मंगलवार, दिसंबर 22, 2009

हसन गफूर दोषी, मुंबई पुलिस निर्दोष


संजय स्वदेश
नागपुर।
मुंबई पर पिछले वर्ष हुए आतंकवादी हमले की जांच करने वाली राम प्रधान समिति की रिपोर्ट में तत्कालीन पुलिस आयुक्त हसन गफूर की खिंचाई की गयी है जबकि कई पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को शाबाशी देते हुए मुंबई पुलिस को निर्दोष साबित किया गया है।
सोमवार को विधानमंडल में पेश 85 पेज की रिपोर्ट के अनुसार श्री गफूर हमले के बाद समूचे वक्त आतंकवादी हमले का निशाना बने एक स्थल ट्राइडेंट होटल के निकट बने रहे। पुलिस आयुक्त कार्यालय में नेतृत्व और नियंत्रण की दर्शनीयता न होने के कारण लोगों में यह संकेत गया कि पुलिस ने स्थिति ठीक से नहीं संभाली।

रिपोर्ट के अनुसार श्री गफूर वायरलेस और मोबाइल के जरिये कुछ अधिकारियों के संपर्क में बने रहे पर कई अधिकारियों ने महसूस किया कि वह टीम का हिस्सा नहीं थे। रिपोर्ट के अनुसार कई वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें बताया कि तीन दिनों में श्री गफूर ने उन्हें कोई निर्देश नहीं दिया अथवा चल रहे ऑपरेशन के बारे में नहीं पूछा। कई जगहों पर एक साथ हुए हमले से निबटने में जिस तरह के कौशल प्रदर्शन की जरूरत थी, वह नहीं दिखा। हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि नेतृत्व की दर्शनीयता नदारद थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि किसी संकट से निबटने के लिए मुंबई पुलिस के बनाये स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रैक्टिस का पालन नहीं किया गया था। इसके अनुसार संकट प्रबंधन नियंत्रण संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) के पास होना चाहिये जो सभी नियंत्रण कक्षों का प्रभारी होता लेकिन तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने संयुक्त पुलिस आयुक्त को ऑपरेशन का प्रभारी बनाया।
राम प्रधान कमेटी की रिपोर्ट ने पाया है कि आतंकियों से निपटने के दौरान गफूर मुंबई पुलिस से अलग थलग नजर आये और टीम भावना से काम नहीं किया.
दूसरी तरफ रिपोर्ट में मुंबई पुलिस को किसी गंभीर भूल के आरोप से बरी किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार कुछ अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने खासकर युवाओं ने त्वरित कार्रवाई की। रिपोर्ट में तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त राकेश मारिया की भूमिका की तारीफ की गयी है। रिपोर्ट में इस बात को लेकर असंतोष व्यक्त किया गया है कि पुलिस अथवा मंत्रालय की ओर से हमलों को लेकर मीडिया को जानकारी देने की सही व्यवस्था नहीं थी। पुलिस आयुक्त अथवा पुलिस प्रवक्ता को मीडिया को जानकारी देने के कार्य को अंजाम देना था। रिपोर्ट में माना गया है कि युद्ध जैसे हमले से मुंबई पुलिस क्या किसी भी पुलिस इकाई का निबटना आसान नहीं था। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड जैसे विशेषज्ञ बलों की मदद से ही निबटा जा सकता था।

हालांकि इस रिपोर्ट के सदन में प्रस्तुत होने से बहुत पहले ही जून में राज्य सरकार ने मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से पदमुक्त कर दिया था और राज्य पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन का प्रमुख बना दिया था.

रामप्रधान समिति रिपोर्ट मामले से विदर्भ मुद्दे की चर्चा खंडित हुई
विदर्भ के विभिन्न प्रश्रों पर विधान सभा में चल रही गंभीर चर्चा को रामप्रधान समिति रिपोर्ट ने खंडित किया, लेकिन इतने अवरोध के बावजूद चंद्रपुर के भाजपा विधायक सुधीर मुनगंटीवार अपने मुद्दे पर डटे रहे। सीबीबाई जांच की मांग पर विपक्ष के बहिर्गमन की विधी पूर्ण होने के पहले ही मुनगंटीवार ने अपना भाषण शुरू किया। जिसपर सरकार की ओर से आक्षेप उठाया गया। मुनगंटीवार बिल्कुल भी डगमगाए नहीं और इन्होंने बताया कि हमने विपक्ष नेता से अनुमति ली है।

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