गुरुवार, मार्च 31, 2011
यहां कन्या का विवाह करने से डरते हैं अभिभावक
जलपाईगुड़ी, जागरण संवाददाता : जिले का सिपाहीपाड़ा, बांगालपाड़ा और खुदीपाड़ा ऐसे गांव हैं जहां अपनी बेटियों का ब्याह करने से अभिभावक घबराते हैं। यदि किसी भी सूरत से शादी हो भी गई तो उसे कन्या को वरपक्ष स्वीकार नहीं करते। इससे विवाहिता कन्या को सारी उम्र अपने मायके में ही गुजार देनी पड़ती है। सुनने में यह अविश्र्वनीय लगता है लेकिन है यह सोलहों आने सच। कई साल से नगर बेरुबाड़ी अंचल में शादी ब्याह पर जैसे अघोषित रोक लग गई हो। विवाह का हर प्रस्ताव खारिज हो जाता है। उक्त गांवों की करीब डेढ़ सौ कुंवारी युवतियां शादी का नाम सुनकर ही भयभीत हो जाती हैं। स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत करने पर पता चला कि सीमा सुरक्षा बल की कड़ाई के चलते ही शादियां नहीं हो पाती हैं। आरोप है कि बीएसएफ के अत्याचार से यहां लोग अपनी कन्या का विवाह करने से घबराते हैं। इन ग्रामीणों का कहना है कि जब कोई कन्या पक्ष का व्यक्ति इन गांवों में शादी के प्रस्ताव लेकर पहुंचता है तो सीमा सुरक्षा बल वाले उन्हें उल्टी सीधी बात समझा कर गेट के बाहर ही भेज देते हैं। विदित हो कि भारत बांग्लादेश सीमा के जीरो प्वाइंट के भीतर ही ये गांव स्थित हैं जिसके चलते लोगों को इन गांवों तक पहुंचने के लिए गेट से होकर गुजरना पड़ता है। इन गेटों से जाने के लिए निर्धारित समय पर जाना होता है अन्यथा गेटें सुरक्षा कारणों से बंद हो जाती हैं। शादी के लिए पहुंचने वालों से बीएसएफ वाले सीमावर्ती गांव होने के चलते गहन पूछताछ करते हैं जिससे आजिज आकर ये लोग वापस लौट जाते हैं। आरोप है कि सीमा सुरक्षा बल के जवान पूछताछ के क्रम में कन्या पक्ष वालों को शादी के खिलाफ भड़काते हैं। स्थानीय स्वनिर्भर दल की सदस्य मांतिजनेस्सा ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल जवानों के असहयोग के चलते यहां की युवतियों की शादी नहीं हो पा रही है। कहा जाता है कि भारत में क्या लड़कियों की कमी है कि बांग्लादेश में शादी कर रहे हो। सैयद रहमान और एनामुल नामक दो युवकों की शादी इसी तरह के व्यवहार के चलते टूट गई। अब्दुल कादिर ने बताया कि उसकी शादी तय हो गई थी। लेकिन जब वह शादी के लिए सीमावर्ती गांव गया तो उसे वहां काफी देर तक रोक कर रखा गया जिससे शादी का वक्त गुजर गया। बहु भात की रस्म के दौरान उसके यहां आने वाले कन्या पक्ष वालों को आने नहीं दिया गया। स्थानीय पंचायत सदस्य नतिबर रहमान ने माना कि इस बारे में कई बार सीमा सुरक्षा बल के उच्च अधिकारियों से शिकायत की गई लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। इन गांवों के निवासियों की इस व्यथा कथा पर स्थानीय ग्रामीण माजिर अली ने गीत भी लिखे हैं। इनका कहना है कि देश के आजाद होने के बावजूद हम आजाद नागरिक की तरह नहीं जी पा रहे हैं। इसी दुख भरी दास्तान को बयान करने के लिए उन्होंने गीत लिखे हैं। कविताओं की कुछ बानगी इस तरह से है : बाड़ के भीतर रहते हैं मजबूर, गहरी है हमारी तकलीफ, मेहमान व रिश्तेदार घर आएं तो साहब होते हैं मगरूर। जलपाईगुड़ी के सांसद महेंद्र कुमार राय ने कहा कि यह समस्या काफी पुरानी है। बीएसएफ को सीमा की निगरानी करने का काम है। लेकिन उसे शादी ब्याह में रूकावट नहीं डालनी चाहिए। यह तो सरासर अनुचित है। उन्होंने बताया कि सिपाहीपाड़ा, मुदीपाड़ा, अंडूपाड़ा, हिदूपाड़ा, खेखिरडांगा, बांगालपाड़ा के अलावा कुकुरजान, सुखानी और मेखलीगंज महकमा के सीमावर्ती इलाकों की एक ही समस्या है। यदि यहां के लोग उनके पास शिकायत लेकर आते हैं तो वे सीमा सुरक्षा बल के उच्च अधिकारियों से बात कर सकते हैं। सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों ने हालांकि आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। इनका कहना है कि वे ग्रामीणों के शादी ब्याह के मामले में सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार हैं। उधर, ग्रामीणों के अनुसार इलाके में 48 नंबर सीमा सुरक्षा बल की बटालियन तैनात होने वाली है। उम्मीद है कि नई बटालियन ग्रामीणों के दुख-दर्द को समझेगी। आने वाला दिन हमारे लिए नई सुबह लेकर आएगा।
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