-विशेषज्ञों ने लगाया 400 लाख क्विंटल कपास होने का अनुमान
-मानसून फेर सकता है उम्मीदों पर पानी
संजय स्वदेश
नागपुर। कपास फसल के भारी नुकसान के लिए प्रसिद्ध विदर्भ में कपास की खेती से किसानों को इस बार उम्मीद की नई किरण जगी है। विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि इस बार विदर्भ में करीब 400 लाख क्विंटल कपास का उत्पादन हो सकता है। यदि विशेषज्ञों का अनुमान सही निकला तो एक दशक में यह पहला ऐसा मौका होगा, जब कपास उत्पादन करने वाले किसानों के चहरे पर एक मुस्कान आएगी। अभी तक विदर्भ में सबसे ज्यादा कपास उत्पादक किसानों ने ही आत्महत्या की है। ज्ञात हो कि पूरे विदर्भ में करीब 3 लाख हेक्टेयर भूमि में में कपास की खेती होती है।
्रमहाराष्ट्र राज्य को-ऑपरेटिव कॉटन-ग्वार मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के चेयरमैन एन.पी. हिरानी ने बताया कि इस बार खरीफ की फसल की प्रारंभिक रिपोर्ट काफी सकारात्मक है। ऐसा लगता है कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में करीब 20 से 25 प्रतिशत ज्यादा कपास की उपज होगी। हालांकि बीते वर्ष में भी कपास की उपज कम हुई थी। पिछले वर्ष जहां 325 लाख क्विंटल कपास की उपज हुई थी, वहीं इस वर्ष करीब 400 लाख क्विंटल कपास होने की संभावना दिख रही है। हिरानी ने राष्ट्रीय स्तर पर इस वर्ष कपास की उपज करीब 10 से 15 प्रतिशत तक बढऩे की संभावना जतायी है। देश भर में करीब 400 लाख हेक्टेयर में कपास की खेेती होती है, इसमें सबसे ज्यादा विदर्भ में उपज होती है। लेकिन प्रति हेक्टेयर कपास उत्पादन में फिलहाल गुजरात और पंजाब आगे है।
फेडरेशन सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार बाजार में कपास के मूल्य को संतुलित रखने के लिए निर्यात नहीं करने का निर्णय लिया है। हालांकि वायदा करोबार में कपास पहले से ही तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है। लिहाजा, इस बार के खारीफ के मौसम में कपास के उत्पादन से किसानों की आय बढऩे की संभावना बढ़ती दिख रही है। वहीं अंतरराष्ट्रीय संकेत भी सकारात्मक हैं। अगले माह चीन और यूएस के बाजार में कपास की बिक्री की शुरुआत होते ही स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।
यदि दोनों बाजार में मूल्य अच्छे रहे तो भारतीय बाजार में भी कपास की मजबूती दिखेगी। लेकिन थोड़ी-सी परेशानी मानसून को लेकर है। फिलहाल अगस्त माह तक मानसून ठीक रहा है। अगले माह में भी मानसून के ठीक रहने की संभावना है। करीब 102 प्रतिशत वर्षा होने की उम्मीद जताई जा रही है। यदि आगामी दिनों में मानसून उम्मीदों पर पानी फेरता है तो उपज पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा इस बार बीज और खाद के मूल्यों में भी बढ़ोतरी हुई है। इस कारण फेडरेशन ने इस बार कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से रखने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है। बीते वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य 3000 रुपये प्रति क्विंटल था।
००००
शुक्रवार, अगस्त 06, 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें