चिरी, जान, ली का धूमधाम से मना जन्मदिनसंजय स्वदेश
नागपुर के महाराजबाग प्राणी उद्यान में शनिवार की शाम तीन शावकों का जन्मदिन कुछ अनोखे अंदाज में मनाया गया। केरी, जॉन और ली नाम के तीनों बाघ एक साल पहले चंद्रपुर के जंगल से महाराजबाग में लाए गए थे। तीनों शावकों की मां को किसी शिकारी ने मार दिया था, इसलिए ये जंगल में अनाथ घूम रहे थे।
शनिवार को इन्हें देखने के लिए बड़ों के साथ-साथ बच्चों का हुजूम उमड़ पड़ा। महाराजबाग में इनका जन्मदिन मनाने के लिए विशेष व्यवस्था भी कर रखी थी। यहां आए नन्हे-मुन्ने अपनी तोतली भाषा में हैपी बर्थ डे टू टाइगर... गा रहे थे। हाथों में गुब्बारे लिये उत्साहित होकर तीनों बाघों की अठखेलियां देख रहे थे।
महाराजबाग में प्रभारी अनिल बारस्कर ने बताया कि ठीक एक साल पहले जब तीनों शावकों को यहां लाया गया था, तब वे पूरी तरह से बदहाल थे। इनकी जीने की संभावना बहुत कम थीं। महाराजबाग के कर्मचारियों ने रात-दिन इनकी सेवा कर इन्हें स्वस्थ बनाया। किसी शिकारी ने इनकी मां को मार दिया था। जंगल में ये तीनों शावक अनाथ घूम रहे थे। बारस्कर ने बताया कि जब ये यहां आए थे, तब तीन किलो के थे। इनके पास जाने वाले हर व्यक्ति की गोद में बैठ जाते थे। हर महीने आधा किलो इनका वजन बढ़ते गया। अब ये 60 किलो के हैं। पूरी तरह से स्वस्थ।
खेला फुटबॉल
तीनों का जन्मदिन मनाने के लिए महाराजबाग में विशेष व्यवस्था की गई थी। हैपी बर्थ डे थ्री इडियट्स लिखा हुआ बैनर और तीनों बाघों के पुराने फोटो लगे थे। तीनों शावक अब बाघ हो चुके हैं। महाराजबाग के कर्मचारियों ने इनके जन्मदिन के लिए विशेष भोजन के रूप में मांस की व्यवस्था की गई थी। इस बीच उनके पास किसी ने एक फुटबॉल फेंक दी। फुटबाल देखते ही केरी, जॉन और ली यह भूल गए कि उनके लिए विशेष भोजन परोसा जा चुका है और वे फुटबाल खेलने में व्यस्त हो गए। जब फुटबॉल से दिल भर गया तो मांस पर टूट पड़े।
बच्चों ने काटा थ्री इडियट्स का केट
पिंजरे से बाहर एक बड़े केक को बच्चों के हाथों कटवाया गया। बच्चों के साथ-बड़ों ने भी बाघों के जन्मदिन का केक खाया। यहां आए सभी बच्चे खासे उत्साहित थे। एक बाघ के जन्मदिन में शामिल होने की खुशी उनके चेहरे पर कुछ अलग
ही अंदाज में दिख रही थी। केक पर प्रतीक रूप में शिकारी का फोटो बना हुआ था क्योंकि इन तीनों बाघों की मां को शिकारी ने मार कर अनाथ कर दिया था। महाराजबाग के प्रभारी अनीस बारस्कर ने बताया कि जंगली जीवों के संरक्षण का संदेश देने के उद्देश्य से ही तीनों बाघों का जन्मदिन इस अंदाज में मनाया गया। शायद यह पहला मौका है जब किसी प्राणी उद्यान में तीन बाघों का जन्मदिन मनाया जा रहा हो और बच्चे उसके जन्मदिन की गीत गा रहे हों।
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