राष्ट्रपति भवन,मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी सक्रिय
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विवि में पदों की कथित नीलामी का मामला
नागपुर से प्रकाशित हिंदी दैनिक समाचारपत्र 'दैनिक 1857 इन दिनों वर्धा स्थिति महात्मा गांधी हिंदी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में होने वाली नियुक्तियों की कत्थित धांधली को लेकर हर दिन कोई न कोई खबर प्रकाशित कर रहा है। प्रकाशित खबरों का
से 5 अप्रैल से महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में होने वाले विभिन्न शैक्षणिक पदों के साक्षात्कार अब खटाई में पड़ते दिखाई दे रहे हैं। इस प्रक्रिया को रद्द करने के मामले में राष्ट्रपति भवन, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सक्रिय होने की जानकारी मिली है। इस संबंध में जब यूजीसी के अध्यक्ष सुखदेव थोराट से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे अभी-अभी विदेश यात्रा से लौटे हैं। सारे प्रकरण को देखकर ही कोई निर्णय लेंगे।
इसी बीच सामाजिक संस्था 'द मार्जिनलाइज्डÓ इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव रिसर्च एंड मीडिया स्टडीज तथा छात्र संघर्ष समिति के भेजे गए पत्र के संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय के प्रेस निदेशक से बात की गई तो उन्होंने भी मामले को समझने के बाद जवाब देने के लिए कहा है। राष्ट्रपति भवन के प्रेस निदेशक अर्चना दत्ता से यह पूछा गया कि क्या महामहिम इस साक्षात्कार प्रक्रिया में होने वाली कत्थित धांधली को रोकने के लिए कुछ कदम उठाएंगी, तो उन्होंने कहा कि इस सवालों को जवाब वे बाद में ई-मेल से भेजेंगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की प्रेस निदेशक ममता वर्मा ने भी मामले की पूरी तहकीकात रिपोर्ट के बाद जल्द ही प्रेस को संबोधित करने का आश्वासन दिया। मामला मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल तक भी पहुंच गया है।
इधर विवि में नियुक्तियों के सक्रिय एजेंट संवाददाताओं को विभिन्न माध्यमों से धमका रहे हैं। यहां तक की ईमेल से गालियां देकर एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दे रहे हैं। वर्धा के एक पत्रकार ने बताया कि उसे ई-मेल प्राप्त हुआ है जिसमें उसे गालियां दी गई हैं और धमकाया गया है। वह इस संबंध में जल्द ही साइबर अपराध का मामला दर्ज कराने वाला है। 'दैनिक 1857Ó में प्रकाशित खबर से सक्रिय एजेंटों में खलबली मची है।
विवि सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया में और भी कई तरह की गड़बड़ी हो रही है। आरक्षण के रोस्टर में गड़बड़ी और गैर मंजूर पद पर नियुक्ति का मामला भी सामने आया है। गैर मंजूर पद में विवि के एक पूर्व एसोसिएट प्रो. के लिए एक ऐसा पद विज्ञापित किया गया है जो यूजीसी से स्वीकृत ही नहीं है। सूचना है कि इस पद के लिए राजस्थान के एक विवि में प्रोफेसर की नियुक्ति करीब तय मानी जा रही है। फिलहाल विवि की नियुक्ति प्रक्रिया में कथित धांधली के मामला समाचार पत्र में आने से वर्धा में चर्चा का विषय बना हुआ है। विवि ने इस बार बड़े सुनियोजित तरीके साक्षात्कार के लिए बुलाये गए उम्मीदवारों के नाम वेबसाइट पर नहीं डाले हैं जिससे कि स्क्रिनिंग में छंटे हुए दूसरे उम्मीदवार कोर्ट जाकर स्टे ऑर्डर न ले आएं।
