सोमवार, दिसंबर 14, 2009

जनता मांगे पृथक विदर्भ

विदर्भ बंटवारे के मुद्दे पर मुख्यमंत्री के बयान की हुई आलोचना
संजय
नागपुर। मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण द्वारा रविवार को रांची में किए गए पृथक विदर्भ विरोधी बयान की तिखी प्रतिक्रिया हुई है। रविवार को मुख्यमंत्री श्री चव्हाण ने कहा था कि विदर्भ की जनता महाराष्ट्र का बंटवारा नहीं चाहती। राज्य का किसी भी सूरत में बंटवारा नहीं होगा। मुख्यमंत्री के इस बयान से पृथक विदर्भ राज्य की मांग करने वाले जनप्रतिनिधियों और व्यापारी वर्ग ने कड़ी आलोचना की है। वहीं कांग्रेस नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री के बयान से अनजान होने की बात कह कर बात टाल दिया लेकिन उन्होंन विदर्भ का पुरजोर समर्थन किया। भाजपा नेता और व्यापारी वर्ग के कई लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री के कथन से यह साबित हो गया है कि उनका ध्यान विदर्भ की जनता की ओर नहीं है, यदि ध्यान होता तो ऐसा बयान नहीं देते।
यही है सही समय
भाजपा विधायक देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि मानते हैं कि विदर्भ राज्य बनाने का सही वक्त आ गया है। इस मुद्दे को ध्यान में लाने के बजाय अब स्वरुप देने की दिशा में पहल करना जरुरी हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में अनेक छोटे राज्यों को बनाया गया, छोटे-छोटे राज्य अगर होगे तो समुचे क्षेत्र का विकास मे आसानी हो जाती है। साथ ही हर आम इंसान को इससे न्याय मिल जाता है। बड़े राज्य में कई क्षेत्र विकास से वंचित रह जाते हैं।
अब उपेक्षा का दर्द सहा नहीं जाता
पूर्व सांसद बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि विर्दभ राज्य बनाने की दिशा में मैंने अनेक आंदोलन किये। इतने वर्षो में भी विर्दभ का विकास जैसा होना चाहीए था, नहीं हो पाया, मैं तो शुरु से ही अलग विर्दभराज्य बनाने के पक्ष में हूं। आजादी के 50 साल से ज्यादा समय होने के बाद भी विर्दभ का विकास नहीं हो पाया, पश्चिम महाराष्ट्र के नेताओं ने हमेशा ही विदर्भ के साथ सौतेला व्यवहार किया है। विकास कार्य भी उन्हीं के क्षेत्रों में ज्यादा हुए हैं। अब यह दर्द सहा नहीं जाता। अगर विर्दभ का सही मायनों में विकास करना है तो अलग राज्य का गठन अब हो जाना चाहिए।
नेता नहीं आम जनता की मांग
कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रणजीत देशमुख ने कहा कि अलग विर्दभ राज्य बनाने के लिए मैंने अनेक आंदोलन किये। जनता की आवाज केंद्र तक पहुंचाई। आज जनता खुद चाहती है की पृथक विदर्भ का गठन हो। कांग्रेस ही हमें न्याय दे सकती है। मैंने इस मांग के लिए अनेक प्रयास किए हैं। विदर्भ के सभी विधायकों, सांसदों को इसके लिए एक हो जाना चाहिए। विदर्भ राज्य की मांग तो तेलंगाना राज्य की मांग से भी पुरानी है, अब तेलंगाना की तर्ज पर पृथक विर्दभ राज्य की घोषणा भी हो जानी चाहीए, क्योकि अब यह मांग नेताओ की ना होकर आम विर्दभवासी की हो गई है।
पहले ही लिखा जा चुका है केंद्र को पत्र
कांग्रेस विधायक दीनानाथ पडोले भी पृथक विदर्भ के समर्थन में हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम सभी कांगे्रसी नेताओ को इसकी पहल शुरु करनी चाहिए। सांसद विलास मुत्तेमवार ने तो केंद्र सरकार को पत्र लिखकर हम विर्दभवासियों की भावनाओं से अवगत भी करवा दिया है। छोटे राज्य बनने से विकास कार्यो में गति आ जाती है। हम हर क्षेत्र का विकास कर सकते हैं। सरकार की सभी योजनाएं आम आदमी तक पहुंच जाती है। सभी पार्टी के नेताओ ने इस दिशा में एकजूट होकर पहल करनी चाहिए।
जनता मिला रही है सुर-से सुर
भाजपा विधायक सुधाकर देशमुख ने कहा कि पृथक विदर्भ बनाने के बारे में भाजपा ने हमेशा अपनी खुली सोच का परिचय दिया है। हम हमेशा की अलग विदर्भ राज्य बनाने के पक्ष में कहते आये हैं। सही मायनो में विकास होने के लिए पृथक विर्दभ जरुरी हो गया है। इसके लिए व्यापक स्तर पर एक अभियान छेडऩे की आवश्यता है। छोटे राज्यों के गठऩ से ही विकास कार्य पूरे होगे, अब जनता भी विदर्भ राज्य के पक्ष मे सुर मिला रही है।

