सोमवार, जून 07, 2010

कभी घुसपैठियों का सर्वे नहीं हुआ


कभी घुसपैठियों का सर्वे नहीं हुआ : ज्योतिप्रसाद
संजय स्वदेश
नागपुर।
बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर असम में घुसपैठ हो रही है, इसमें अल्पसंख्यकों की संख्या ज्यादा होने के कारण स्थानीय अल्पसंख्याक बहुत ही कम हो गए हैं। यह कहना है असम के पूर्व मुख्य सचिव ज्योति प्रसाद राजखोवा का। वे नागपुर के रेशिमबाग में संघ शिक्षा वर्ग की तृतीय वर्ष समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। राजखोवा ने कहा कि घुसपैठियों में मुस्लिम समुदाय के लोगों की संख्या ज्यादा है। परिवार नियोजन नहीं होने से उनकी संख्या दिनों दिन बढ़ते ही जा रही है। देश में कभी घुसपैठियों का सर्वे नहीं हुआ। इसकी मांग हमने बार-बार की है। जनगणना व मतदाता जैसी महत्वपूर्ण पहल से घुसपैठों को दूर रखना चाहिए। नहीं तो इन्हीं के सहारे ये घुसपैठिये राजनीति में अपनी पैठ बना लेंगे। नेपाल से प्रत्यक्ष कोई समस्या नहीं हैं। लेकिन नेपाल माओवादी का कट्टर पक्षधर है। बताया जाता है कि माओवादियों के पास उत्कृष्ट दर्जे के 20,000 से अधिक अत्याधुनिक हथियारें हैं।
राजखोवा ने कहा कि ब्रम्हपुत्र नदी पर चीन द्वारा निर्माण की जा रही विद्युत संयंत्र देश के लिए खतरे की घंटी है। इसकी जानकारी होने के बावजूद केंद्र सरकार को चुप्पी साधी हुई है। चीन सरकार ब्रम्हपुत्र नदी पर विद्युत संयंत्र बना कर भारत अनगिनत संकट पैंदा कर सकती है। देश में धर्म परिवर्तन के लिए कहीं दबाव तो कही लोभ-लालच का इस्तेमाल हो रहा है, यह देश के लिए चिंतन का विषय है। उन्होंने कहा कि असम में उग्रवाद व घुसपैठ रोकने के लिए केंद्र के पास कोई ठोस उपाय योजना नहीं है।
सरकार की नियम और नीति में फर्क : मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंचालक मोहन भागवत ने कहा कि स्वंयसेवक संघ जो बात वर्षों से कह रहा है, वह बात असम के अध्ययनशील ज्योतिप्रसाद द्वारा व्यक्त किया जाना, यह सिद्ध करता है कि स्वंयसेवक संघ ने तब असम के बारे में सही जानकारी हासिल कर उचित बयान जारी किया था। यह समस्या सिर्फ असम की नहीं बल्कि संपूर्ण भारत की है। केंद्र को सबकुछ मालूम होते हुए भी वर्तमान स्थिति को स्वीकार नहीं करना सिर्फ और सिर्फ राजनैतिक स्वार्थ है। हमारी सरकार व प्रशासन की नियत व नीति में काफी फर्क है। देश में जनगणना को दौर चल रहा है। इसमें नागरिकता जोड़ दी गई है। जबकि दोनों अलग-अलग मुद्दे ही नहीं, इनका अलग-अलग नियम है। देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रत्येक देशवासियों को है। सरकार व प्रशासन में बैठे लोग स्वार्थ के लिए स्वंय को भोलाभाला दर्शा रहे हैं। जनगणना के लिए विशेषज्ञों की राय लेकर शुरुआत करनी चाहिए थी। इस बार ओबीसी की गणना, जनगणना के साथ जरूर होगी। लेकिन उनका विकास मुमकिन नहीं है। कुल मिलाकर सत्ता में कबिजों को राष्ट्र की स्पष्ट कल्पना नहीं है, उन्हें सिर्फ मतों का स्वार्थ है।
कश्मीर की समस्या सर्वत्र चर्चित है। लेकिन समस्या जस के तस हैं। नक्सलवादियों के कदम दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं और केंद्र अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग बयान बाजी कर रहा है। मालूम हो कि आंध्र में राजनैतिक पार्टी व नक्सलवादियों के साथ चुनावी गंठबंधन हुई थी। इसीतरह छत्तीसगढ़ में भी सांठगांठ के लिए प्रेरित करने की मंशा नजर आ रही है। देश के शिक्षाविदों से विदेशी घबरा रहे है तो दूसरी ओर देश में विदेशी शिक्षा को प्रवेश देकर अपनी खिल्ली उड़ाई जा रही है। श्री भागवत के संबोधन के पश्चात कार्यक्रम का विधिवत समापन हुआ।
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