मंगलवार, जून 01, 2010

किसानों के राहत के 3750 करोड़ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा


दिल्ली जाएंगी विदर्भ की किसान विधवाएं

नागपुर। विदर्भ की विधवाएं अब अपना दुखड़ा सुनाने दिल्ली जाएंगी। प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने जाकर वे प्रधानमंत्री को बताने की कोशिश करेंगी कि कैसे प्रधानमंत्री राहत पैकेज के नाम पर जो कुछ विदर्भवासियों को दिया गया, वह सब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और उनके हालात बद से बदतर हो गये हैं।
विदर्भ की एक विधवा कलावती का नाम लेकर देशभर में विदर्भ की विधवाओं पर ध्यान खींचने वाले राहुल गांधी भी अब कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। चुनाव में कलावती को न खड़ा होने देने के लिए कांग्रेस ने भले ही एड़ी चोटी का जोर लगाकर उन्हें मैदान में उतरने से रोक दिया हो, लेकिन अब उसी कांग्रेस के शासनकाल में प्रधानमंत्री राहत पैकेज पर जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। राज्य की पब्लिक एकाउण्ट्स कमेटी ने नवंबर 2009 में सदन पटल पर जो रिपोर्ट रखी थी उसमें बताया था कि प्रधानमंत्री राहत पैकेज के नाम पर जो 3750 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे वे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं।
विदर्भ जन आंदोलन समिति और विदर्भ शेतकारी विधवा संघटना की ओर से यवतमाल जिले के वांदाकोड़ा में 1 जून से शुरू हुए अनिश्चितकालीन धरने के बाद विदर्भ जन आंदोलन समिति के नेता किशोर तिवारी ने कहा कि हम अपनी मांग लेकर दिल्ली जाएंगे क्योंकि राज्य सरकार एक बार फिर 7650 करोड़ के सिचाईं पैकेज की मांग कर रही हैं। हमारी मांग है कि यह पैसा भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़े बल्कि विदर्भ के तीस लाख किसानों के हित में खर्च किया जाए। किशोर तिवारी कहते हैं कि विदर्भ में पैकेज के नाम पर लूटपाट का बोलबाला है और किसानों की हालत जस की तस बनी हुई है। वे मांग कर रहे हैं कि राहत पैकेज की सीबीआई जांच करवाई जाए ताकि राहत के नाम पर भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके और विदर्भ की विधवाओं को उनका वाजिब हक मिल सके। किशोर तिवारी कहते हैं कि राहत पैकेज के नाम पर राज्य के नौकरशाह बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कुछ नेताओं के साथ मिलकर पैसों की बंदरबाट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विदर्भ में किसान आत्महत्याएं बदस्तूर जारी हैं। ऐसे वक्त में भी अगर हमारे नौकरशाह इतने संवेदनहीन और व्यापारिक कंपनियां अपना मुनाफा देख रही हैं तो यह राष्ट्र और महाराष्ट्र की सरकार के लिए डूब मरने की बात है।
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