सोमवार, अप्रैल 19, 2010

पाताल की ओर भागता पानी

धरती पर बूंद-बूंद के लिए जूझते लोग
नागपुर।
एक ओर भीषण गर्मी दूसरी और पेयजल का संकट। यह समस्या नागपुर के लोगों की दिनचर्या में शुमार होने लगी है। शहर हो या गांव, इस संकट से कोई अछूता नहीं रहा। गर्मी की शुरुआत में ही नागपुर और जिले के नदी-नाले और कुंए से लेकर हैंडपंप तक सभी सूख रहे हैं। कई जगह तो हैंडपंप से पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। कुएं का जल स्तर नीचे सरकता जा रहा है। ऐसा लगता है जैसे पानी पताल में चला गया है। ऐसे कुएं में झांकन से भी भय लगता है। इसके अलावा शहर में कई जगह अंधाधुंध मोटर से पानी के दोहन से भी भूजल स्तर नीचे जा रहा है। सरकारी पेयजल योजनाएं पहले से सुस्त चाल हैं और अब गंभीर संकट में बेकार साबित हो होने लगी हैं। पर्याप्त बजट होने के बाद भी समस्या जस-की-तस बनी हुई है। मानसून में जल संरक्षण की बात तो कागजों में ही होती है या फिर किसी कार्यशालाओं में चिंता व्यक्त करने के बाद भूला दी जाती है।
भू-जल हर साल नीचे जा रहा है। नगर के कई जगह तो ३० से ३५ मीटर तक कुएं का पानी चला गया है। सारी समस्या व्यवस्था दोष के कारण उत्पन्न हुई है। हालांकि मनपा और जिला परिषद गर्मी के पूर्व से ही जल संकट के निपटने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। पर उनकी सारी योजाओं की हकीकत इस भीषण गर्मी से तार-तार हो चुकी है। मौजूदा जलाशयों की भी सफाई तक नहीं की जाती। नगर के कई क्षेत्रों में आलम यह है कि लोगों को पूरा दिन टैंकर के इंतजार में गुजर जाता है। इससे सबसे ज्यादा परेशान महिलाएं हैं। महिलाएं कहती हैं कि पानी की व्यवस्था करें या खाना पकायें।
उत्तर नागपुर में पेयजल संकट सबसे ज्यादा गंभीर दिख रही है। बीते सप्ताह तो पानी की समुचित आपूर्ति नहीं होने का गुस्सा फूट पडा। जरीपटका, कस्तूरबा नगर, सीएमपीडी क्वार्टर्स, साईबाबा नगर कॉलोनी, कपील नगर, सुगत नगर, बाबा गुरूदीप नगर, सहयोगनगर, संयाल नगर व कई उत्तरी इलाकों के कई लोगों ने त्रस्त होकर मनपा अधिकारियों के सामने रोष प्रगट किया। कस्तूरबा नगर में लोगों ने तो पानी के लिए हंगामा तक किया। कई दिनों से कई इलाकों में तो एक-आध घंटा ही पेयजल की आपूर्ति की जा रही हैं। ऐसे भी कई इलाके हैं जहां पर मनपा के नलों में १५ दिनों से एक बूंद पानी तक नहीं पहुंचा। वहीं नगर सेवक हाथ झटक कर पूरा आरोप मनपा के जलप्रदाय विभाग पर देते हैं। मनपा के जलप्रदाय विभाग के अभियंता जोन स्तर पर सटीक जवाब देते हैं कि हम क्या करें? वहीं दूसरी ओर मनपा के जल टैंकर भी नगर के कई कॉलोनियों की प्यास बूझाने में असफल हो रहे हैं। कई जगहों पर मनपा के टैंकर के पानी की भी कालाबाजारी हो रही है। नागरिक कुछ रूपये-दे कर अपने क्षेत्र में जल के टैंकर मंगवाने पर मजबूतर हो रहे हैं।

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