शनिवार, जून 12, 2010

सीखा दाखिले का स्टंट, बन गए एजेंट

प्रबंधन कोटे से दाखिले के लिए जम कर वसूला जा रहा है डोनेशन/ कई छात्र कर रहे कालेजों की दलाली!
संजय
नागपुर।
इन दिनों नागपुर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में दाखिले की धूम मची हुई है। हर कोई मनपसंद के कॉलेज में दाखिला लेना चाहता है। सीट कम होने से कारण दाखिले की स्पर्धा बढ़ गई है। लेकिन इन्हीं सबके बीच कुछ विद्यार्थियों में दलाली का काम शुरू कर दिया है। इनमें सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग संस्थानों के वे विद्यार्थीं हैं, जिन्होंने दूसरे राज्यों से आकर यहां दाखिला लिया है। वे अपने ही क्षेत्र से जान पहचान के विद्यार्थियों को दाखिला प्रबंधन कोटे से अपने संस्थान में करवा कर मोटी दलाली वसूल रहे हैं। इसके अलावा कुछ बाहरी दलाल भी सक्रिय हैं।
ज्ञात हो कि नगर में तकनीकी शिक्षण संस्थानों में राज्य के बाहरी विद्यार्थियों को दाखिला प्रबंधन कोटे से ही मिलता है। शिक्षण संस्थानों को भी इस कोटे से दाखिला देने पर अच्छी कमाई हो जाती है। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने इस तरह के डोनेशन लेकर दाखिला देने वाले शिक्षण संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है। इसके बाद भी विभिन्न संस्थानों में डोनेशन लेकर दाखिले का खेल जारी है। शिक्षण संस्थान प्रबंधन कोटे से बाहरी विद्यार्थियों को दाखिले के एवज हर साल की तरह इस वर्ष भी लाखों रुपये वसूल रहे हैं। इसके लिए कई दलाल सक्रिय हैं। दूसरे प्रदेशों से आने वाले विद्यार्थियों को दाखिले की पूरी प्रक्रिया और प्रबंधन कोटे की सीट के तहत दाखिला लेने का रास्ता नहीं मालूम होता है। इसलिए वे सक्रिय दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं। प्रबंधन कोटे के तहत दाखिले का डोनेशन की रकम हर संस्थान का अलग-अलग है। सबसे ज्यादा डोनेशन हिंगणा स्थित प्रियदर्शिनी कॉलेज का है। सूत्रों की मानें तो इन दिनों यहां सबसे ज्यादा 3 से 4.50 लाख तक रुपये की डोनेशन मांगी जा रही है। इसमें प्रबंधन के साथ-साथ दाखिला कराने वाले एजेंट का भी कमीशन है। सबसे ज्यादा डोनेशन बी.टेक टेलीकम्युनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक संकाय का है। जिन विद्यार्थियों ने पिछले वर्ष किसी एजेंट के चक्कर में पड़ कर मोटी रकम खर्च कर दाखिला लिया था, वे एक साल के अंदर प्रबंधन कोटे से दाखिला की प्रक्रिया पूरी तरह से समझ चुके हैं। उन्हें लगता है कि उसे बाहरी एजेंट से कुछ ज्यादा रकम लेकर यहां दाखिला लिया है। यहां शिक्षकों से जान-पहचान होने के बाद यह रास्ता सरल हो चुका है। झारखंड से आकर प्रियदर्शनी कॉलेज में बी.टेक इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई करने वाले एक छात्र ने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया कि पिछले साल उसने एक बाहरी एजेंट को ढाई लाख रुपये देकर यहां दाखिला लिया था। तब उसे यहां दाखिले की पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं थी। जब पैसा ही खर्च करना है तो सीधे प्रबंधन से संपर्क कर मोलभाव किया जा सकता है। इसके लिए इस वर्ष वे अपने ही क्षेत्र के ऐसे विद्यार्थियों की तलाश में हैं जो यहां दाखिला लेना चाहते हैं। प्रबंधन की ओर से भी ऐसे विद्यार्थी लाने पर एक अच्छी-खासी रकम कमीशन के रूप में मिलने के संकेत मिल चुके हैं। एक बाहरी एजेंट ने बताया प्रबंधन कोटे से दाखिला कराने पर अब पहले की तरह कमाई नहीं होती है। अब तो दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को खोजना पड़ता है। उसने बताया कि जिन विद्यार्थियों ने पिछले वर्ष दाखिला लिया था, वे ही सीधे अपने क्षेत्र के विद्यार्थियों से संपर्क कर उन्हें प्रबंधन से मिला रहे हैं और कमीशन ले रहे हैं।

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