संजय स्वदेश
विलास मुत्तेमवार नागपुर। संसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री विलास मुत्तेमवार ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर स्वतंत्र पृथक विदर्भ राज्य के गठन में अपेक्षित सहयोग का अनुरोध किया है। पत्र में उन्होंने विदर्भ के मांगों का उल्लेख करते हुए बताया कि यह कितना पुराना है और विदर्भ की जनता के हित में स्वतंत्र विदर्भ राज्य के गठन कितना आवश्यक है।
श्री मुत्तेमवार ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में उन्हें सबसे पहले पृथक तेलंगाना राज्य के गठन में केंद्र सरकार की पहल के लिए बधाई देते हुए पृथक विदर्भ के मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित कराया है। पृथक विदर्भ का मुद्दा तेलंगाना राज्य की मांग से भी पूरानी है। पत्र में कही गई अपनी बातों को समर्थन में श्री मुत्तेमवार ने कई पुरानी बातों का हवाला देकर यह स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार के अलावा कांग्रेस की ओर से गठित कई आयोग और समितियों ने पृथक विदर्भ पर अपनी सहमति दी है। आजादी से पूर्व 1888 में अंग्रेसी प्रशासकों ने ब्रिटिस आयुक्तालय में पृथक विदर्भ के लिए प्रस्ताव रखा था। इसके अलावा 1918 में संविधान समीक्षा समिति और डार कमेटी तथा जे.वी.पी. कमेटी ने पृथक विदर्भ पर अपनी सहमति दी थी।
आजादी के बाद 1955 में राज्य पुर्नगठन आयोग ने सरकार से कहा था कि स्वतंत्र विदर्भ से ही यहां की जनता को लाभ मिलेगा। इसके बाद 1960 में विदर्भ के नेताओं को राष्ट्रीय नेताओं ने स्वतंत्र विदर्भ राज्य की गठन का आश्वासन दिया। 1988 में युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने यह महसूस किया कि विदर्भ के साथ अन्याय हो रहा है, इसके लिए उन्होंने पी. संगमा को इस पर विस्तृत जानकारी देने की जिम्मेदारी सौंपी थी। श्री संगमा ने भी पृथक विदर्भ के लिए अपनी सहमति सरकार को दी। 1996 में राष्ट्रीय नेता अहमद पटेल, गुलाम नबी आजाद, श्रीमती मीरा कुमार, के. करूणाकरण, स्व.राजेश पायलट, बलराम जाखड़, मुकुल वासनिक, वसंत साठे, एनकेपी साल्वे, स्व. सुधाकर नाईक समेत कई राष्ट्रीय और स्थानीय नेताओं का प्रतिनिधि मंडल तत्कालीन प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौडा से मुलाकात कर स्वतंत्र विदर्भ राज्य के गठन की मांग की। वर्ष, 2000 में जिन तीन नये राज्यों का गठन हुआ। उनका प्रस्ताव 1955 में गठीत राज्य पुर्नगठन आयोग ने नहीं दिया था।
श्री मुत्तेमवार ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह याद दिलाया है कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, संसद और विधायक कई मौके पर आपसे मुलाकात कर पृथक विदर्भ के लिए आपके सहयोग की अपेक्षा जता चुके हैं। इसके लिए आपने पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी के नृतृत्व में स्वतंत्र विदर्भ और तेलंगाना राज्य के लिए पार्टी की एक कमेटी भी बनाई थी। लेकिन अब कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने पृथक तेलंगाना राज्य की पहल करते हुए विदर्भ की अनदेखी कर दिया।
गत पचास सालों में विदर्भ की जनता ने कांग्रेस के प्रति भरोसा जताया है, लेकिन गत दस सालों में इस क्षेत्र के करीब 7 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। क्षेत्र के पांच जिले नक्सल समस्या से गंभीर रूप से प्रभावित हैं, बेरोजगारी की समस्या भी गंभीर है। लिहाजा, विदर्भ की जनता इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी है कि विदर्भ का आर्थिक व समाजिक विकास स्वतंत्र राज्य का दर्जा प्राप्त होने के बाद ही संभव हो पाएगा।
श्री मुत्तेमवार ने कहा कि कि विदर्भ के जनता तोड़-फोड़ वाली मानसिकता के नहीं है। यहां की जनता राष्ट्रपिता महात्मागांधी बिनानोबा भावे और डा. बाबा साहेब आंबेडकर की तरह हमेशा ही शांति और प्यार तथा अहिंसा के राह पर चलने में विश्वास करती हैं। मुझे डर है कि कही विदर्भ की जनता पृथक विदर्भ के लिए इस राह से भटक न जाए। मुझे लगता है कि वह समय आ गया है जब विदर्भ की जनता को सम्मानित करते हुए कांग्रेस नेतृत्व विदर्भ की जनता की भावनाओं को समझते हुए उसके साथ आए।
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