जनता कर रही है भरपूर समर्थन
विधायक सुनिल केदार ने मानते हैं कि विदर्भ की मांग पुरानी है। अलग राज्य बनाने के लिए इसके पहले भी अनेक आंदोलन किये गए। छोटे राज्य बनाने से हम विकास कार्यो को जल्द ही साकार कर सकते हैं। आम इंसान तक विकास कार्य तेजी से पहुंच जाते हैं। आज विदर्भ के युवा बेरोजगार हैं। उद्योग धंधे नहीं के बराबर है। सभी पार्टियों के नेताओं को इस मुद्दे पर आपसी सहमति बनानी चाहिए। कांग्रेस पार्टी जब अलग तेलंगाना राज्य बना सकती है, तो विर्दभ को भी पृथक विर्दभ राज्य बना सकती है। यह मांग तो काफी पुरानी है, अब जनता भी इसके समर्थन में कुद पड़ी है।
तेलंगाना से पुरानी विदर्भ की मांग
भाजपा के विधायक कृष्णा खोपडे कहते हैं कि विदर्भ को तो वर्षों पहले ही पृथक राज्य का दर्जा दे दिया जाना चाहिए। वर्षों से इसकी मांग जारी है। अब समय आ गया है कि सभी दलों के नेता इसके लिए एकजुट होकर एक मंच पर आएं। विदर्भ की मांग तेलांगना से पहले की है। इसलिए पहले पृथक विदर्भ का प्रस्ताव स्वीकार करना चाहिए। स्वतंत्र विदर्भ के कारण ही विदर्भवासियों को न्याय मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में ही छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड जैसे राज्यों की घोषणा की गयी थी और वहां विकास की रफ्तार तेज हुई।
कांग्रेसी नेताओं ने किए हैं आंदोलन
कांग्रेस के पूर्व विधायक अनीस अहमद कहते हैं कि विदर्भ के अनेक इलाकों में अभी तक विकास नहीं पहुंच पाया है। युवा बेरोजगारी की गर्त में गिरते जा रहे हैं। हम सभी पार्टी के नेताओं को अलग से विदर्भ राज्य बनाने का प्रस्ताव तैयार करना चाहिए। कांग्रेस पार्टी भी विदर्भ राज्य बनाने के बारे में सोच सकती है। मगर इसके लिए हमें और कोशिश करनी पड़ेगी। विदर्भ के अनेक इलाके आज भी विकास कार्यां से कोसों दूर दिखाई देते हैं। पृथक विदर्भ के लिए पहले भी कांग्रेसी नेताओं ने कई आंदोलन किये हैं।

शर्म की बात
चंद्रशेखर बावनकुळे कहते है कि- पृथक विर्दभ राज्य का गठऩ अब हो जाना चाहिए। भाजपा तो इस मुद्दे पर लामबंद हो गई है। हर दिन कोई न कोई किसान मर रहा है। हम उन्हें बचा नहीं पा रहे हैं। पश्चिम महाराष्ट्र के नेता हमसे सौंतेला व्यवहार करते हैं। इतने वर्ष बीत गए मगर हम विर्दभ का ठीक ढंग से विकास नहीं कर पाये, यह हमारे लिए शर्म की बात है।

