गुरुवार, नवंबर 26, 2009

अनौचारिक चर्चा के दौरान निखिल वागले के साथ पत्रकारों की शाब्दिक झड़प


संजय स्वदेश
नागपुर। धंतोली स्थित तिलक पत्रकार भवन में आयोजित एक अनौपचारिक चर्चा में आईबीएन लोकमत के संपादक निखील वागले और पत्रकारों के बीच शाब्दीक झड़प हो गई। बातचीत में श्री वागले ने जैसे ही चुनाव के दौरान चैनलों समेत प्रिंट मीडिया को पैकेज सिस्टम पर बिकने की बात पर कोसना शुरू किया, कई पत्रकार बिफर पड़े। श्री वागले का कहना था कि हर बार के चुनाव में भी कई पत्रकार व न्यूज चैनल राजनीतिज्ञों के हाथों बिक गए। इस पर आपत्ति जताते हुए उपस्थित पत्रकारों ने श्री बागले को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह देते हुए कहा कि वे जिस चैनल के लिए कार्य करते हैं और जो चैनल जिस समाचार पत्र समूह से जुड़ा है, उन पर भी चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उनसे जुड़े दोनों मीडिया हाऊस ने भी चुनाव के दौरान पैकेज के साथ खबरे प्रसारित व प्रकाशित की। उपस्थित पत्रकारों ने यह सवाल दागा कि दूसरे मीडिया हाउस पर ऐसे आरोप लगाने की ठेकेदारी किसने दी। कई पत्रकारों ने उनकी शब्द रचना वाक्य प्रयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप भी कई बार जबरन लोगों से उलझकर उनसे गलत तरिके से पेश आते हैं। आप से ही सभी का झगड़ा क्यों होता है? पत्रकारिता में जुबान पर संयम रखना जरूरी होता है।एक सवाल के जवाब में श्री वागले ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मैं पहले भारतीय हूँ बाद में मराठी। 20 वर्षों से मैं भी मराठियों के लिए संघर्ष कर रहा हूँ। मगर मेरे संघर्ष करने का तरीका मनसे जैसा नहीं है। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ब्राह्मण नेता, दलित नेता, अल्पसंख्यक नेता जैसे जातिवाचक शब्दों का उल्लेख सामाजिक विशलेषण के लिए उचित होता है। मगर चुनाव के दौरान इसका उपयोग गलत है। पूरी चर्चा के दौरान पत्रकारों व श्री वागले में शाब्दिक झड़प हुई।

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