मंगलवार, जून 01, 2010

भीषण गर्मी से मर रहे हैं 'फ्लाई फॉक्सÓ

संजय कुमार
नागपुर। बीते सप्ताह की गर्मी केवल मनुष्यों पर कहर बन कर नहीं बरपी है। पशु-पक्षियों और अन्य वन्य जीवों पर भी इसका भीषण असर पड़ा है। गत सप्ताह भीषण गर्मी से नगर में करीब 150 चमगादड़ मर गए। चमगादड़ों की मौत से पक्षी मित्रों में मायूसी है। भारतीय पक्षी संरक्षण नेटवर्क के नागपुर संयोजक राजू कसांबे ने बताया कि वे कुछ दिन पूर्व जब महत्वपूर्ण पक्षियों का मुआयना करने वर्धा रोड़ स्थित केंद्रीय करागृह और रहाटे कालोनी चौक समीप के तालाब के पास पहुंचे तो चौंक गए। जब उन्होंने यहां पहले भ्रमण किया था, तो यहां के बरगद के पेड़ से लटकने वाले कुल चमगादड़ों की संख्या 300 के करीब थी। लेकिन इस बार लटकने वाले चमगादड़ों की फौज आधी दिखी। ज्ञात हो कि नगर के कुछ खास क्षेत्रों के बरगद आदि के पेड़ ही चमगादड़ों के लटकने के प्रमुख ठिकाने हैं। इनमें से प्रमुख रूप से नागपुर स्थित केंद्रीय करागृह के पास स्थित तालाब, शुक्रवारी तलाब के पार्क के पेड़, और सिविल लाइन्स में उद्योग भवन के पास के बरगद के पेड़ों पर दिन के समय चमगादड़ लटकते हुए दिखाई देते हैं। ज्ञात हो कि दिन के समय तेज रौशनी के कारण चमगादड़ को दिखाई नहीं देता हैं। इसलिए वे सुबह सूर्य की किरणें निकलने से पहले ही अपने ठिकाने पहुंच कर पेड़ की टहनियों से लटक जाते हैं। लेकिन दिन के समय भीषण गर्मी और सूरज की तीखी किरणों ने सैकड़ों चमगादड़ों की जान ले ली है। गर्मी से गश खाकर पेड़ से नीचे गिरने वाले चमगादड़ों पर कुत्ते झपट पड़ते हैं और उनका काम तमाम कर देते हैं। पक्षी मित्रों का कहना है कि चमगादड़ों की इस तरह से मौत से इनकी घटती संख्या चिंताजनक है। वहीं कुछ लोगों में यह भ्रम है कि चमगादड़ रात में फलों को नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन पक्षी विज्ञानियों का कहना है कि चमगादड़ एक तरह से किसानों को मित्र हैं, वे उन्हीं फलों को खाते हैं जो खराब हो चुके होते हैं या फिर उन्हीं फूलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जो फल बनने वाले नहीं होते हैं। भूख मिटाने की प्रक्रिया में चमगादड़ ऐसे कीटों को खाते हैं जो फसल या फूलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस तरह से चमगादड़ किसानों के दुश्मन नहीं मित्र होते हैं। पक्षी मित्रों का कहना है कि चमगादड़ 'फ्लाई फॉक्सÓ हैं। लेकिन इस तरह भारी संख्या में मरने से प्रकृति असंतुलन का खतरा बढ़ता जा रहा है। ज्ञात हो कि चमगादड़ों को वन्य जीव सुरक्षा कानून 1972 के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है। लेकिन समाज में फैली भ्रांतियों के कारण किसान इन्हें अपना दुश्मन मानकर इन्हें मारने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। नागपुर में शायद यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में चमगादड़ों के मरने की घटना हुई है। भीषण गर्मी से इतनी ही संख्या में यवतमाल जिले के वणी में पक्षियों के मरने की खबर आई थी।

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