लोभियों के जाल में फंसा झारखंड, राज्यपाल शीघ्र दखल लें : सहाय
नागपुर। झारखंड आज लोभियों के जाल में बुरी तरह फंस चुका है। पिछले 20 दिनों से वहां सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। अनिश्चित राजनीतिक स्थितियों के बीच राज्यपाल को दखल लेना जरूरी हो गया है। यह कहना है केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री सुबोधकांत सहाय का। वे सोमवार की शाम नागपुर में पत्रकारों से चचा्र कर रहे थे। सहाय ने कहा कि लोभियों के जाल में फंस चुके झारखंड राज्य का एक-एक अंग लोभ नोंच रहे हैं। भाजपा वहां जिस तरह का राजनीतिक खेल खेल रही है, उससे उसका लोभी चेहरा पहली बार उजागर हुआ है। भाजपा क्षेत्रीय पार्टियों को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर रही है। यह पहली बार देखने में आया है कि संघ परिवारर वाले इतने कपटी हो सकते हैं।
सहाय ने कहा कि बिहार से अलग होने पर झारखंड राजस्व तथा विद्युत उत्पादन में सरप्लस था, लेकिन पिछले 10 में से 8 वर्षों तक झारखंड में भाजपा की सरकार ने झारखंड को काफी पीछे ले जाकर छोड़ दिया है। पहले झारखंड के 3 जिलों में ही नक्सलवाद था, आज वह 24 जिलों में फैल चुका है। आज भाजपा झारखंड के साथ घिनौना मजाक कर रही है। झारखंड के साथ ही बने छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड आज कहां से कहां पहुंच गए लेकिन झारखंड लगातार पीछे जा रहा है। भाजपा को इसका प्रायश्चित करना ही होगा। आज भाजपा इस प्रयास में है कि जो भी उसके स्वार्थ की पूर्ति करेगा, वही मुख्यमंत्री बनेगा। इसी कारण से झारखंड में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। भाजपा संसदीय बोर्ड कोई ठोस फैसला नहीं ले पा रहा है। यह समझ में नहीं आ रहा है कि यह संसदीय बोर्ड है या मदारियों का अड्डïा! झामुमो नेता शिबू सोरेन आज परिवारवालों के अलावा भाजपा के कारण भी निरीह, असहाय हो चुके हैं। झामुमो के विधायकों को हाईजैक करने का प्रयास भाजपा कर रही है जिससे स्थिति खराब हो चुकी है। राज्यपाल को तुरंत दखल लेना जरूरी हो गया है।
सामूहिक खेती करें किसान
सहाय ने विदर्भ के बदहाल किसानों को सामूहिक खेती करने का आह्ïवान करते हुए कहा कि इसमें उनका तो लाभ होगा ही, निवेशकों का भी लाभ होगा। अमरावती में सोमवार को आयोजित निवेशक सम्मेलन को बेहद सफल बताते हुए सहाय ने कहा कि इसमें कृषि व अन्य उद्योगों से जुड़े उद्योजक शामिल हुए थे। अमरावती में फुड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री जरूरी बताते हुए सहाय ने कहा कि इसके लिए सरकार पूरी मदद करेगी। उन्होंने किसानों व निवेशकों से मिलकर सामूहिक खेती करने की सलाह दी। निवेशक कृषि उद्योग में पैसा लगाएंगे और किसान मेहनत करेगा। नुकसान होने पर निवेशक सहेगा। फुड प्रोसेसिंग यूनिट को राज्य और केंद्र सरकार मिलकर 25 प्रतिशत या 50 लाख रुपये की मदद करेंगे। राज्य सरकार क्वालिटी कंट्रोल लैब के लिए 100 प्र.श. तथा निजी क्षेत्र की कंट्रोल लैब को 50 प्र.श. तक मदद केंद्र सरकार देगी। फुड प्रोसेसिंग डिप्लोमा-डिग्री कोर्स चलाने वाले कालेजों को भी उनका मंत्रालय हरसंभव मदद करेगा। सहाय ने कहा कि किसान बाजारोन्मुखी खेती करते हैं तो उन्हें काफी लाभ मिलेगा। देश में हरितक्रांति लाना हो तो सामूहिक खेती ही एकमात्र चारा है। खेती व्यापार आधारित होनी चाहिए। किसान इससे 10,000 रु. प्रतिमाह कमाएगा तो भी राजा बन जाएगा। खेती में निवेश करने वाले को राज्य सरकार ने भी प्रोत्साहित करना चाहिए। अगले एक-दो माह में केंद्र सरकार सामूहिक खेती के बारे में ठोस निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में केंद्र सरकार विदर्भ के उद्योगों को प्राथमिकता देगी बशर्ते वे कृषि आधारित उद्योग हों। चर्चा के समय राज्य के पशु संवर्धन व दुग्ध विकास मंत्री नितिन राऊत भी उपस्थित थे।
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