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हिन्दी विवि का जुगाड़ी कन्हैया त्रिपाठी!नागपुर। दैनिक 1857 में प्रकाशित होने वाले हिन्दी विवि संबंधित समाचारों को पढ़ कर विवि के एक शोधार्थी कन्हैया त्रिपाठी ने अपनी आपत्ति जताई। उसकी आपत्ति को 2 अप्रैल के अंक में पेज 12 नंबर पर प्रकाशित किया गया। प्रकाशित खबर उसके खिलाफ नहीं थी। फिर भी उसने आपत्ति दर्ज कराई। पत्र में प्रकाशित खबर में कहीं भी उसके नाम का उल्लेख नहीं था। फिर भी वह स्वयं को यह मानते हैं कि जो कुछ कहा गया, उससे सीधा उनका संबंध है।
हमारे संवाददाता ने कन्हैया त्रिपाठी के बारे में जानकारी हासिल की। पहले तो कन्हैया त्रिपाठी खुद को शोधार्थी होने से इनकार करते हैं। वे स्वयं को वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं। सूचना है कि फिलहाल वे विवि में शोधार्थी हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार कन्हैया त्रिपाठी ने विवि में डायस्पोरा के लिाए आवेदन किया था। स्क्रीनिंग में ही उसका नाम छंट गया। इससे पूर्व उन्होंने विवि की ओर से अमेरिका जाने के लिए एक प्रस्ताव देकर 1.5 लाख रुपये भी मांगे थे, जिसे विवि के कुलपति वी.एन.राय ने नामंजूर कर दिया। इसके बाद ही कन्हैया त्रिपाठी व अन्य छात्रों ने हमारे संवाददाता सं संपर्क कर विवि में सक्रिय लॉबी के बारे में जानकारी दी। परंतु संवाददाता ने उसका नाम लिये बिना ही गुप्त आवेदक के नाम पर रिपोर्ट लिखी। इधर मामले में नया मोड़ देखकर त्रिपाठी कॉल लेटर लेने के लिए नया तिकड़म खेलते नजर आ रहे हैं। कन्हैया त्रिपाठी ने 'दैनिक 1857Ó को नया बयान लिख भेजा है। त्रिपाठी की चालाकी इस बात से सिद्ध होती है कि जब प्रकाशित रिपोर्ट में किसी व्यक्ति का नाम नहीं है, तो फिर वे 'आ बैल मुझे मारÓ की तरह स्वयं आगे क्यों आ रहे हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कन्हैया त्रिपाठी ने पूर्व कुलपति गोपीनाथन से किसान आत्महत्या पर डाक्यूमेंट्री के लिए विवि से अच्छा-खासा धन प्राप्त किया। अपनी तिकड़म से ही विवि की पिछली नियुक्तियों में बिना पात्रता लिए साक्षात्कार के लिए कॉल लेटर प्राप्त कर लिया। त्रिपाठी की महत्वाकांक्षाओं का आालम यह है कि उन्होंने बिना स्नातक के प्रथम कुलपति अशोक वाजपेयी से हिन्दी विवि में स्नातकोत्तर में दाखिला की अनुमति मांगी। बाद में स्नातक की डिग्री हासिल कर विवि के दूसरे कुलपति के कार्यकाल में दाखिला प्राप्त किया। महत्वाकांक्षा इतनी कि पी.एचडी. कर रहा एक शोधार्थी अंतरराष्ट्रीय विवि में प्रोफेसर, रीडर, व्याख्याता, असिस्टेंट रजिस्ट्रार से लेकर सेक्शन ऑफिसर तक के पदों के आवेदन करते हैं।
जानकारों का कहना है कि त्रिपाठी हर वीआईपी के कार्यक्रम में अपनी पुस्तक का जबरत लोकार्पण करवाते हैं। ऐसे ही एक प्रयास में पूर्व राज्यपाल कृष्णकांत शास्त्री के सुरक्षाकर्मियों से कन्हैया त्रिपाठी धक्के भी खा चुके हैं। वर्धा के एक पूर्व विधायक के घर से धक्के मारकर निकाला जा चुका है। उस वक्त फर्जी पत्रकार बना यह शख्स एक परिचित के बीचबचाव से गिरफ्तार होने से बचा है।
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