रविवार, नवंबर 22, 2009

बाल ठाकरे में अयोध्या जाने की हिम्मत नहीं : अशोक सिंघल


बहक गये हैं राज ठाकरे

संजय स्वदेश


नागपुर। अयोध्या में गिराये गए बाबरी ढांचे का श्रेय लेने वाले शिवसेना प्रमुख के दावे पर विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेता अशोक सिंघल ने राम बाण छोड़ते हुए कहा है कि ठाकरे में इतनी हिम्मत नहीं कि अयोध्या जाते। औपचारिकता के लिए केवल अपने एक प्रतिनिधि मनोहर जोशी को वहां भेजा। बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने के लिए लाखों रामभक्त अध्योध्या पहुंचे, लेकिन एक भी शिवसैनिक नहीं आया। इसके उलट बाल ठाकरे ने यह दावा किया था कि बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने में शिवसैनिकों को गर्व है। रविवार की सुबह एक प्रेस कान्फ्रेंस में विहिप नेता ने ठाकरे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मस्जिद के ढांचे को गिराने में केवल एक प्रतिनिधि को भेज कर ठाकरे का ढांचा गिराने का दावा गलत है। उस समय आयोध्या में पहुंचे चार लाख रामभक्तों में एक भी शिवसैनिक नहीं था। गुजरात के गोधरा दंगों पर प्रतिक्रिया में श्री सिंघल ने कहा कि मोदी में दंगे कराने का दम नहीं था। गोधरा कांड राम का कोप था। इसकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया स्वरूप गुजरात में दंगे हुए। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी के विधानसभा में शपथ लेने के दौरान मनसे विधायकों की धक्का-मुक्की और दुव्र्यवहार पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में सिंघल ने कहा कि राज ठाकरे अच्छे घराने से हैं। लेकिन इन दिनों बहक गये हैं। वे महाराष्ट्र से हिंदी भाषियों को निकाल नहीं सकते हैं। राज ठाकरे के ऐसे कार्यों को प्रोत्साहन नहीं देना चाहिए। भगवान उसे सद्बुद्धि दे। उन्होंने कहा कि देश में आतंक का वातावरण तैयार हो रहा है। वंदे मातरम फतवा के मामले में श्री सिंघल ने गृहमंत्री को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अफसोस की बात है कि जिस मंच पर देश के गृहमंत्री थे, उसी मंच से वंदे मातरम के खिलाफ फतवा जारी हुआ। ज्ञात हो कि कुछ दिन पूर्व विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगडिय़ा ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा था- फतवा तब जारी हुआ था, जब चिदंबरम वहां से जा चुके थे। श्री सिंघल ने कहा कि इस देश में रहना है तो हर किसी को वंदे मातरम का सम्मान करना होगा। यह आजादी का महामंत्र था। उन्होंने कहा कि जन गण मन गीत का स्वर गाते हुए हजारों लोगों ने अपना बलिदान दिया। वंदे मातरम का विरोध केवल शत्रु ही कर सकते हैं। इसका विरोध करने वाले भारत में पाकिस्तान बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि 50 साल पूर्व तिब्बत एक स्वतंत्र राष्ट्र था। दलाई लामा तिब्बत के धार्मिक और राजकीय नेता हैं। इसके बाद भी चीन बार-बार भारत को घुड़की देता है। सरकार कहती है कि चीन से कोई झगड़ा नहीं है। सरकार चीन से डर रही है, जबकि हमारी सेना चीन से मुकाबला करने में सक्षम है। दूसरी ओर देश के अंदर 300 जिले नक्सलवाद के चपेट में हैं। पर सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है। आज की जैसी स्थितियां बन रही है, उसमें हिंदुवादी संगठन फिर से संगठित हो रहे हैं। ०००००००००००००००००००००००००००००००००००००

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