ठीक से जांच नहीं हो रही है विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका
एक दिन में कम से कम 30 कॉपी जांचना अनिवार्य
पैसे की लालच में जांची जा रही है जल्दी-जल्दी कॉपी
नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विद्यापीठ के विभिन्न परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिका की जांच का कार्य तेजी से चल रहा है। पर उत्तर पुस्तिका जांच करने के बदले परीक्षकों की जाने वाली भुगतान राशि इतना कम है कि वे जल्दी-जल्दी में ज्यादा पुस्तिका जांच रहे हैं। सूत्रों की मानें तो लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनोलॉजी में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन हो रहा है। यहां एक दो कमरे में रखे हर बेंच पर दो परीक्षकों को बैठाया जा रहा है। सुबह 11 से 5 की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच हो रही है।
एक दिन में हर परीक्षक को कम से कम 30 और अधिकतम 60 उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करनी है। हर पुस्तिका की जांच पर विद्यापीठ 10 रूपये का भुगता करेगा। पर यह भुगतान तुरंत होने के बजाये कुछ माह बाद होगा। यदि कोई परीक्षक एक दिन में 60 उत्तर पुस्तिका की जंाच करता है तो उसे 600 रूपये का भुगतान होगा, इसके अलावा एक दिन का भत्ता 185 रूपया मिलेगा। नवंबर-दिसंबर में हुए परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के जांच का भुगतान पिछले सप्ताह हुआ है। सूत्रों का कहना है कि कई परीक्षक पैसे की लालच में जल्दी-जल्दी कॉपी जांच कर एक दिन में 60 का कोटा पूरा कर रहे हैं जिससे कि उन्हें हर दिन का 600 रूपये मिल सके। इस तरह से 6 घंटे में एक परीक्षक यदि 60 पुस्तिकाओं की जांच करता है, तो एक पुस्तिका पर औसतन समय करीब 16 मिनट को होता है। इसी बीच उन्हें चाय पानी आदि के लिए भी उठाता पड़ता है। इसलिए औसत समय 10 से 12 मिनट होगा। जानकारों का कहना है कि एक उत्तर पुस्तिक का ठीक से मूल्यांकन 10 से 15 मिनट में नहीं हो सकता है। इसलिए कम से कम आधे घंटे का समय चाहिए। यदि एक उत्तर पुस्तिका पर एक परीक्षक आधा घंटा का समय लगाए तो वह एक दिन में 12 कॉपी ही जांच कर पाएंगा। इस तरह वह विश्वविद्यालय के नियमानुसार एक दिन में 30 पुस्तिका ठीक से नहंी जांच पाएगा। लिहाजा, कोटा पूरा करने के साथ ही अधिक कमाइ्र के लिए परीक्षक जल्दी-जल्दी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकरन कर रहे हैं।
वहीं यहां उत्तर पुस्तिका जांच करने आने वाले शिक्षक इस विषय पर कुछ भी बताने से इनकार करते हैं। एक परीक्षक ने बताया कि यहां सभी परीक्षक खासे परेशान है। उनका कहना है कि जिस कमरे में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जा रहा है, वह कक्ष इतना छोटा है कि दम फूलने लगता है। कमरे में हवा-आने जाने के लिए किसी तरह की खिड़की नहीं है। पास में जो टायलेट हैं, उसमें जल की भी आपूर्ति सुचारु रूप से नहीं हो रही है। इसलिए परीक्षकों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक परीक्षक ने नाम नहीं छापाने की शर्त पर बताया कि उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए नागपुर से बाहर के परीक्षक आ रहे हैं। वर्धा, चंद्रपुर जिले से आने वाले परीक्षक अपने खर्च पर नागपुर आ रहे हैं। एक तो यहां बैठ कर उत्तर पुस्तिक मूल्यांकन करने की जगह की हालत बदतर है, उपर से अपने खर्च के बाद नागपुर आना हो रहा है। परीक्षकों की शिकायत है कि शिक्षण संस्थान के कैंटिंग में चाय, समोसा और कोल्ड-ड्रींक के अलावा कुछ नहीं मिलता है। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रण देवेन्द्र नाथ मिश्रा ने परीक्षकों की इस शिकायत पर बताया कि अभी किसी परीक्षक ने इस संबंध में किसी तरह की शिकायत नहीं की है। पहले भी किसी तरह की शिकातय नहीं हुई है। वहीं परीक्षकों का कहना है कि शिकायत कर कौन विद्यापीठ प्रशासन का दुश्मन बनना चाहेगा।
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