जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली लगता है कि इस मां को वह कोई फैसला मंजूर नहीं जो उसे बच्चे से अलग करता हो। फिर चाहे फैसला अमेरिकी अदालत या भारत के सुप्रीम कोर्ट का ही क्यों न हो। अदालत उसके खिलाफ फैसला सुनाती है तो वह अपना बच्चा लेकर भाग जाती है। पिछले ढाई साल से यही कर रही है भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक विजयश्री वूरा। पिता की याचिका पर सीबीआई ने जैसे तैसे मां-बच्चे को तलाश कर सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने फैसला पिता के हक में सुनाया और विजयश्री को बच्चे के साथ अमेरिका जाने का आदेश दिया तो वह बच्चा लेकर फिर भाग गई। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को फिर बच्चा ढूंढ कर लाने का आदेश दिया। कोर्ट ने इस काम के लिए सीबीआई को तीन सप्ताह का समय दिया था और बच्चा ढूंढ कर पिता के हवाले करने का निर्देश दिया था, ताकि पिता अपने आठ साल के बच्चे आदित्य को लेकर अमेरिका जा सके। भारतीय मूल का यह तलाकशुदा दंपती और उनका बच्चा अमरीकी नागरिक हैं। बड़े-बड़े अपराधियों को पकड़ने वाली सीबीआई मां से हारती नजर आ रही है। उसने कोर्ट से तीन की जगह आठ सप्ताह का समय दिए जाने की गुहार लगाई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। आदित्य के पिता डाक्टर वी. रविचन्द्रन और मां विजयश्री वूरा के बीच अमेरिका में ही आपसी सहमति से तलाक हो गया था और वहां की अदालत ने दोनों की सहमति से बच्चे की साझा कस्टडी का आदेश दिया। कोई भी पक्ष बच्चा लेकर नहीं जा सकता था, लेकिन विजयश्री 2007 में बच्चा लेकर भारत आ गई। रविचन्द्रन ने कोर्ट से इसकी शिकायत की और अमेरिकी अदालत ने बच्चे की कस्टडी पूरी तरह से पिता को दे दी। यही नहीं, मां के खिलाफ वारंट भी जारी कर दिया। अमेरिकी अदालत से आदेश हासिल करने के बाद रविचन्द्रन ने भारत के सुप्रीम कोर्ट से बच्चा ढूंढे जाने की गुहार लगाई। कोर्ट के आदेश पर दो साल तक पुलिस मां और बच्चे को ढूंढती रही। अंत में सीबीआई ने उन्हें खोज निकाला। दोनों को अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने कहा कि बच्चा अमेरिकी नागरिक है, इसलिए उसकी कस्टडी का फैसला अमेरिका की अदालत में ही होना चाहिए। कोर्ट ने विजयश्री को रविचन्द्रन के खर्च पर बच्चा लेकर अमेरिका जाने का आदेश दिया था, लेकिन वह अमेरिका नहीं गई और फिर से बच्चा लेकर गायब हो गईं।
दैनिक जागरण न्यू डेल्ही 18/4/2010 से साभार
सोमवार, अप्रैल 19, 2010
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