सोमवार, नवंबर 30, 2009
याद आई धूमिल की कविता
संजय स्वदेश
सांसद में सांसदों की अनुपस्थिति के मामले में 30 नवंबर इतिहास बन गया।
सोमवार को संसद की कार्यवाही शुरू होते ही प्रश्नकाल में 38 सांसद सवाल पूछेंने वाले थे। यह पहले तय होता है कि प्रश्नकाल में कौन-सांसद कौन-सा सवाल पूछेंगे। क्योंकि प्रश्नकाल में सवाल पूछने से पूर्व इसकी सूचना देनी पड़ती है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि सोमवार को प्रश्नकाल में महज चार संसद ही पहुंचे। न सवाल पूछने वाले मौजूद थे और न ही जवाब देने वाले। इसी कारण लोकसभा के इतिहास में पहली बार प्रश्नकाल रोकना पड़ा। देश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठनेवालों के गैरजिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की इस करतूत से कॉलेज के जमाने में धूमिल के काव्य-संग्रह संसद से संड़क तक की एक कविता याद आती है :-
एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूं -
यह तीसरा आदमी कौन है?
मेरे देश की संसद मौन है।
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