राज्य की नयी संस्कृति नीति की घोषणा १ माय को
संजय स्वदेश
महाराष्ट्र में टैक्सी लाईसेंस के लिए मराठी भाषा के अनिवार्य होने का मुद्दा अभी शांत भी नहीं हुआ था कि राज्य सरकार ने एक नई विवादास्पद नीति प्रकाश में आई है। 1 मई से लागू होनेवाली राज्य की नई सांस्कृतिक नीति के मुताबिक अब राज्य के मंत्री विभिन्न कार्यक्रमों में मराठी में ही बातचीत करेंगे। यदि कार्यक्रम में विदेशी अतिथि भी हो, तो भी मराठी भाषा में ही बातचीत करनी होगी। मेहमनों की भाषा को समझने के लिए दोभाषिये का सहयोग लिया जाएगा।
ज्ञात हो कि गत बुधवार को राज्य सरकार ने नई नीति के तहत यह घोषणा की कि टैक्सी का लाईसेंस लेने के लिए मराठी भाषा की अनिवार्यता के साथ-साथ राज्य में 15 साल से निवास करने का प्रमाणपत्र आवश्यक होगा। पर राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे उछलने के कारण फिलहाल फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। शुक्रवार को राज्य की सांस्कृति नीति का एक नया प्रस्ताव मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को सौंपा गया है, जिसमें मराठी भाषा और मराठी संस्कृति के प्रचार के लिए विभिन्न नीतियों का मसौदा है। इस नीति की घोषणा 1 मई को राज्य स्थापना दिवस के मौके पर होगा।
इस नीति को तैयार करने के लिए गत वर्ष अगस्त माह में डा. एक.एस. सलुंके की एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने राज्य की भाषा के प्रचार व प्रसार के लिए भाषा भवन बनाने के प्रस्ताव के साथ ही केंद्र व राज्य सरकार के कार्यालयों में हिंदी अधिकारियों की तर्ज पर राज्य में मराठी अधिकारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा रंगमंच और ललित कला को प्रोत्साहन के लिए भी विशेष प्रस्ताव दिये गए हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
थोडे दिनों बाद मराठी में हंसना और रोना, खाना और सोना भी अनिवार्य कर दिया जायेगा. मराठी में ही छींकना और सांस लेना भी जरूरी होगा. कोई पैदा होगा तो वह भी मराठी में और मरेगा तो भी मराठी में ही.
एक टिप्पणी भेजें