आधारभूत ढांचा के लिए नागपुर को 1500 करोड़ : जयपाल रेड्डी
नागपुर। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री जयपाल रेड्डी ने कहा है कि नागपुर शहर में आधारभूत ढांचा के विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से 1504.18 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत शहर में पेयजल और खराब पानी के ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाएगा।
वर्धा रोड स्थित होटल प्राइड में पत्रकारों से बातचीत में रेड्डी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहर नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के लिए देशभर के 63 शहरों को चुना गया है। उसमें से नागपुर का भी नाम है। इस मिशन के तहत इस योजना को मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि नागपुर में आधारभूत ढांचा विकास के लिए 1504.18 रुपये की परियोजना में 50 प्रतिशत केंद्र सरकार की हिस्सेदारी रहेगी। 20 प्रतिशत राज्य सरकार का सहयोग रहेगा और 30 प्रतिशत की राशि यानि 451.25 करोड़ रुपया शहरी क्षेत्र की स्थानीय निकाय यानी महानगर पालिका उपलब्ध कराएगी। फिलहाल इस योजना के तहत नागपुर में अभी तक 394.40 करोड़ रुपया खर्च हो चुका है, जिसमें केंद्र सरकार ने नागपुर के लिए 211.57 करोड़ रुपये की निधि उपलब्ध कराया है। राज्य सरकार ने 63.48 प्रतिशत और स्थानीय निकाय ने 119.34 करोड़ रुपये उपलब्ध कराया है। इस राशि से अब तक पाइल लाईन में रिसाव को रोकने, ऊर्जा लेखा परीक्षण, जलापूर्ति माध्यमों की उन्नतिकरण और नेटवर्क में विस्तार आदि कार्यों पर खर्च किया जा चुका है। नागपुर की पानी की बढ़ी हुई दरों के सवाल पर रेड्डी ने कहा कि पानी के बिल इस पर निर्भर करते हैं कि उसका मेंटेनेंस और आपूर्ति का खर्च किस तरह हो रहा है।
बस दे दिया, पर चलेगी कहां?
रेड्डी ने बताया कि जेएनएनयूआरएम के तहत नागपुर में सार्वजनिक यातायात को सुलभ कराने के लिए केंद्र सरकार ने मनपा को 300 अतिरिक्त उन्नत किश्म की स्टार बस खरीदने के लिए 15.90 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं। लेकिन नागपुर में न बस डिपो है, न ही पार्किंग की पर्याप्त सुविधा है। यहां तक कि इतनी बसें चलाने के लिए पर्याप्त सड़कें भी नहीं हैं। यदि यहां 300 अतिरिक्त बसें चलेंगी तो नागपुर का सार्वजनिक यातायात काफी सहज हो जाएगा। रेड्डी ने बताया कि जेएनएनयूआरएम के तहत जितनी भी योजनाएं मंजूर की गई थीं, उन सभी के कार्य चल रहे हैं। 2012 तक इन योजनाओं को पूरा कर लेने का लक्ष्य है। फिलहाल उनके पास कोई भी योजना लंबित नहीं है।
संतरानगरी में मेट्रो का प्रस्ताव नहीं
नागपुर में मेट्रो रेल चलाने के प्रस्ताव पर पूछे गए एक सवाल पर रेड्डी ने कहा कि न स्थानीय निकाय से और न ही राज्य सरकार से इस तरह का कोई भी प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास आया है। मेट्रो योजना बहुत खर्चीली है। औसतन एक किलोमीटर के मेट्रो परियोजना पर करीब 200 करोड़ रुपये की लागत आती है। यदि इस तरह का प्रस्ताव उनके पास आता भी है तो दिल्ली मेट्रो की कंसल्टिंग टीम इस पर विचार करेगी कि प्रस्तावित योजना कितनी सक्षम है।
दुनिया की आधी आबादी शहर में
रेड्डी ने बताया कि अब देश-दुनिया के शहर वैश्विक रूप से विकास कर रहे हैं। इसीलिए चार वर्ष पूर्व सात वर्ष की जेएनएनयूआरएम को शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि आज भी दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती है। भारत में शहरों में रहने वाली आबादी का प्रतिशत 30 है। भारतीय शहरों पर जनसंख्या का दवाब बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में शहरी आधारभूत ढांचा का विकास आवश्यक है। इसमें सबसे ज्यादा पेजयल, यातायात और आवास व्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नागपुर में स्लम इलाके में रहने वाले लोगों के लिए 17 हजार घर बनाने का जो प्रस्ताव था, उसके लिए निधि उपलब्ध करा दी गई है।
हर घर में शौचालय का निर्माण
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से भारत में शौचालय से ज्यादा मोबाइल होने संबंधित रिपोर्ट पर रेड्डी ने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय की समस्या गंभीर है। इससे महिलाओं को काफी परेशानी होती है। इसका असर उनके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। केंद्र सरकार इस ओर ध्यान दे रही है। शहरी क्षेत्र में स्लम इलाके में रहने वाले लोगों के लिए बनाये जाने वाले हर मकान में शौचालय का निर्माण किया जा रहा है।
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रविवार, अप्रैल 18, 2010
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