शनिवार, अप्रैल 03, 2010

झूलस रही है संतरे की आमिया बहार

समय से पहले ही पक गए गेहूं, दानों का नहीं हुआ समुचित विकास
नागपुर।
बीते मार्च महीने से संतरानगरी की गर्मी के चढ़े पारे के असर से न केवल जन जीवन परेशान है, बल्कि इसका असफर कृषि फसलों पर हो रहा है। बीते वर्ष में संतरे की जहां अच्छी पैदावार हुई थी। वहीं इस वर्ष अक्टूबर माह में होने बाजार में आने वाले संतरे की किस्म आमिया बहार इस भीषण गर्मी से अभी से ही झुलसना शुरू हो गया है। आग बरसाते आसामन से न केवल संतरे के पेड़ सूख रहे हैं, बल्कि आमिया बहार के पत्ते और फूलों पर भी काफी नकारात्मक असर पड़ रहा है। यदि समय पर बारिश नहीं हुइ तो इस बार संतरे के अधिक उत्पादन से खुशहाल किसान अगली पैदावार तक बदहाल हो सकता है। वहीं वर्तमान में बाजार में आ रहे मृग बाहार के संतरे पर भी भीषण गर्मी का असर पड़ा है। संतरे जल्द सूख रहे हैं।
वहीं पिछले दिनों भीषण बारिश से विदर्भ के खेतों में लहलहाती गेहूं का पर भी गहरा असर पड़ा था। बची हुई फसल फिलहाल पक जाने से अधिकतर किसान काट रहे हैं। वहीं कुछ जगह फसल अभी कच्चे होने से किसान पकने के इंतजार में है। लेकिन सप्ताह भर से अचानक चढ़े पारे का नकारात्मक इस अधकच्चे फसल पर भी होगा।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जिनहोंने गेहू की बुआई देर से की थी, उनकी फसल ही अभी अधपक्की है। मार्च महीने से ही अचानक गर्मी अधिक होने से गेहूं के दाने समय से पहले पकने लगें हैं और दाने का भी समुचित विकास नहीं हो पाया है।
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