रविवार, मई 23, 2010

घटनाओं की जड़ तक पहुंचती है लघु पत्रिकाएं


'लघु पत्रिकाओं पर तत्कालिक प्रतिक्रियाÓ पर कार्यक्रम आयोजित

नागपुर। लघु पत्रिकाएं सामाजिक व राजनितिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए साहित्यिक चेतना जगाने का काम कर रही है। लघु पत्रिकाओं से जहां नवलेखन पल्लवित होता है, वहीं सामान्यजन की आशा-आकांक्षओं को अभिव्यक्ति मिलती है। घटनाओं की जड़ तक पहुंचकर सच्चाई को उजागर करने का काम कर रही हैं पत्रिकाएं। यह बात वक्ताओं ने लोहिया अध्ययन केंद्र की ओर से साहित्यिक, वैचारिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में 'लघु पत्रिकाओं पर तत्कालिक प्रतिक्रियाÓ कार्यक्रम में कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डा ओमप्रकाश मिश्रा ने की। वक्ता के रुप में युवा पत्रकार उमेश यादव, चित्रकार सुभाष तुलसीता व कवि कृष्णकुमार द्विवेदी उपस्थित थे। सुभाष तुलसीता ने कहा कि समाचारपत्रों में रोज नई घटनाएं होती है और पुरानी पीछे छुट जाती है, जबकि लघु पत्रिकाएं उप घटनाओं की जड़ों तक पहुंचकर सच्चाई उजागर कसने का काम करती है। उन्होंने 'नई आजादी उदघोषÓ पत्रिका की पड़ताल करते हुए बताया कि इसमें जनसरोकारों से जुड़े मुद्दे उठाए गए है। 'लक्ष्मीनारायण मिश्र ने कार्पोरेटरी दानव लील रहा है बचपनÓ आलेख में राजस्थान में अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों में कार्यरत बाल मजदूरों का शोषण, गुजरात में कपास के ढेर पर जहरीली दवाओं का छिड़काव करने वाले बच्चों, के शरीर पर दवाओं से होनेवाला परिणाम आदि को उजागर किया है। साथ ही केरल मेपेप्लिको के खिलाफ गांववासियों के आंदोलन और माओवादी समस्याओं को भी उठाया गया है। सुभाष ने कहा कि यह पत्रिका लोगों को जनहित से जुड़े मुद्दों से जोड़ती ही नहीं, बल्कि कुछ करने के लिए प्रोत्साहित भी करती है। कार्यक्रम के अध्यक्ष डा ओमप्रकाश मिश्रा ने लघुपत्रिकाओं पर संवाद को अनूठा कार्यक्रम बताते हुए कहा कि लघु पत्रिकाओं का हमारे सामाजिक व राजनीतिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। आजादी के संघर्ष और स्वतंत्रता के बाद लघुपत्रिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होने कहा कि 60 के दशक में लघुपत्रिकाओं का आंदोलन चला लेकिन इसे गति नहीं मिली। लघु पत्रिकाओं से नवलेखन पल्लवित होता है। उन्हे प्रोत्साहन मिलता है।
आशु सक्सेना ने कहा कि लघु पत्रिकांए ज्वलंत मुद्दों पर विस्तृत जानकारी देकर हमारे ज्ञान में वृद्धि करती है। उन्होंने 'सामयिक वार्ताÓ पत्रिका का अवलोकन करते हुए कहा कि इसमें दंतेवाड़ा में नक्सली हमले की नीति और वास्तविकता, भाषा, विवाद, शिक्षा आदि विषयों पर महत्वपूर्ण आलेख है। उन्होंने लघु पत्रिकाओं के अस्तित्व को टिकाए रखने पर बल दिया। इस अवसर पर कृष्णकुमार द्विवेदी ने कहा कि आम आदमी से जुड़े विषयों पर रचनाओं के कारण लघु पत्रिकाएं पठनीय होती है। रचना किसी भी विधा में ही उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए।
उमेश यादव ने कहा कि लघु पत्रिकाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने प्रतिष्ठित पत्रिका 'कथनÓ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पत्रिका कहानी, कविता व आलेखों के माध्यम से पत्रकारिता को आगे बढ़ा रही है। वैचारिक पत्रकारिता के संकट के दौर में लघुपत्रिकाएं विचार की पत्रकारिता कर रही हैं। लघुपत्रिकाओं में नवलेखकों को भी स्थान दिया जाता है।
प्रास्ताविक लोहिया अध्ययन केंद्र के सचिव हरीश अड्यालकर, संचालन टीकाराम साहू 'आजादÓ तथा आभार प्रदर्शन माधवराव दादिलवार ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
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