महंगाई को लेकर संप्रग सरकार पर लगाए 14 आरोपमुंबई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने महंगाई के मुद्दे पर केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार को जबर्दस्त ढंग से घरते हुए जनता का आरोपपत्र प्रस्तुत किया है। मुंबई में आयोजित एक पत्रकार परिषद में उन्होंने कहा कि केंद्र की संप्रग सरकार को एक वर्ष का समय पूर्ण हो रहा है। 100 दिन में महंगाई दूर करने का सरकार का दावा पूरी तरह फेल हो गया है। जीवनावश्यक चीजों के दाम 100 प्रतिशत बढ़ चुके हैं। अनाज के गोदाम भरे होने के बाद भी गरीबों को जरूरी अनाज नहीं मिल पा रहा है। गडकरी ने केंद्र सरकार को सौंपे पत्र में कुल 14 आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि भारत में अनाज की कीमतें बढऩे से भूखे पेट रहने वालों की संख्या बढ़ रही है। गरीबों को अनाज देने में सरकार फेल हो गई है। सक्सेना कमेटी के अनुसार अभ भी 51 प्र.श. गरीबों के पास अभी भी बीपीएल अंत्योदय राशन कार्ड उपलब्ध नहीं है। जनता भूखी न रहे इसकी नैतिक जिम्मेदारी सरकार की है लेकिन सरकार इसमें असफल रही है। कई राज्यों की गरीबी रेखा के नीचे वाली जनता को इस हक से सरकार ने वंचित रखा और संविधान की धारा 21 का उल्लंघन किया। महंगाई केवल अक्षम्य लापरवाही के कारण बढ़ी। लाखों टन अनाज गोदामों में सड़ गया। जनता को दिए गए आश्वासन जनता ने नहीं निभाकर संविधान की धारा 47 का उल्लंघन किया। सरकारी गोदाम भरे होने के बाद भी देश में महंगाई है। केंद्र ने इसे बाद भी बफर स्टाक को खुला क्यों नहीं किया? गोदामों में अनाज सड़ता रहा फिर भी जनता भूखी क्यों? संप्रग सरकार अन्न धान्य सुरक्षा कानून 2006 के अनुसार गरीबों को मूलभूत जरूरत अनाज देने में भी विफल रही। 80 लाख टन गेहूं के बोरे एफसीआई गोदामों में भरे पड़े हैं। एफसीआई भी मंडी व अन्य लोगों से गेहूं लेने में विफल रहा है। आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री के मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने जीवनावश्यक वस्तु कानून का अक्षम्य उल्लंघन किया है। इस कानून के अनुसार अनाज की कालाबाजारी करना अपराध है लेकिन केंद्र सरकार ने स्वयं ही आवश्यक अनाज की फ्यूचर फारवर्ड ट्रेडिंग करने के लिए कमोडिटी एक्सचेंज के जरिये अनुमति दी तथा अनाज को बेकार कर दिया। शक्कर तथा अन्य जरूरी चीजों को संग्रहित कर रखा तथा मूल्य वृद्धि कर व्यापारियों को भरपूर लाभ दिलाया। यह गैरजमानती अपराध है। कमोडिटी एक्सचेंज किसानों की बजाय अब व्यापारियों के हित में उपयोगी साबित हो रहा है। गडकरी ने आरोप लगाया कि संप्रग सरकार ने देश की जनता को विश्व बाजार की गलत जानकारी देकर जनता की आंखों में धूल झोंकी। वैश्विक दर भारतीय दर से आधी है। यह देश की जनता के साथ धोखाधड़ी है। भारत में 11 प्रतिशत से अधिक महंगाई का दर विश्व में सर्वाधिक है। चीन का जीडीपी दर 9.5 प्र.श. (भारत का 7.2 प्र.श.) होकर भी चीन में केवल 2 प्र.श. महंगाई है जबकि भारत में महंगाई दर 11 प्र.श. है। आरोप यह भी है कि केंद्र सरकार ने राज्य के संविधानात्मक निर्देशित तत्वों का उल्लंघन किया है। इसके अलावा आयात-निर्यात में गड़बड़ी कर देश की जनता के साथ धोखाधड़ी की है। केंद्र सरकार की आयात-निर्यात नीति अपारदर्शी एवं गड़बड़ी पैदा करने वाली है। गडकरी ने का कि भारतीय संविधान के अनुसार जनता को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय मिलना जरूरी है लेकिन केंद्र सरकार इसमें पूरी तरह असफल साबित हुई है। कांग्रेस गरीबी हटाने की बजाय गरीबी को बढ़ा रही है। केंद्र सरकार पर ग्राहक संरक्षण कानून का अक्षम्य उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया गया है। केंद्र की गलत आर्थिक नीतियों के कारण किसानों को उनकी कृषि उपज का कम मूल्य मिल रहा है तथा आम उपभोक्ता उसे दोगुने मूल्य पर खरीद रहा है। संप्रग सरकार गरीबों का नहीं बल्कि मध्यस्थों का, अमीरों का, शक्कर सम्राटों की है।
गडकरी ने कहा कि वे जनता का यह आरोपपत्र जनता के न्यायालय में ही प्रस्तुत कर रहे हैं और जनता के सामने लापरवाही केंद्र सरकार के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्ïवान कर रहे हैं।
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