रविवार, जून 20, 2010

मम्मी मुझे पापा से मिलने दो



नागपुर। रविवार को 'फादर डे' के मौके पर कई लाड़लों ने अपने पापा को विश करते हुए उन्हें छोटे-मोटे उपहार देकर उनका दिल जीता लेकिन वहीं नागपुर के कई बच्चे और अभिभावक रविवार की सुबह रामदासपेठ स्थित लैंड्रा पार्क में उपस्थित हुए। यहां आए बच्चे अपने पापा का प्यान पाने के लिए जज साहब से गुहार लगाने की तख्ती लिए हुए थे।

वहीं अभिभावक वर्षों से अपने लाडले-लाडलियों की एक झलक नहीं पाने की कसक दिले में लिए हुए आपस में चर्चा कर रहे थे। दरअसल ये सभी लोग दहेज विरोधी कानून 498-ए के तहत पीडित पति और बच्चे थे। ये सेव इंडिया फैमिली फाऊंडेशन नागपुर शाखा के बैनर तले यहां एकत्रित होकर फादर दिवस के मौके पर सरकार और न्यालय से इस धारा के तहत चल करे मामलों में बच्चों को पिता केस साथ मिलने की छूट देने की मांग कर रहे थे।

मोहन बावेटकर ने बताया कि वे खाड़ी देश में अच्छे जॉब में थे। लेकिन घरेलू विवाद में पत्नी ने 498-ए के तहत मामला दर्ज कराया। जॉब तो गई ही। मेरी पूरी जिंदगी तबाह हो गई। साढ़े तीन साल से बेटी का चेहरा तक नहीं देखा। जब अंतिम बार बेटी का चेहरा देखा था, तब वह दो माह की थी। अब तो उसका चेहरा भी ठीक से याद नहीं। राष्ट्र परिवहन विभाग में तैनात अनिल फूल ने बताया कि उने के लिए फादर डे को कोई मायने नहीं है। जब से पत्नी ने 498-ए के तहत मामला दर्ज कराया है। तब से बेटे की सूरत देखने के लिए तरस गया है। 9 साल से बेटे की एक झलक पाने की मन में लालसा लिये कानून की कमजोरी को कोस रहा हूं।

फाऊंडेशन के नागपुर शाखा के प्रमुख राजेश बखारिया ने बताया कि नागपुर हजारों ऐसे लोग हैं जिन्होंने वर्षों से अपने बेटी-बेटे की सूरत नहीं देखी। दरअसल 498-ए के तहत चल रहे मामले में करीब 90 प्रतिशत बच्चे मां के साथ ही रहते हैं। पिता के द्वारा कोर्ट से बच्चों से मिलने की गुहार लगाने के बाद जब मां को बच्चे को उसके पिता से मिलाने के लिए कहा जाता है, करीब 70-80 प्रतिशत मामले में महिलाएं बच्चे लेकर आती ही नहीं है। वे किसी न किसी तरह का बहाना बना देती है। इसपर कोर्ट किसी तरह की कार्रवाई नहीं करती है।

बाखरिया ने बताया कि 498-ए के पीडित लोग नागपुर के फैमिली कोर्ट में गत एक माह से इस बात अभियान चला रहे थे कि फादर डे के दिन उनके बच्चों से जरूर मुलाकात कराया जाए। क्योंकि बच्चों के परवरिश के दौरान उनके मन पर मां के साथ पिता का भी महत्वपूर्ण असर पड़ता है। लेकिन इस धारा के तहत फंसे लोग बच्चों की एक झलक पाने के लिए मोहताज रहते हैं।

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