शुक्रवार, फ़रवरी 19, 2010

बाघ बफर जोन पर खनन माफिओं का खतरा

संजय स्वदेश
नागपुर।
खनन ठेकेदारों की एक लॉबी वन विभाग के अधिकारियों के साथ साठगांठ कर ताड़ोबा-अंधारी में टाईगर रिजर्व परियोजना (टीएटीआर) को प्रभावित करने के लिए विशेष लॉबिंग कर रही है। इनके लॉबिंग के प्रभाव का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य के वनमंत्री ने इस विषय पर चंद्रपुर में 25 फरवरी को चंद्रपुर में एक जनसुनवाई आयोजित की है। इसमें उठने वाले मुद्दे पर की रिपोर्ट के लिए एक समिति भी गठित की गई है। जबकि जानकारों का कहना है कि बाघों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना के लिए इस तरह की जनसुनवाई की अवश्यकता ही नहीं है। हालांकि टाईगर रिजर्व क्षेत्र से बाहर 625 वर्ग किमी की जमीन अधिग्रहित करने का प्रस्ताव है। इससे 75 गांव विस्थापित होंगे। पिछले दिनों नागपुर आए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने इस योजना में विस्थापितों के पुर्नवास के लिए राज्य सरकार को 1000 करोड़ रुपया देने की घोषणा की थी। वरिष्ठ पर्यावरणविद् व सतपुडा फाऊंडेशन के प्रमुख किशोर रिठे का कहना है कि जनसुनवाई की रिपोर्ट के आधार पर टाईगर रिजर्व के बफर जोन का मामला नहीं टाला जा सकता है। पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 के अनुसार कुछ परियोजनाओं
में ही जन सुनवाई की बात कही गई है, जबकि टीएटीआर बफर जोन इन परियोजनाओं से बाहर आता है। लिहाजा, इस पर किसी तरह की जनसुनवाई की जरूरत नहीं बनती है। जबकि राज्य वनविभाग स्वयं जनसुनवाई के लिए उत्सुक है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह जनसुनवाई खनन क्षेत्र के ठेकेदारों और उनके प्रभाव में आए भ्रष्ट अधिकारियों की साठगांठ से प्रभावित है। वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि यदि ताड़ोबा-अंधारी क्षेत्र के टाईगर बफर जोन को अंतिम रूप से मंजूरी मिल जाती है, तो खनन क्षेत्र में सक्रिय ठेकेदार व वनविभाग के कुछ आला अधिकारियों की अच्छी-खासी कमाई बंद हो सकती है। लिहाजा, इसी डर से एक योजनाबद्ध तरीके से लॉबिंग की जा रही है। सूत्रों की मानें तो खनन विभागों के ठेकेदरों की लॉबी ने राज्य के वन मंत्री पतंगराव कदम को बफर जोन की मंजूरी देेने से मना करने के लिए करीब-करीब तैयार कर लिया है। विरोध के लिए रिजर्व क्षेत्र से प्रभावि होने वाले ग्रामीणों को भी उकसाया जा रहा है। जिससे कि वे सरकार के इस योजना का विरोध करें और यह बफर जोन प्रभावित हो। बफर जोन से विस्थापित होने वाले लोगों की शिकायत सुनने के लिए वनममंत्री ने चंद्रपुर में एक जनसुनवाई का निर्णय लिया। खानन विभाग और वन अधिकारियों की एक लॉबी इस बैठक में जनप्रतिनिधियों के माध्यम से बफर जोन की प्रस्तावित योजना को प्रभावित करना चाहते हैं। जनसुनवाई में ग्रामीणों को जबरदस्त रूप से विरोध करने के लिए अभी तैयार किया जाने लगा है।
ज्ञात हो कि कि वर्ष 2006 के वन्यजीव संरक्षण कानून (1972) के अनुसार टाईगर रिजर्व क्षेत्र के आसपास के इलाकों को वन क्षेत्रों से जोड़ कर बफर जोन बनाने की मंजूरी दी गई थी। जिससे कि बाघ वन क्षेत्रों तक ही सीमित रहें। मनुष्यों पर हमला न करे और कोई बाघों का अवैध शिकार नहीं कर सके।

1 टिप्पणी:

sanjay ने कहा…

esh matter ko rashtriya sahara ne
aapne blog bola coloum me uthaya han.

http://www.rashtriyasahara.com/NewsDetails.aspx?lNewsID=133538&lCategoryID=42