नागपुर। शहर में आवारा कुत्तों की भरमार है। मनपा की मानें तो नागपुर में 54 हजार आवारा कुत्ते हैं। इनकी बढ़ती संख्या रोकने के लिए मनपा की ओर से चलाये जा रहे नसबंदी कार्यक्रम पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी नतीजा कुछ खास नहीं निकला है। नगर में इन दिनों आवारा कुत्तों की भरमार हो गई है। रात के समय दोपहिया वाहनचलाकों के लिए यह सबसे बड़े मुश्किल बने हुए हैं। जैसे ही कोई वाहन चालक गुजरता है इनका झुंड उनकी ओर तेजी से दौड़ता है।
कुत्तों की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाने के लिए मनपा और मनपा की ओर से नियुक्त एनजीओ के दावों की पोल खुल चुकी है। बांबे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने वर्ष 2006 में मनपा को पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम चलाने का निर्देश दिया था। इसके बाद मनपा ने अवारा कुत्तों की नसबंदी पर लाखों खर्च कर उनकी संख्या कम होने का दावा किया है। लेकिन इसके बाद भी नगर के अनेक चौक-चौराहे और गली-मुहल्लों में सैकड़ों आवारा कुत्ते घूमते हुए दिखते हैं। इन अवारा कुत्तो पर नसबंदी होने के कोई निशान भी नहीं हंै। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इस कार्य में कितना भ्रष्टाचार है।
हालांकि मनपा ने कोर्ट में दिये अपने शपथपत्र में कहा था कि पहले शहर में 8300 आवारा कुत्ते थे। बाद में यह संख्या 33000 बताई गई। अब मनपा कह रही है कि वर्ष 2006 से 2008 के बीच इनकी संख्या बढ़कर 53000 के करीब हो चुकी है। ज्ञात हो कि शहर में आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रण में रखने के लिए उनकी नसबंदी का ठेका पांच गैर सरकारी संगठन आईएसएडब्ल्यू, वाईएमसीए, एसपीसीए और रॉयल वेटनरी सोसाइटी को दिये गये थे। वर्ष 2008 के बाद एनएमसी ने वाईएमसीए और रॉयल वेटरनी सोसाइटी को ही यह ठेका वर्ष 2008 में मिला। आईएसएडब्लयू लक्ष्मीनगर, नेहरू नगर, हनुमान नगर, लकडग़ंज और संतरंजीपुरा जोन के आवारा कुत्तों के नसबंदी की जिम्मेदारी है। बाकी जोन की जिजमेदारी एसपीसीए को है, जिसमें धंतोली, धरमपेठ, मंगलवारी और आसीनगर जोन का समावेश है।
ज्ञात हो कि एक कुत्ते की नसबंदी के लिए मनपा 370 रुपये का टीका लगाती है, इन्हें पकडऩे के एवज में 75 रुपया खर्च किया जाता है। पकडऩे के लिए वाहन और उसमें लगने वाले डीजल भी मनपा की ओर से उपलब्ध कराया जाता है। मनपा के वर्तमान आंकड़े कहते हैं, नगर में 53,928 अवारा कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है। इसमें ने से 28720 नर और 25208 मादा कुत्ते हैं। इनके नसबंदी के लिए अब तक करीब 19.95 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। वाईएमसीए और रॉयल वेटरनी सोसाइटी के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी हर दिन औसतन 10 से 12 आवारा कुत्तोंं के नसबंदी का कार्य जारी है।
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