शुक्रवार, नवंबर 26, 2010

नया अखबार

ऐसा हमेशा होता है जब कोई नया अखबार आता है तो किसी बड़े पत्रकार को बुला लिया जाता है। कोई भी नया अखबार तुरंत नहीं जमता। बाद में निवेश करने वाले और मालिक तुरंत उसका प्रभाव और लाभ चाहते हैं। तब उन्हें लगता है कि जो लोग उनके यहां कार्य कर रहे हैं, वे अच्छे नहीं हैं। जबकि नये अखबार से साथ जुड़े पत्रकार सबसे ज्यादा मेहनत करते हैं। मालिकों की उनकी मेहनत नजर नहीं आती है। जब मेहनत की फसल आती है तो काटने वाले कोई और चले आते हैं। नये पत्रकारों को सिखने के लिए अखबार के लॉचिंग के समय जरूर जुड़ना चाहिए। लेकिन पुराने पत्रकारों ऐसे मौके को मजबूरी में ही भुनाना चाहिए। भड़ास की खबर है। मधुकर उपाध्याय आज समाज के साथ नहीं रहे। श्री मधुकर उपाध्याय जैसे वरिष्ठ और बेहतरीन पत्रकार को आज समाज के साथ अपनी पारी की शुरूआत करनी ही नहीं चाहिए थी।

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