शुक्रवार, अप्रैल 09, 2010

मंत्रालय ने विश्वविद्यालय से मांगा जवाब


म. गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि में पदों की कथित नीलामी का मामला

वर्धा। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विवि में पदों की कथित नीलामी के मामले में छात्र संघर्ष समिति और गैर-सरकारी संस्था द मार्जिनलाइज्ड की शिकायत पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने संज्ञान लिया है।
राष्ट्रपति भवन की प्रवक्ता अर्चना दत्ता ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इस मामले में टिप्पणी मांगी गई है। इस आशय का एक पत्र भी शिकायतकर्ता को प्राप्त हुआ है। वहीं मंत्रालय के एक पत्र से जानकारी मिली है कि 15 मार्च को राष्ट्रपति भवन से प्राप्त निर्देश के बाद मंत्रालय ने 25 मार्च को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विवि से पत्र भेजकर जवाब मांगा है। हालांकि छात्र नेताओं ने 31 मार्च को और 9 अप्रैल को फिर से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा है। वैसे भी मंत्रालय की यह पुरानी पद्धति है कि जब भी कोई हिंदी विवि से जवाब मांगा जाता है, उसकी प्रक्रिया के बीच में ही अवैध कारगुजारियों को अंजाम दे दिया जाता है। 9 अप्रैल को राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र की कॉपी मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और यूजीसी के अध्यक्ष को भेजा गया, जिसमें नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की गई है।
पहले ही बन चुकी है जांच समिति
हिंदी विवि में हो रही अनियमितताओं को लेकर यूजीसी ने 25 फरवरी को ही एक जांच समिति बनाई थी, इसकी पहली बैठक 25 फरवरी को हो चुकी है। समिति के अध्यक्ष यूजीसी के ही पूर्व सचिव डा. आर.के चौहाण है। समिति के अन्य सदस्यों में डा. एन.ए. काजमी और डा.बत्रा का समावेश है। नियुक्तियों में अनियमितताओं को इस बात से बल मिलता है कि इस बार साक्षात्कार के लिए बुलाए गए उम्मीदवारों की सूची वेबसाइट पर नहीं प्रकाशित की गई है। जबकि नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए यह जरूरी है।
सूत्रों का कहना है कि 5 अप्रैल से चल रही साक्षात्कार प्रक्रिया में अधिकतर पदों की नियुक्ति पहले से ही फिक्स है। नामों पर अंतिम रूप से विवि की कार्य परिषद की बैठक में मुहर लगने की औपचारिक प्रक्रिया भर बाकी है। कार्य परिषद की बैठक 25 अप्रैल के बाद कभी भी हो सकती है।
बौद्ध अध्ययन में रवि शंकर की पेंच
बौध अध्ययन विभाग के लिए यह संभावना जताई जा रही है कि योग्य उम्मीदवार नहीं होने के कारण इस पद को पुन: रिक्त रखा जा सकता है। क्योंकि इस विभाग का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस पद पर विवि के वी.सी. विभूति नारायण राय के नजदीकी रवि शंकर सिंह टेपरोरी पद पर नियुक्त किए गए हैं। बौद्ध अध्ययन विभाग के पद के लिए 6 अप्रैल को साक्षात्कार देने आए नागपुर के उम्मीदवारों में इसी बात की चर्चा थी कि रवि शंकर की नियुक्ति पहले से ही संदिग्ध तरीके से हुई है। उम्मीदवार 'दैनिक 1857Ó में प्रकाशित समाचार की कॉपी एक-दूसरे को दिखाते हुए विवि में हो रही कथित धांधली पर चर्चा कर रहे थे।
योग्यता पर भारी जाति
दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के एम.ए.और एफ.फील करने वाले रवि शंकर सिंह केवल नेट उर्तीण है। वे विवि के वी.सी. के जति से संबंध रखते है। इसलिए वी.सी. ने इस पद के लिए अल्पकालीन नियुक्ति के लिए भी सार्वजनिक रूप से विज्ञापन नहीं दिया। यदि इस पद के लिए विज्ञापन सार्वजनिक किया जाता तो रविशंकर से कही ज्यादा योग्य नेट, जेआरएफ उम्मीदवार आवेदन कर सकते थे। लिहाजा, यह संभावना जताई जा रही है कि वी.सी. फिर से रविशंकर की नौकरी बनाये रखने के लिए इस पद योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने की बात कह कर खाली रख सकते हैं, जिससे कि अगले शैक्षिणिक सत्र में भी रवि शंकर की नौकरी बची रहे। वहीं मानव शास्त्र विभाग में वाहिन्द्र यादव, जनसंचार विभाग में संदीप वर्मा तथा विवेक जयस्वाल के नाम लिफाफे में बंद होने की चर्चा है।
शांति-अंहिसा विभाग में चलेगा चित्रा का जादू
वहीं शांति एवं अहिंसा विभाग के पद के लिए भागलपुर के एक उम्मीदवार मुकेश कुमार और एक अन्य आवेदक जो विभाग के डीन के अध्यक्ष के बेहद करीबी बताये जाते हैं तथा विवि के ही एक व्याख्याता ए. राय की पत्नी चित्रा माली के नाम को लिफाफे में बंद कर दिया गया है। इसमें ज्यादा संभावना है कि चित्रा माली के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी। बाकी दो उम्मीदवार प्रतिक्षा सूची के लिए होंगे। सूत्रों का कहना है कि नियुक्ति के लिए मुकेश कुमार साठगांठ की है। लेकिन मुकेश कुमार का अध्ययन क्षेत्र गांधी अध्ययन रहा है। जबकि विभाग का पद अंहिसा अध्ययन का है। इसके पाठ्यक्रम में गांधी अध्ययन एक हिस्सा भर है। संभावना है कि इस आधार पर मुकेश कुमार का नाम छट सकता है। इसलिए चित्रा माली की नियुक्ति तय मानी जा रही है।

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