नागपुर। भीषण गर्मी में अघोषित बिजली कटौती के साथ ही पेयजल की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। गत दिनों नागपुर आए केंद्रीय शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड्डी से बताया कि नागपुर के आधारभूत ढांचा के विकास के लिए महानर पालिका को जवार लाल नेहरू नेशनाल अर्बन रिनीवल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत 1500 करोड़ रूपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। रविवार को प्रकाशित इस खबर से संतरानगरी के लोग हैरत में हैं। उन्हें आश्चर्य इस बात की है किआधारभूत ढांचे के विकास में इतना खर्च होने के बाद भी पानी के लिए हाहाकार क्यों मचा हुआ है। जबकि जलापूर्ति से जुड़ी चार परियोजना समय से पहले ही पूरी हो चुकी है। जयपाल रेड्डी ने नागपुर जब कहा कि नागपुर में खर्च 1500 करोड़ रूपये के कार्यों का वे ब्यौरा लेंगे। इससे मनपा का जल प्रदाय विभाग में खलबली मची हुई है। क्योंकि जेएनएनयूआरएम का पूर्ण रूपये से क्रियान्वयन 2012 तक होना है, योजना को शुरू हुए चार साल हो चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि इस राशि के खर्च में भारी धांधली और अनियमितता बरती गई है। वहीं केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व की सरकार और मनपा में भाजपा का शासन होने से समीक्षा को लेकर रेड्डी खासे गंभीर दिखे। पानी के बढ़े हुए बिलों को लेकर उन्होंने राज्य मुख्यमंत्री तक से बातचीत करने को भी कहा।
मनपा आयुक्त कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार से मिली इस राशि को पाइल लाईन से नष्ट होने वाले जल को रोकने और इसकी आपूर्ति व्यवस्था को और उन्नत करने के अलावा के अलावा फूटी हुई पाइप लाइन के मरम्मत आदि पर खर्च किया गया। पूर्व महापौर विकास ठाकरे इस फंड के दुरुपयोग और योजना में कत्थित भ्रष्टाचार का पहले ही आरोप लगा चुके हैं। मनपा कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार पाइप लाइनों से होने वाले रिसाव को दुरुस्ती किया जा चुका है। इस पर करीब 323 करोड़ का रूपये का खर्च आया। इसी तरह से जलापूर्ति के लिए पाइलाइनों का विस्तार और उनके नवीनीकरण का कार्य भी समाप्त हो चुका है। इसमें करीब 4349 करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं। महानगर पालिका की मानें तो जेएनएनयूआरएम के तहत मनपा ने आधारभूत ढांचे के विकास के लिए कुल 17 योजनाएं चलाई थी। महज चार योजनाएं ही अभी पूरी हुईं है। अधिकतर योजनाएं अभी चालू है या फिर वह शुरू होने की प्रक्रिया में है।
गैर-सरकारी संगठन जनआक्रोश के अध्यक्ष डा. अनिल लद्धड ने बताया कि जेएनएनयूआरएम के तहत पेयजल की आपूर्ति के लिए बेहतर कार्य किया गया होता, तो नगर में कोई इलाका प्यास नहीं रहता। इस फंड की भारी भरकम राशि खर्च कर मनपा ने 22*7 की तर्ज पर जनगर में पेयजल आपूर्ति के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट सितंबर,2009 में बनी थी। इसकी शुरूआत मनपा के धरमपेठ जोन से हुई। तब यह कहा गया था कि इसके लिए नये मीटर लगेंगे। पर आज हकीकत यह है कि इस जोन के आधे से भी ज्यादा घरों में 22*7 तर्ज पर जलापूर्ति तो दूर की बात है, अभी तक पानी के मीटर तक नहीं बदले। यह स्थिति नगर के रिहायसी इलाके की है। इसलिए नगर के दूसरे विकसित इलाकों की हालत कैसी होगी। इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। अब इस योजना को असफल होते देख मनपा ने पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का शिगूफा छेड़ दिया। लेकिन इस योजना के लागू होते ही बार-बार पानी की दरों में बढ़ोतरी के बाद भी पेयजल की सुचारु आपूर्ति नहीं होने से जनता का आक्रोश बढ़ा हुआ है। जबकि जयपाल रेड्डी को भी इस योजना के बारे में जानकारी नहीं थी।
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