गुरुवार, नवंबर 26, 2009

देश में सेना से ज्यादा पुलिसकर्मी शहीद


15 प्रतिशत लोगों के कारण ही बदनाम है पुलिस

कश्मीर से कन्याकुमारी के लिए निकली 8 पुलिस अधिकारियों की सद्भावना रैली का नागपुर में भव्य स्वागत

संजय स्वदेश
नागपुर। आजादी के बाद पड़ोसी राज्यों से हुए युद्ध में जितने सैनिक शहीद हुए हैं, उनके कहीं ज्यादा पुलिसकर्मी विभिन्न घटनाओं में शहीद हुए। यह कहना है हैदराबाद स्थित सरदार बल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी के निदेशक आईजी जी.यू . शास्त्री का। श्री शास्त्री राष्ट्रीय एकता और आम जनमानस में फैली पुलिस की नकारात्मक छवि को सुधारने के लिए गत 7 नवंबर से श्रीनगर से कन्याकुमारी तक साइकिल रैली यात्रा पर निकले हैं। इनकी यात्रा में 7 अन्य पुलिस अधिकारियों का समावेश है। गुरुवार की शाम शास्त्री की टीम नागपुर पहुंची। श्री शास्त्री ने कहा कि महज 15 प्रतिशत लोगों का ही पुलिस का समाज के साथ किसी ने किसी तरह से कभी पाला पड़ा रहता है, लेकिन इनमें से बहुत कम लोगों के साथ ही पुलिस के साथ नाकारात्मक अनुभव या भ्रष्टाचार का अनुभव होता है। इन्हीं लोगों के अनुभव को सुनकर समाज के अन्य लोग पुलिस के प्रति नाकारात्मक छवि बना लेते हैं। उन्होंने कहा कि एक शोध रिपोर्ट से पता चला है कि पुलिस के प्रति नाकारात्मक धारणा रखने वाले लोगों ने बताया कि उनका कभी पुलिस के साथ किसी तरह का पाला नहीं पड़ा। वे दूसरे लोगों के कहने, समाचार और फिल्म में प्रस्तुत होने वाली पुलिस की नाकारात्मक छवि के कारण उनकी ऐसी धारणा बनी है। shastri ने बताया कि जनता के बीच इसलिए बदनाम है, क्योंकि पुलिस के कार्य जनता के साथ सीधे जुड़े रहते हैं। वहीं देश की सैन्य बलों के प्रति ऐसा नजरिया नहीं है क्योंकि सेना जनता से कटी रहती है। उन्होंने कहा कि समाज में पुलिस की नकारात्मक छवि की बुनियाद अंग्रेजी शासनकाल से पड़ी है। इसलिए इसे आसानी से नहीं बदला जा सकता है। इसे बदलने में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि इस धारणा को बदलने के लिए पुलिस और जनता, दोनों को पहल करनी चाहिए लेकिन पहला कदम पुलिस को बढ़ाना होगा। उन्होंने मीडिया से अपील की कि वह पुलिस की नाकरात्मक छवि सुधारने में सहयोग करे। दो लोगों से शुरू हुई यात्राश्री शास्त्री ने बताया कि वे कश्मीर से कन्याकुमारी तक की इस यात्रा में अभी तक अनेक तरह के अनुभव हुए। लोग हमें प्रोत्साहित कर रहे हैं। जब यात्रा शुरू हुई थी तब मात्र दो लोग ही थे। बाद में जम्मू में तीन अन्य यात्री
इस यात्रा के हिस्सा बने। दिल्ली पहुंचते ही रैली में तीन लोग और जुड़ गए। उन्होंने बताया कि हैदराबाद में और भी लोग इस रैली से जुड़ेंगे। साइकिल की भूमिका महत्वपूर्ण श्री शास्त्री ने कहा कि रैली के लिए उन्होंने साइकिल का ही साधन इसलिए चुना क्योंकि इससे शरीर का अच्छा व्यायाम होता है। आज लोग थोड़ी दूर चलने के लिए भी वाहन पर निर्भर हो गए हैं। इससे न केवल उनका शरीर जड़ हो रहा है, बल्कि पेट्रोल नष्ट हो रहा है और पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। साइकिल की यात्रा हर मामले में लाभकारी है। उन्होंने बताया कि कई देश के लोग साइकिल के महत्व को समझने लगे हैं। पड़ोसी देश चीन में हजारों लोग साधन होने के बाद भी साइकिल चलाते हैं। हर दिन 100 किलोमीटर हर दिन 100 किलोमीटर पुलिस मुख्यालय में रैली टीम का भव्य स्वागत शहर पुलिस आयुक्त प्रवीण दीक्षित के नेतृत्व में किया गया। पुलिस की बैंड टीम ने मधुर धुनों से स्वागत किया। एनसीसी, एनएसएस, आरएसपी कैड्ेस ने भी रैली में आए अधिकारियों का स्वागत किया। 7 नवंबर को श्रीनगर से चली इस रैली का समापन 14 दिसंबर को कन्याकुमारी में होगा। श्री शास्त्री ने बताया कि रैली को मार्ग में सीमा सुरक्षा बल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की सुरक्षा मिल रही है। उनके साथ एक साइकिल मैकेनिक भी वाहन में चल रहा है। उन्होंने बताया कि रैली के बीच कई बार साइकिल पंचर होती है। हर दिन औसतन 100 से 110 किलोमीटर की यात्रा होती है। रैली टीम में जी.एस.यू. शास्त्री के अलावा मिलन कनस्कर- पुलिस प्रशिक्षण अकादमी के उपनिदेशक, अजयकुमार नंद- अकादमी के सहायक उपनिदेशक, कवायद अनुदेशक हरिओम, नागेश पाल, पालिनी कुमार, अब्दुल समद, राजेंद्र शामिल हैं।

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