सोमवार, जनवरी 11, 2010

सरकार और पत्रकार मित्र नहीं होते


म.गो.वैद्य को लोकमान्य तिलक पत्रकारिता पुरस्कार
संजय स्वदेश
नागपुर।
वरिष्ठ पत्रकार मा.गो.वैद्य ने पत्रकारिता के मूल्यों से पत्रकारों को अवगत कराते हुए कहा कि आज की पत्रकारिता को सरोकारों की पत्रकारिता से जोडऩे की आवश्यकता है। युवा पत्रकारों को समझना चाहिए कि सरकार और पत्रकार मित्र नहीं होते हैं, ये प्रतिस्पर्धी होते हैं। वे धंतोली स्थित तिलक पत्रकार भवन में रविवार की शाम आयोजित लोकमान्य तिलक पत्रकारिता पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस समारोह में उन्हें भी सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार नागपुर श्रमिक पत्रकार संघ और विदर्भ सेवा समिति की ओर से स्थापित किया गया है। मा.गो वैद्य को यह पुरस्कार कवि कुलगुरु कालदास विश्वविद्यालय के कुलगुरु पंकज चांदे और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के हाथों से दिया गया। पुरस्कार स्वरूप शॉल-श्रीफल स्मृति चिह्न के अलावा 11 हजार रूपया प्रदान किया गया।
वैद्य ने कहा कि पत्रकारिता का दायित्व केवल सूचनाएं देना नहीं होता है। सूचना के साथ-साथ दर्शनिक भाव से जनता को जगाना चाहिए, ताकि जनता वैचारिक रूप से प्रबुद्ध हो सके। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को अपनी निष्ठा पर अडिग रहना चाहिए। जो मृत्यु से नहीं डरता उसे कोई नहीं डरा सकता है। इसलिए पत्रकारों को बिना किसी भय के, मजबूती के साथ निष्ठावान बने रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सौम्य भाषा में भी मजबूत लेखन किया जा सकता है।
इस अवसर पर नितिन गडकरी ने कहा कि इन दिनों हर क्षेत्र में पुरस्कारों की भरमार हो गई है। अनेक संस्थान किसी न किसी के नाम पर पुरस्कार लेकर खड़ी है। जिसे चाहे पुरस्कृत कर दिया जाता है। इससे पुरस्कारों की गरिमा कम होती है। मुझे खुशी इस बात की है कि तिलक पत्रकारिता पुरस्कार से पुरस्कृत करने के लिए एक योग्य व्यक्ति का चुनाव किया गया है। गडकरी ने कहा कि जिस तरह का स्पष्ट और पारदर्शी व्यक्तित्व म.गो.वैध का है, वैसा ही इन्होंने पत्रकारिता में भी बरती। इनकी पत्रकारिता 99 प्रतिशत नहीं, बल्कि शत-प्रतिशत पारदर्शी रही है। सच से इन्होंने कभी मुख नहीं मोड़ा। सच लिखने के लिए कभी परिणाम की चिंता नहीं की।
कवि कुलगुरु कालिदास विश्वविद्यालय के कुलगुरु पंकज चांदे ने अपना भाषण संस्कृत में शुरू करते हुए सत्कारमूर्ति मा.गो. वैद्य की लंबी आयु की कामना की। उसके बाद उन्होंने मराठी में बोलना शुरू किया। पंकज चांदे ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी बाल गंगाधर तिलक के नाम पर यह पहला पुरस्कार शुरू हुआ है। इस बात की खुशी है कि तिलक के नाम से शुरू हुआ यह पहला पुरस्कार ऐसे व्यक्ति को दिया जा रहा है, जिनकी कल्पना मात्र से एक पूर्ण पुरुष की मूर्ति साकार होती है। सर्वसंस्कृति से मिश्रित व्यक्तित्व वाले पुरुष की कल्पना साकार होती है। उन्होंने कहा कि पत्रकार दो तरह के होते हैं। एक, स्थितियों से समझौता कर, उसमें तटस्थ भूमिका निभाते हैं तो दूसरे, धारा के विरुद्ध अपनी लेखनी चलाते हैं। मा. गो. वैद्य इसी दूसरी धारा के पत्रकार हैं।
विदर्भ सेवा समिति के अध्यक्ष उमेश शर्मा ने कहा कि मा. गो. वैद्य के व्यक्तित्व में भारतीय संस्कृति का समावेश है। ऐसे व्यक्तित्व के स्वामी के दर्शन मात्र से मन प्रसन्न हो जाता है। विक्रम मारवाह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस मौके पर नागपुर श्रमिक पत्रकार संघ के अध्यक्ष शिरीष बोरकर, सचिव संजय लोखंडे, विदर्भ सेवा समिति के कार्याध्यक्ष डा. संतोष मोदी, सचिव आंनद कुमार निर्बाण समेत नगर के अनेक प्रबुद्ध लोग उपस्थित थे।

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