भाजपा के विधायक एकनाथराव खडसे ने कहा कि हम तो शुरु से ही पृथक विर्दभराज्य बनाने के पक्ष में हंै, अब इसे अमलीजामा पहना दिया जाना चाहिए। भाजपा के शासनकाल में हमने हमेशा छोटे राज्यों के गठऩ में सकारात्मक सोच दिखाई है। छोटे राज्यों में प्रगति और उन्नति जल्दी होती है। आज विर्दभ का किसान भूखमरी की कगार पर खड़ा दिखाई दे रहा है। सरकार द्वारा शुरु की गई योजनाओं का लाभ उसे नहीं मिल पाया है। उसका लगातार शोषण किया जा रहा है, उनके मन में घोर निराशा है। अलग विर्दभ राज्य बनाने से ही सही मायनो में विर्दभवासीयों को न्याय मिल पायगा। अब यह मांग जनता की मांग बन चुकी है।
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व्यापारियों की प्रतिक्रिया

अशोक राव का बयान गलत
व्यापारी हरगोविंद सारडा ने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान पूरी तरह से गलत है। अंग्रेशी शासनकाल में नागपुर पहले सी.पी.एंड बेरार की राजधानी थी। तब यहां खूब तरक्की हुई। तबकी हुई तरक्की का आनंद आज लिया जा रहा है। महाराष्ट्र में जुडऩे के कारण विदर्भ क्षेत्र विकास कार्यों से पूरी तरह से उपेक्षित हो गया है। इसलिए यह समय की मांग है कि विदर्भ के समग्र विकास के लिए इस अलग राज्य का दर्जा दिया जाए।
मुख्यमंत्री को जानकारी नहीं
वेद के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश बासवानी ने बताया कि मुख्यमंत्री यदि विदर्भ के विकास की ओर ध्यान देते तो उन्हें ऐसा बयान देने की नौबत नहीं आती। यदि ऐसा विदर्भ की जनता अलग विदर्भ नहीं चाहती है, तो फिर जनता आंदोलन क्यों कर रही है। लगता है मुख्यमंत्री को विदर्भ की जनता के आंदोलन के बारे में जानकारी नहीं है।
कांग्रेस विधायक भी कर रहे है विदर्भ की मांग
नागपुर इतनवारी किराना मार्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष हस्तीमल कटारिया का कहना है कि मुंख्यमंत्री अशोक चव्हाण विदर्भ के पहले से ही खिलाफ रहे हैं। वे भला विदर्भ के पक्ष में बयान क्यों देंगे। इसलिए राज्य से बाहर विरोध में बयान दे रहे हैं। उन्होंने शिवसेना के बयानों को विदर्भ की जनता का आधार बनाकर विरोधी विरोधी बयान दे दिया। स्वतंत्र विदर्भ की मांग तो स्वयं कांग्रेस के विधायक भी कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री को इस मामले में अब शिवसेना के विधायकों का पक्ष अच्छा लगने लगा है।
...तो होगी विदर्भ की चांदी ही चांदी
कपड़ा व्यावसायी अजय कुमार मदान ने कहा कि जिस दिन अलग विदर्भ का अस्तित्व आ जाएगा, विदर्भ की चांदी-ही चांदी होगी। विदर्भ के पास क्या नहीं है? यहां के संसाधनों के दम पर मराठवाड़ा के और राज्य के दूसरे क्षेत्रों का विकास हो रहा है। पृथक विदर्भ होने पर नागपुर राजधानी होगी और एक राजधानी के लिए आवश्यक हर चीज यहां पहले से मौजूद है। मुख्यमंत्री का विदर्भ विरोधी बयान पूरी तरह से गलत है। यही मौका है विदर्भ के जनप्रतिनिधियों को एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।
नहीं जानते विदर्भ का इतिहास
व्यावसायी निलेश सूचक का कहना है कि मुख्यमंत्री को शायद विदर्भ का इंतिहास नहीं पता है, तभी उन्होंने ऐसा बयान दिया है। स्वतंत्र विदर्भ के पक्ष में जामंतराव धोटे और नासिकराव तिरपुड़े ने वर्षों पहले आंदोलन किया था। वर्तमान में हालत यह है कि विदर्भ में बैकलॉग बढ़ता जा रहा है। यदि अभी के अभी पृथक विदर्भ की घोषणा कर दी जाए तो विदर्भ के पास इतना सामर्थ है कि वह अपने पांव पर मजबूती के साथ खड़ा रहे।

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