भव्य समारोह में हुआ पद्म भूषण संत सिंह चटवाल का सत्कार
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संजय
नागपुर। रामदासपेठ स्थित होटल सेंटर प्वाईंट में आयोजित एक समारोह में राज्यसभा सदस्य और लोकमत समाचार समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक विजय दर्डा की ओर से विलियम जे. क्लिंटन फाउंडेशन के विश्वस्त और इंडियन-अमेरिकन फॉर डेमोके्रट्स के अध्यक्ष पद्मभूषण संत सिंह चटवाल का सत्कार किया गया। दर्डा ने उन्हें कृपाल एवं सरोपा भेंट दिया। इस मौके पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशीलकुमार शिंदे, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री विलासराव देशमुख, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल, राज्य के सामाजिक कल्याण मंत्री व नागपुर के पालक मंत्री शिवाजीराव मोघे, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री अनिल देशमुख, दुग्धमंत्री नितिन राऊत,पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद विलासराव मुत्तेमवार, मनपा महापौर अर्चना डेहनकर, पूर्व सांसद बनवारीलाल पुरोहित, वीडियोकॉन समूह के प्रमुख वी.एन. धूत, मोनेट इस्पात एंड एनर्जी लिमिटेड के कार्यकारी उप प्रमुख संदीप जाजोडिया, अभिजीत गु्रप के प्रमुख मनोज जयस्वाल, इमटा गु्रप ऑफ कंपनीज के सीएमडी उज्ज्वल उपाध्याय प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
सत्कार के उत्तर में संत सिंह चटवाल ने कहा कि उनकी जीवन-शैली भले ही अमेरिकी हो गई हो, लेकिन उनका दिल अभी भी हिंदुस्तानी है। भारत और अमेरिकी के बीच संबंधों की एक गहरी खाई थी। मोरारजी देसाई के कार्यकाल में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने भारत यात्रा की थी। उसके 23 वर्ष बाद ही विल क्लिंटन भारत यात्रा पर आए। इस लंबी खाई के बाद ही पहला मौका आया जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री को अमेरिकी के ह्वाईट हाऊस में रात्रि भोज पर आमंत्रित किया गया। यह आयोजन इतना भव्य था कि इसमें करीब 700 लोगों ने हिस्सा लिया था। चटवाल ने कहा कि इस बार भारत आने पर वे गोंदिया गए। गोंदिया जाकर यह पहली बार पता चला कि यहां भी अमेरिकी स्तर के तकनीकि शिक्षण संस्थान हैं। उन्होंने कहा कि यहां आकर नागपुर के लोगों का बहुत प्यार मिला।
नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि चटवाल का नागपुर में प्यार और स्नेह भरा सम्मान देखकर काफी खुशी हो रही है। अमेरिकी और भारत के साथ जो संबंध सुधरे में हैं, उसमें चटवाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। संबंधों को सुधारने में चटवाल ने अनौपचारिक चैनल के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री विलासराव देशमुख ने कहा कि विजय दर्डा की यह विशेषता रही है कि वे जब भी किसी अजीज दोस्त का सम्मान करते हैं, तो सभी दोस्तों को याद करते हैं। भारत में जिस संत सिंह चटवाल का सम्मान राष्ट्रपति ने किया उनका सम्मान यहां हो रहा है। संत चटवाल के सत्कार से देश का गौरव बढ़ा है। वर्षों पहले भले ही चटवाल अमेरिका चले गए, लेकिन वे अपने देश को नहीं भूले। अमेरिका जैसे देश में अपनी उपलब्धियों के माध्यम से चटवाल ने भारत का गौरव बढ़ाया है। देशमुख ने कहा कि महाराष्ट्र को संतों का प्रांत भी कहा जाता है। यह महाराष्ट्र की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि यहां 'संतÓ चटवाल का सम्मान हो रहा है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि सत्कार में विदर्भ के अलावा पश्चिम महाराष्ट्र और मराठवाडा के भी लोग उपस्थित हैं। एक तरह से चटवाल के सत्कार के लिए पूरा महाराष्ट्र विदर्भ की भूमि पर इक्ट्ठा हो गया है। शिंदे ने कहा कि कार्यक्रम में उपस्थित अनेक लोग 'जीरो क्लबÓ के सदस्य हंै। जिन्होंने जब अपने जीवन की शुरूआत की तो उनके मुठ्ठी में कुछ भी नहीं था और आज पूरी दुनिया को कुछ न कुछ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका जाने पर हर राजदूत ने कहा कि संत सिंह चटवाल भारत और अमेरिकी संबंधों में मदद करते रहे हैं। भारत-अमेरिका परमाणु करार में अमेरिकी के कई सिनेट लॉबी विरोध में थी। लेकिन चटवाल ने कई लॉबी को पकड़ा और उनका रुख भारत के लिए सकारात्मक किया। उन्हें समझाया कि भारत एक उभरता हुआ मजबूत देश है। आईटी के क्षेत्र में भारत तेजी से आगे निकल रहा है। कहीं ऐसा न हो जाए कि भारत किसी और देश के साथ हो जाए। अमेरिका इसे अभी न छोड़े नहीं तो उन्हें बाद में पछताना पड़ेगा। सत्कार समारोह में मोनिका भागवागर ने सम्मान पत्र पढ़ा।
लोकमत समूह के कार्यकारी निदेशक देवेन्द्र दर्डा के आभार प्रदर्शन के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ।
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चि_ी की चुटकी
सत्कार समारोह में नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने अपने भाषण में कहा कि संत सिंह चटवाल को पद्म भूषण सम्मान के लिए सिफारिश की चिट्टी उन्होंने लिखी थी। उन्हें गर्व है कि उनकी चिट्टी पर चटवाल को पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया। पटेल के बाद जब केंद्रीय भारी उद्योगमंत्री विलासराव देशमुख भाषण के लिए आए तो उन्होंने पटेल की लिखी चिट्टी पर चुटकी लेते हुए कहा कि पटेलजी बहुत चिट्ठियां लिखते हैं। उनके पास जो जाता है, उसकी चिट्टी लिख देते हैं। जब तक भारत और अमेरिक के संबंध प्रगाढ़ बन रहेंगे पटेल भाई की चिट्ठी याद रखी जाएगी। शिंदे ने कहा कि चटवाल के पद्म भूषण सम्मान में कई लोगों का विरोध था। लेकिन पटेल की चिट्ठी के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह टस से मस नहीं हुए।
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