिला कर चलने के उद्देश्य से ही इस योजना को शुरू किया गया है। पर जरा संयोग देखिये। देश में सबसे ज्यादा आत्महत्या ग्रस्त क्षेत्र विदर्भ के बजाय इस परियोजना के लिए नासिक को चुना गया है। विदर्भ के नेता पहले से ही आरोप लगा रहे हैं कि विदर्भ के लिए आवश्यक योजनाओं को विदर्भ से बाहर क्रियान्वयन के लिए चुन लिया जाता है। किसान समस्याओं के नाम पर नासिक में किसान विजन परियोजना से पृथक विदर्भ समर्थक नेताओं को एक और मुद्दा मिल गया है।
93 मल्टी फंक्शनल परिसर वाले रेलवे स्टेशन में विदर्भ से केवल वर्धा स्टेशन को शामिल किया गया है। इसके अलावा बडनेरा में माल डब्बा के मरम्मत के लिए कारखाना और ओपीडी एवं डायग्नोस्टिक सेंटर खोलने के लिए अकोला स्टेशन को चुना गया है। नागपुर से किसी भी नये ट्रेन को चालने की योजना नहीं। दूर-दराज के दूसरे स्टेशनों से चलने वाली कई गाडिय़ों में से दो-तीन ही नागपुर से होकर गुजरेगी। वर्धा-काटोल और वरोरा-उमरेड के लिए नई रेलवे मार्ग के लिए प्रस्ताव है। पर नई संपर्कलाइन की सूची में विदर्भ के स्टेशन गायब है। नई रेल लाईन की 11 परियोजना में भी विदर्भ विदर्भ की झोली में कुछ नहीं आया। रेल मार्ग को दोहरी लाइन करने के प्रस्ताव में गोधनी-कलमना की छोटी दूरी का ही नाम है।
गोंदिया-बिलारशाह वाया नागभीड़ के लिए 250 किलोमीटर के मार्ग का विद्युतिकरण की घोषणा की गई है। तीन सप्ताहिक कर्मभूमि गाडिय़ों में एक गुवहाटी-मुंबई वाया टाटानगर नागपुर हो चलेगी। नई जन्मभूमि गाडियों में एक भी नागपुर से नहीं है। भारत तीर्थ गाडिय़ों में भी एक भी नागपुर या विदर्भ से नहीं है। इनमें दो-तीन का ही रूट नागपुर से है। नई दुरंतों में से एक भी विदर्भ से नहीं है। इसमें से एक पुरी हावडा के बीच प्रस्तावित नई दुरंतों ही नागपुर से होकर गुजरेगी। नागपुर से गुजरने वाली पटना बैंगलुरु एक्सप्रेस अभी तक सप्ताह में छह दिन चलती थी। अब उसे हर दिन के कर दिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर के 10 नये स्टेशनों में विदर्भ से कोई नहीं है। माल डब्बा निर्माण कारखाना में महाराष्ट्र का नाम नहीं। पतन संपर्कता में विदर्भ का एक भी स्टेशन शामिल नहीं है। इसमें महाराष्ट्र के रेवास, धारमतार और दिघी का नाम है। लंबी दूरी की सेवाओं के लिए प्रस्तावित 42 ट्रेंनों में से नागपुर से एक भी नहीं। 28 नई पैसेंजर गाडिय़ों में से भी विदर्भ की झोली में कुछ नहीं मिला।
जनता आहार योजना नागपुर स्टेशन पर भी शुरू होगी। स्टेशन पर अंडरपाास व सीमित ऊंचाई वाले सबवे बनाने के लिए चिन्हीत स्टेशनों में नाम की की भावना बहुत कम। 50 शिशु सदनों और 20 हॉस्टलों में से कोई नागपुर में होगा यह नहीं अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है।

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